राम वन गमन पथ यात्रा के विरोध में आदिवासियों ने चक्काजाम खत्म कर दिया है. यात्रा को कांकेर में बिना रुके बाहर निकलने की शर्त पर चक्काजाम खत्म किया गया है. भारी सुरक्षा के बीच रथ रवाना किया गया है. रथ से आदिवासी समाज ने पूरी मिट्टी निकाल ली है.
कांकेर: आदिवासी समाज ने रथ से मिट्टी निकाली, बिना रुके गुजरी रैली, खत्म हुआ चक्काजाम
11:48 December 16
रथ से मिट्टी निकालकर आदिवासियों ने चक्काजाम खत्म किया
10:47 December 16
कांकेर में 2 घंटे से नेशनल हाईवे जाम
कांकेर में 2 घंटे से नेशनल हाईवे जाम है. आदिवासी राम वन गमन पथ पर्यटन रैली को कलगांव से आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं. कांकेर प्रशासन ने 8 बजे से रथ के स्वागत के लिए जगह-जगह तैयारी की थी.
10:36 December 16
राम वन गमन पर्यटन रैली का विरोध, 2 घंटे से नेशनल हाइवे 30 जाम
10:11 December 16
आदिवासी समाज ने राम वन गमन पथ रैली को रोका, स्थिति तनाव पूर्ण, भारी संख्या में पुलिस बल तैनात
कांकेर: भूपेश सरकार के दो साल पूरे होने पर निकाली जा रही राम वन गमन पथ यात्रा का विरोध हो रहा है. आदिवासी समाज राम वन गमन पथ यात्रा का विरोध कर रहा है. सुकमा, कोंडगांव के बाद कांकेर में भी आदिवासी समाज के लोगों ने राम वन गमन पथ यात्रा के खिलाफ एनएच-30 पर रोड जाम कर दिया. कांकेर से 10 किमी दूर पहले आदिवासी समाज ने विरोध जताते नेशनल हाइवे पर जाम लगा दिया है. मौके पर भारी पुलिसबल तैनात है. जहां आदिवासियों के साथ पुलिस की झड़प भी हुई.
राम वन गमन पर्यटन रैली कांकेर पहुंचने वाली हैं. उससे पहले आदिवासियों ने रोड में जाम लगा दिया. आदिवासी समूदाय के लोग पेसा कानून में उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं. साथ ही राम गमन पथ यात्रा को मिट्टी नहीं देने की भी बात कह रहे हैं. आदिवासी नेता सोहन पोटाई जामस्थल कुलवांग पहुंचे हुए हैं.
कुलगांव में हालात पुलिस के नियंत्रण से बाहर है. आदिवासी समाज के युवकों ने फोर्स को पीछे धकेला. केशकाल से भी फोर्स बुलाई गई. माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है. आदिवासी समाज का कहना है कि राम वन गमन पथ जात्रा के लिए कांकेर से मिट्टी नहीं ले जाने देंगे.
पढ़ें: सर्व आदिवासी समाज ने किया राम वन गमन पर्यटन रथयात्रा का विरोध, स्वागत के लिए नहीं रुका रथ
इससे पहले मंगलवार को भी कोंडागांव पहुंची यात्रा का सर्व आदिवासी समाज ने विरोध किया. विरोध की स्थिति को देखते हुए देर शाम पर्यटन रथ बिना रुके ही आगे निकल गया. सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग के जिलाध्यक्ष जगत मरकाम ने कहा कि राम वन गमन पथ के लिए चिन्हाकिंत जगहों से मिट्टी ले जाने की तैयारी की जा रही है, जो कि हमारे आदिवासी परंपराओं और व्यवस्थाओं के खिलाफ है.
पढ़ें: राम वन गमन यात्रा का रामाराम में आदिवासी समुदाय ने किया विरोध, बिना मिट्टी लिए वापस लौटा दल
सुकमा में लगभग यही स्थिति मंगलवार को पैदा हुई. राम गमन पथ रथ यात्रा का शुभारंभ सुकमा जिले के रामाराम से होना था, लेकिन रथ यात्रा शुभारंभ होने से पहले सर्व आदिवासी समाज ने अपना संवैधानिक अधिकारों के साथ मातागुड़ी के प्रांगण पर डट गए. जिला प्रशासन ने सुकमा जिले के रामाराम से बगैर मिट्टी लिए रथ को रवाना कर दिया.
पढ़ें: भूपेश सरकार के 2 साल: उत्तर से दक्षिण छत्तीसगढ़ तक पर्यटन रथ यात्रा और बाइक रैली
14 से 17 दिसंबर तक निकाली जा रही है पर्यटन रथ यात्रा और बाइक रैली
छत्तीसगढ़ सरकार दो साल पूरे होने का जश्न राम वन गमन रूट पर पर्यटन रथ यात्रा और बाइक रैली निकालकर कर रही है. उत्तर से दक्षिण छत्तीसगढ़ तक पर्यटन रथ यात्रा और बाइक रैली निकाली जा रही है.सरकार कार्यकाल के दो साल पूरे होने का जश्न चंदखुरी में मनाएगी. चंदखुरी राम वन गमन पथ में शामिल है. यहां माता कौशल्या के भव्य मंदिर का निर्माण सरकार करा रही है. इस मौके पर कांग्रेस राम वन गमन पथ में शामिल सभी स्थानों पर पर्यटन रथ यात्रा और बाइक रैली निकाल रही है. कोरिया से इसकी शुरुआत हुई.
14 दिसंबर से शुरू हुई यात्रा 17 दिसंबर को चंदखुरी में समाप्त होगी. 4 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में 1 हजार 575 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी.
पेसा कानून
पेसा अधिनियम के अंतर्गत, (अनुच्छेद 4 (ख)), आमतौर पर एक बस्ती या बस्तियों के समूह या एक पुरवा या पुरवों के समूह को मिलाकर एक गांव का गठन होता है, जिसमें एक समुदाय के लोग रहते हैं और अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार अपने मामलों के प्रबंधन करते हैं.
पेसा कानून समुदाय की प्रथागत, धार्मिक एवं परंपरागत रीतियों के संरक्षण पर असाधारण जोर देता है. इसमें विवादों को प्रथागत ढंग से सुलझाना एवं सामुदायिक संसाधनों का प्रबंध करना भी सम्मिलित है.
भारतीय संविधान के 73 वें संशोधन में देश में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई थी लेकिन यह महसूस किया गया कि इसके प्रावधानों में अनुसूचित क्षेत्रों विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों की आवश्यकताओं का ध्यान नहीं रखा गया है. इस कमी को पूरा करने के लिए संविधान के भाग 9 के अन्तर्गत अनुसूचित क्षेत्रों में विशिष्ट पंचायत व्यवस्था लागू करने के लिए पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम 1996 बनाया गया जिसे 24 दिसम्बर 1996 को राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया गया. यह कानून पेसा के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि अंग्रेजी में इस कानून का नाम प्रोविजन आफ पंचायत एक्टेशन टू शेड्यूल्ड एरिया एक्ट 1996 है.
11:48 December 16
रथ से मिट्टी निकालकर आदिवासियों ने चक्काजाम खत्म किया
राम वन गमन पथ यात्रा के विरोध में आदिवासियों ने चक्काजाम खत्म कर दिया है. यात्रा को कांकेर में बिना रुके बाहर निकलने की शर्त पर चक्काजाम खत्म किया गया है. भारी सुरक्षा के बीच रथ रवाना किया गया है. रथ से आदिवासी समाज ने पूरी मिट्टी निकाल ली है.
10:47 December 16
कांकेर में 2 घंटे से नेशनल हाईवे जाम
कांकेर में 2 घंटे से नेशनल हाईवे जाम है. आदिवासी राम वन गमन पथ पर्यटन रैली को कलगांव से आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं. कांकेर प्रशासन ने 8 बजे से रथ के स्वागत के लिए जगह-जगह तैयारी की थी.
10:36 December 16
राम वन गमन पर्यटन रैली का विरोध, 2 घंटे से नेशनल हाइवे 30 जाम
10:11 December 16
आदिवासी समाज ने राम वन गमन पथ रैली को रोका, स्थिति तनाव पूर्ण, भारी संख्या में पुलिस बल तैनात
कांकेर: भूपेश सरकार के दो साल पूरे होने पर निकाली जा रही राम वन गमन पथ यात्रा का विरोध हो रहा है. आदिवासी समाज राम वन गमन पथ यात्रा का विरोध कर रहा है. सुकमा, कोंडगांव के बाद कांकेर में भी आदिवासी समाज के लोगों ने राम वन गमन पथ यात्रा के खिलाफ एनएच-30 पर रोड जाम कर दिया. कांकेर से 10 किमी दूर पहले आदिवासी समाज ने विरोध जताते नेशनल हाइवे पर जाम लगा दिया है. मौके पर भारी पुलिसबल तैनात है. जहां आदिवासियों के साथ पुलिस की झड़प भी हुई.
राम वन गमन पर्यटन रैली कांकेर पहुंचने वाली हैं. उससे पहले आदिवासियों ने रोड में जाम लगा दिया. आदिवासी समूदाय के लोग पेसा कानून में उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं. साथ ही राम गमन पथ यात्रा को मिट्टी नहीं देने की भी बात कह रहे हैं. आदिवासी नेता सोहन पोटाई जामस्थल कुलवांग पहुंचे हुए हैं.
कुलगांव में हालात पुलिस के नियंत्रण से बाहर है. आदिवासी समाज के युवकों ने फोर्स को पीछे धकेला. केशकाल से भी फोर्स बुलाई गई. माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है. आदिवासी समाज का कहना है कि राम वन गमन पथ जात्रा के लिए कांकेर से मिट्टी नहीं ले जाने देंगे.
पढ़ें: सर्व आदिवासी समाज ने किया राम वन गमन पर्यटन रथयात्रा का विरोध, स्वागत के लिए नहीं रुका रथ
इससे पहले मंगलवार को भी कोंडागांव पहुंची यात्रा का सर्व आदिवासी समाज ने विरोध किया. विरोध की स्थिति को देखते हुए देर शाम पर्यटन रथ बिना रुके ही आगे निकल गया. सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग के जिलाध्यक्ष जगत मरकाम ने कहा कि राम वन गमन पथ के लिए चिन्हाकिंत जगहों से मिट्टी ले जाने की तैयारी की जा रही है, जो कि हमारे आदिवासी परंपराओं और व्यवस्थाओं के खिलाफ है.
पढ़ें: राम वन गमन यात्रा का रामाराम में आदिवासी समुदाय ने किया विरोध, बिना मिट्टी लिए वापस लौटा दल
सुकमा में लगभग यही स्थिति मंगलवार को पैदा हुई. राम गमन पथ रथ यात्रा का शुभारंभ सुकमा जिले के रामाराम से होना था, लेकिन रथ यात्रा शुभारंभ होने से पहले सर्व आदिवासी समाज ने अपना संवैधानिक अधिकारों के साथ मातागुड़ी के प्रांगण पर डट गए. जिला प्रशासन ने सुकमा जिले के रामाराम से बगैर मिट्टी लिए रथ को रवाना कर दिया.
पढ़ें: भूपेश सरकार के 2 साल: उत्तर से दक्षिण छत्तीसगढ़ तक पर्यटन रथ यात्रा और बाइक रैली
14 से 17 दिसंबर तक निकाली जा रही है पर्यटन रथ यात्रा और बाइक रैली
छत्तीसगढ़ सरकार दो साल पूरे होने का जश्न राम वन गमन रूट पर पर्यटन रथ यात्रा और बाइक रैली निकालकर कर रही है. उत्तर से दक्षिण छत्तीसगढ़ तक पर्यटन रथ यात्रा और बाइक रैली निकाली जा रही है.सरकार कार्यकाल के दो साल पूरे होने का जश्न चंदखुरी में मनाएगी. चंदखुरी राम वन गमन पथ में शामिल है. यहां माता कौशल्या के भव्य मंदिर का निर्माण सरकार करा रही है. इस मौके पर कांग्रेस राम वन गमन पथ में शामिल सभी स्थानों पर पर्यटन रथ यात्रा और बाइक रैली निकाल रही है. कोरिया से इसकी शुरुआत हुई.
14 दिसंबर से शुरू हुई यात्रा 17 दिसंबर को चंदखुरी में समाप्त होगी. 4 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में 1 हजार 575 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी.
पेसा कानून
पेसा अधिनियम के अंतर्गत, (अनुच्छेद 4 (ख)), आमतौर पर एक बस्ती या बस्तियों के समूह या एक पुरवा या पुरवों के समूह को मिलाकर एक गांव का गठन होता है, जिसमें एक समुदाय के लोग रहते हैं और अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार अपने मामलों के प्रबंधन करते हैं.
पेसा कानून समुदाय की प्रथागत, धार्मिक एवं परंपरागत रीतियों के संरक्षण पर असाधारण जोर देता है. इसमें विवादों को प्रथागत ढंग से सुलझाना एवं सामुदायिक संसाधनों का प्रबंध करना भी सम्मिलित है.
भारतीय संविधान के 73 वें संशोधन में देश में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई थी लेकिन यह महसूस किया गया कि इसके प्रावधानों में अनुसूचित क्षेत्रों विशेषकर आदिवासी क्षेत्रों की आवश्यकताओं का ध्यान नहीं रखा गया है. इस कमी को पूरा करने के लिए संविधान के भाग 9 के अन्तर्गत अनुसूचित क्षेत्रों में विशिष्ट पंचायत व्यवस्था लागू करने के लिए पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार अधिनियम 1996 बनाया गया जिसे 24 दिसम्बर 1996 को राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया गया. यह कानून पेसा के नाम से इसलिए जाना जाता है क्योंकि अंग्रेजी में इस कानून का नाम प्रोविजन आफ पंचायत एक्टेशन टू शेड्यूल्ड एरिया एक्ट 1996 है.