कांकेर: शहर में इन दिनों भालू से दहशत का माहौल बना हुआ है. भालू जंगल छोड़ इंसानी बस्तियों का रुख करने लगें हैं. भालुओं का झुंड शहर में कभी भी, कहीं भी दिखाई दे जाते हैं. वन विभाग ने जामवंत परियोजना के तहत शिव नगर से ठेलकाबोड़ तक विस्तृत पहाड़ी को भालुओं के आवास का रूप दे दिया है. रिहायशी बस्ती के पास भालुओं के लिए आवास बनाना आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है.Terror of bears in Kanker city
कांकेर शहर में भालुओं का आतंक: कांकेर शहर व उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले कुछ सालों में भालुओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. अक्सर भालू खाने की तलाश में रिहायशी बस्ती की ओर आ जाते हैं. इसका कारण वन व पहाड़ी क्षेत्रों में भालुओं के लिए पर्याप्त भोजन का उपलब्ध न होना है. लेकिन ऐसी स्थिति में कई बार लोगों से आमना-सामना होने की स्थिति में भालू लोगों पर हमला भी कर देते हैं. भालुओं के हमले से कई लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं.
कांकेर में भालू घरों में घुसकर कर रहे राशन चट
रिहायशी इलाकों में घरों में घुस रहे भालू: नगर से सटे भिरावाही में एक भालू घर के अंदर घुस गया. काफी देर तक भालू घर में घूमता रहा. इस दौरान घर मे मौजूद परिवार दहशत के बीच रहा. भालू पूरे घर के बाउंड्रीवाल में घूमने के बाद फिर गेट फांद कर बाहर निकल गया. पूरा नजारा घर में मौजूद सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया. परिवार ने बताया कि भालू आए दिन इसी तरफ घुस आता है. शुक्रवार रात नगर के उदय नगर में स्थित दया गुप्ता के मकान में भी दो भालू घुस आए. घर के बाहर रखे गुड़ को भालू चट कर गए. भालू गुड़ की महक से रिहायशी इलाकों में घुस रहे हैं.
शाम होते ही भालुओं का डर: शाम को अंधेरा होने के बाद शहर में अक्सर भालू दिखाई दे रहे हैं. शहर के श्रीराम नगर, संजय नगर, शिव नगर, उदय नगर, अलबेलापारा, पीजी कॉलेज मैदान, शहर से सटे गांव गोविंदपुर, ठेलकाबोर्ड, डुमाली, पंडरीपानी, सरंगपाल में भालुओं की आवाजाही ज्यादा है. भालुओं के रिहायशी बस्ती में पहुंचने से भालू का लोगों पर हमले का खतरा भी बढ़ जाता है. सोशल मीडिया पर भालू के वीडियो व फोटो वायरल होना अब आम बात हो गई है.
2014 में शुरू हुई जामवंत परियोजना: कैम्पा योजना के तहत वर्ष 2014-2015 में जामवंत परियोजना शुरू हुई थी. शिव नगर और ठेलाकाबोड़ स्थित पहाड़ी के 30 हजार 630 हेक्टेयर भूमि को भालू रहवास बनाया गया था. योजना के तहत अमरूद, बेर, मकोय, जामुन, गुलर, और आम के पौधे तो लगाए गए थे, लेकिन बेर, मकोय के पौधों के छोड़कर दूसरा कोई भी पौधा अब तक फल देने लायक नहीं हुआ है. जिसके कारण यहां भालुओं को भोजन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है.अब भालू भोजन की तलाश में रिहायशी बस्ती की ओर रुख करने लगे हैं इसके कारण लोगों में दशहत का माहौल है.