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रंग लाई मेहनत...दीवारों में दरारें तो छत से टपकता था पानी, निजी स्कूल छोड़ अब यहां पढ़ने आ रहे बच्चे - स्कूल

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कांकेर (Kanker) जिला के पखांजूर नगर पंचायत (Pakhanjur Nagar Panchayat) के अंतर्गत पी.व्ही. 55 (PV 55) के प्राथमिक शाला (Primary school) के शिक्षक (Teacher) अजित ठाकुर (Ajit Thakur) ने अपने मेहनत और सूझबूझ से शासकीय जर्जर स्कूल (Government dilapidated school) को आज एक मॉर्डन स्कूल (Modern school) में तब्दील कर दिया है. स्कूल की रूपरेखा (School outline) देख आज अन्य बच्चे भी स्कूल (School) की ओर रूख कर रहे हैं. इतना ही नहीं महज कुछ ही दिनों में बच्चों की संख्या में भी इजाफा दर्ज किया गया.

Pakhanjur Nagar Panchayat
निजी स्कूलों के बच्चे भी कर रहे रूख
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Published : Oct 20, 2021, 1:16 PM IST

Updated : Oct 20, 2021, 11:34 PM IST

कांकेर : कहते हैं कि योग्यता को किसी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होती. लेकिन योग्य बनने के लिए एक शिक्षक (Teacher) की आवश्यकता तो जरूर होती है. शिक्षक समाज का दर्पण होता है. एक शिक्षक अपनी मेहनत से आने वाले पीढ़ी को एक बेहतर भविष्य देता है. यही कारण है कि शिक्षक को भगवान (God) से भी ऊपर माना गया है.

निजी स्कूलों के बच्चे भी कर रहे रूख

मॉडर्न स्कूल में किया तब्दील

कुछ इसी तरह एक बेहतरीन नजीर बने कांकेर(Kanker) जिला के पखांजूर नगरपंचायत (Pakhanjur Nagar Panchayat) के अंतर्गत पी.वी. 55 (PV 55) के प्राथमिक शाला (Primary school) के शिक्षक (Teacher) अजित ठाकुर (Ajit Thakur) . जिन्होंने अपने मेहनत और सूझबूझ से शासकीय जर्जर स्कूल (Government dilapidated school) को आज एक मॉर्डन स्कूल (Modern school) में तब्दील कर दिया है.

कभी जर्जर था स्कूल

कहा जाता है कि इस स्कूल में कभी छत से पानी टपकता था, तो दीवारों पे दरारें हुआ करती थी. लेकिन मौजूदा समय में उस जर्जर स्कूल की दीवारों पर दरारें नही बल्कि खूबसूरत शिक्षाप्रद चित्र की कलाकारी दिखाई देती हैं. आज स्कूल की सुंदरता देखते बन रही है.

कभी निजी स्कूल की ओर रुख करते थे बच्चे

बताया जा रहा है कि जब शिक्षक अजित ठाकुर की पोस्टिंग पी.व्ही. 55 के शासकीय प्राथमिक शाला में हुई थी, तब इस स्कूल की स्थिति बेहद दयनीय थी. भवन जर्जर हो चुके थे. बच्चे और पालक इस स्कूल की स्थिति देखकर निजी स्कूलों की ओर जाने लगे थे. शिक्षक अजित ठाकुर ने स्थिति को देखते हुए स्कूल के प्रति बच्चों और पालको का ध्यान आकर्षित करने का उपाय सोचा और अपने अथक प्रयास से जर्जर स्कूल के दीवारों के दरारों को रंगों से भरना शुरु किया.

आकर्षण का केन्द्र बना स्कूल

आकर्षण के केन्द्र बने स्कूल की रूपरेखा देख बच्चे सरकारी स्कूल की ओर अब रुख करने लगे हैं. देखते ही देखते यहां बच्चों की सख्या में भी इजाफा हो रहा है. बताया जाता है कि पहले यहां महज 9 छात्र थे, लेकिन स्कूल की बदलती हालत को देख अब बच्चों की संख्या 21 हो गई है. इतना ही नहीं अब निजी स्कूल से निकलकर बच्चे इस सरकारी स्कूल की ओर बढ़ने लगे हैं. स्कूल की दीवारों के रंगों को और चित्रकला को देख बच्चे भी स्कूल की ओर आकर्षित हो रहे है.

यूं बदली स्कूल की रंगत

बताया जा रहा है कि बच्चे दीवारों पर बने चित्रों से पढ़ने लगे हैं, जिससे उनमें न सिर्फ पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ी है बल्कि उनके बौद्धिक स्तर में भी वृद्धि हुई हैं. वहीं, ईटीवी से खास बातचीत के दौरान शिक्षक अजित ठाकुर ने कहा कि ये मेरे छात्रों द्वारा मुझे दिया गया सबसे बड़ा गुरुदक्षिणा हैं. उन्होंने बताया कि उनके इस नेक काम में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पिंकी ठाकुर जो स्वयं भी एक शिक्षिका हैं, उन्होंने भी सहयोग किया.

कांकेर : कहते हैं कि योग्यता को किसी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होती. लेकिन योग्य बनने के लिए एक शिक्षक (Teacher) की आवश्यकता तो जरूर होती है. शिक्षक समाज का दर्पण होता है. एक शिक्षक अपनी मेहनत से आने वाले पीढ़ी को एक बेहतर भविष्य देता है. यही कारण है कि शिक्षक को भगवान (God) से भी ऊपर माना गया है.

निजी स्कूलों के बच्चे भी कर रहे रूख

मॉडर्न स्कूल में किया तब्दील

कुछ इसी तरह एक बेहतरीन नजीर बने कांकेर(Kanker) जिला के पखांजूर नगरपंचायत (Pakhanjur Nagar Panchayat) के अंतर्गत पी.वी. 55 (PV 55) के प्राथमिक शाला (Primary school) के शिक्षक (Teacher) अजित ठाकुर (Ajit Thakur) . जिन्होंने अपने मेहनत और सूझबूझ से शासकीय जर्जर स्कूल (Government dilapidated school) को आज एक मॉर्डन स्कूल (Modern school) में तब्दील कर दिया है.

कभी जर्जर था स्कूल

कहा जाता है कि इस स्कूल में कभी छत से पानी टपकता था, तो दीवारों पे दरारें हुआ करती थी. लेकिन मौजूदा समय में उस जर्जर स्कूल की दीवारों पर दरारें नही बल्कि खूबसूरत शिक्षाप्रद चित्र की कलाकारी दिखाई देती हैं. आज स्कूल की सुंदरता देखते बन रही है.

कभी निजी स्कूल की ओर रुख करते थे बच्चे

बताया जा रहा है कि जब शिक्षक अजित ठाकुर की पोस्टिंग पी.व्ही. 55 के शासकीय प्राथमिक शाला में हुई थी, तब इस स्कूल की स्थिति बेहद दयनीय थी. भवन जर्जर हो चुके थे. बच्चे और पालक इस स्कूल की स्थिति देखकर निजी स्कूलों की ओर जाने लगे थे. शिक्षक अजित ठाकुर ने स्थिति को देखते हुए स्कूल के प्रति बच्चों और पालको का ध्यान आकर्षित करने का उपाय सोचा और अपने अथक प्रयास से जर्जर स्कूल के दीवारों के दरारों को रंगों से भरना शुरु किया.

आकर्षण का केन्द्र बना स्कूल

आकर्षण के केन्द्र बने स्कूल की रूपरेखा देख बच्चे सरकारी स्कूल की ओर अब रुख करने लगे हैं. देखते ही देखते यहां बच्चों की सख्या में भी इजाफा हो रहा है. बताया जाता है कि पहले यहां महज 9 छात्र थे, लेकिन स्कूल की बदलती हालत को देख अब बच्चों की संख्या 21 हो गई है. इतना ही नहीं अब निजी स्कूल से निकलकर बच्चे इस सरकारी स्कूल की ओर बढ़ने लगे हैं. स्कूल की दीवारों के रंगों को और चित्रकला को देख बच्चे भी स्कूल की ओर आकर्षित हो रहे है.

यूं बदली स्कूल की रंगत

बताया जा रहा है कि बच्चे दीवारों पर बने चित्रों से पढ़ने लगे हैं, जिससे उनमें न सिर्फ पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ी है बल्कि उनके बौद्धिक स्तर में भी वृद्धि हुई हैं. वहीं, ईटीवी से खास बातचीत के दौरान शिक्षक अजित ठाकुर ने कहा कि ये मेरे छात्रों द्वारा मुझे दिया गया सबसे बड़ा गुरुदक्षिणा हैं. उन्होंने बताया कि उनके इस नेक काम में उनकी धर्मपत्नी श्रीमती पिंकी ठाकुर जो स्वयं भी एक शिक्षिका हैं, उन्होंने भी सहयोग किया.

Last Updated : Oct 20, 2021, 11:34 PM IST
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