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कांकेर में लड़कियों की जिद ने दिलाई सुदूर अंचल कोयलीबेड़ा में एम्बुलेंस सुविधा

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Published : Dec 23, 2022, 6:57 PM IST

कांकेर के सुदूर अंचल कोयलीबेड़ा में एम्बुलेंस के लिए स्थानीय लड़कियों की जिद struggle of girls for ambulance की वजह से प्रशासन को सुविधा देनी पड़ी. ambulance in remote area लड़कियों ने क्षेत्र की जरूरत को देखते हुए जिला मुख्यालय से लेकर ब्लॉक स्तर तक आवेदन किया. स्थानीय प्रशासन ने लड़कियों के संघर्ष को देखा और कोयलीबेड़ा क्षेत्र में 108 एम्बुलेंस सुविधा का विस्तार करवाया. kanker news update

ambulance in remote area
लड़कियों की जिद ने दिलाई एम्बुलेंस सुविधा
लड़कियों की जिद ने दिलाई एम्बुलेंस सुविधा

कांकेर: कोयलीबेड़ा क्षेत्र के सुदूर क्षेत्रों की रहने वाली राजेश्वरी उईके, रितु नरेटी, कलेश्वरी आँचला, रोशनी आँचला, माही मरकाम, अश्वनतीन दर्रो, सनिता नवगो, दुलसा पटेल, लडकियां कालेज में पढ़ाती हैं. struggle of girls for ambulance जो अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य और शिक्षा की मूलभूत सुविधाओं के विस्तार को लेकर लगातार संघर्ष करती रहती हैं. kanker news update

45 किमी से एम्बुलेंस आता था: कोयलीबेड़ा की कालजे की पढ़ाई कर रही राजेश्वरी उईके का कहना है कि "क्षेत्र में हम लोग कुछ पढ़ी लिखी युवती हैं. हमने देखा कि हमारे क्षेत्र में एम्बुलेंस नहीं है.ambulance in remote area हमारे क्षेत्र में मरीजो को काफी दिक्कतों का समाना करना पड़ता था. जब भी कोई बीमार पड़ता था. 45 किमी से एम्बुलेंस आता था. फिर मरीजो को ले जाता था. इसे देखकर हमने सोचा कि हमारे क्षेत्र में एम्बुलेंस आना चाहिए. हमने पहले जिला मुख्यालय जाकर आवेदन दिया. फिर लगातार एम्बुलेंस की मांग को लेकर ब्लाक स्तर से लेकर जिला स्तर तक आवेदन देते रहे. महीने भर बाद भी हमारी मांग पूरी नही हुई.

एम्बुलेंस के लिए देर रात तक डटी रहीं लडकियां: कलेश्वरी आंचला का कहना है कि "एक दिन हमारी मांगों को लेकर कांकेर कलेक्टर से मिलने गए. लेकिन कलेक्टर कही दौरे में रहने के कारण मिल नहीं पाए. हमें बताया गया कि कलेक्टर शाम 5 बजे लौटेंगे. लेकिन वो 5 बजे नहीं आए. हम लोग वहीं डट गए और तय किया कि रात कहीं भी रहेंगे. लेकिन आज कलेक्टर से मिल कर एम्बुलेंस लेकर ही जायेंगे. फिर कलेक्टर 8 बजे रात को आई. हमने उनसे मिल कर अपना समस्या को रखा. कलेक्टर ने हमारी समस्या को गंभीरता से लिया और दूसरे दिन हमारी मांग पर अमल किया गया. क्षेत्र में एम्बुलेंस भेजा गया."


अगली मांग 102 महतारी एम्बुलेंस की: राजेश्वरी कहती हैं कि "हमारे क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा ठीक नहीं है. क्षेत्र में हम लडकियां जो पढ़ी लिखी हैं. लगातार इस क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं को पाने को लेकर भी जी जान लगा देती है. अभी इस क्षेत्र में 108 एम्बुलेंस तो आ गया है. लेकिन महतारी एम्बुलेंस 102 नहीं है. मेरे घर में ही डिलवरी के लिए जब मैंने फोन किया था. तब अन्तागढ़ या दुर्गुकोंदल से भेजेंगे बोला गया था. जिसकी दूरी लगभग 80 किमी है. स्थिति ठीक नहीं थी मेरी दीदी की. इसी लिए इस क्षेत्र की हम लडकियां हमारे कोयलीबेड़ा क्षेत्र में सुविधाओं की कमी को लेकर लगातार संघर्ष करते रहती है. अभी भी हमारी मांग है कि 102 महतारी एम्बुलेंस की सुविधा जल्द हमे मिले."

यह भी पढ़ें: Kanker: बेचाघाट में आदिवासियों का हल्ला बोल, पुल निर्माण और बीएसएफ कैंप का विरोध

क्षेत्र में नक्सल गतिविधियों भी: गौरतलब हो कि कोयलीबेड़ा के 18 ग्राम पंचायत के 68 गांव सुदूर वनांचल क्षेत्र है. यह क्षेत्र नक्सल गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है. लेकिन इस क्षेत्र की लड़कियों की बहादुरी की कहानियां क्षेत्र में चर्चा का विषय है.

लड़कियों की जिद ने दिलाई एम्बुलेंस सुविधा

कांकेर: कोयलीबेड़ा क्षेत्र के सुदूर क्षेत्रों की रहने वाली राजेश्वरी उईके, रितु नरेटी, कलेश्वरी आँचला, रोशनी आँचला, माही मरकाम, अश्वनतीन दर्रो, सनिता नवगो, दुलसा पटेल, लडकियां कालेज में पढ़ाती हैं. struggle of girls for ambulance जो अपने क्षेत्र में स्वास्थ्य और शिक्षा की मूलभूत सुविधाओं के विस्तार को लेकर लगातार संघर्ष करती रहती हैं. kanker news update

45 किमी से एम्बुलेंस आता था: कोयलीबेड़ा की कालजे की पढ़ाई कर रही राजेश्वरी उईके का कहना है कि "क्षेत्र में हम लोग कुछ पढ़ी लिखी युवती हैं. हमने देखा कि हमारे क्षेत्र में एम्बुलेंस नहीं है.ambulance in remote area हमारे क्षेत्र में मरीजो को काफी दिक्कतों का समाना करना पड़ता था. जब भी कोई बीमार पड़ता था. 45 किमी से एम्बुलेंस आता था. फिर मरीजो को ले जाता था. इसे देखकर हमने सोचा कि हमारे क्षेत्र में एम्बुलेंस आना चाहिए. हमने पहले जिला मुख्यालय जाकर आवेदन दिया. फिर लगातार एम्बुलेंस की मांग को लेकर ब्लाक स्तर से लेकर जिला स्तर तक आवेदन देते रहे. महीने भर बाद भी हमारी मांग पूरी नही हुई.

एम्बुलेंस के लिए देर रात तक डटी रहीं लडकियां: कलेश्वरी आंचला का कहना है कि "एक दिन हमारी मांगों को लेकर कांकेर कलेक्टर से मिलने गए. लेकिन कलेक्टर कही दौरे में रहने के कारण मिल नहीं पाए. हमें बताया गया कि कलेक्टर शाम 5 बजे लौटेंगे. लेकिन वो 5 बजे नहीं आए. हम लोग वहीं डट गए और तय किया कि रात कहीं भी रहेंगे. लेकिन आज कलेक्टर से मिल कर एम्बुलेंस लेकर ही जायेंगे. फिर कलेक्टर 8 बजे रात को आई. हमने उनसे मिल कर अपना समस्या को रखा. कलेक्टर ने हमारी समस्या को गंभीरता से लिया और दूसरे दिन हमारी मांग पर अमल किया गया. क्षेत्र में एम्बुलेंस भेजा गया."


अगली मांग 102 महतारी एम्बुलेंस की: राजेश्वरी कहती हैं कि "हमारे क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा ठीक नहीं है. क्षेत्र में हम लडकियां जो पढ़ी लिखी हैं. लगातार इस क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं को पाने को लेकर भी जी जान लगा देती है. अभी इस क्षेत्र में 108 एम्बुलेंस तो आ गया है. लेकिन महतारी एम्बुलेंस 102 नहीं है. मेरे घर में ही डिलवरी के लिए जब मैंने फोन किया था. तब अन्तागढ़ या दुर्गुकोंदल से भेजेंगे बोला गया था. जिसकी दूरी लगभग 80 किमी है. स्थिति ठीक नहीं थी मेरी दीदी की. इसी लिए इस क्षेत्र की हम लडकियां हमारे कोयलीबेड़ा क्षेत्र में सुविधाओं की कमी को लेकर लगातार संघर्ष करते रहती है. अभी भी हमारी मांग है कि 102 महतारी एम्बुलेंस की सुविधा जल्द हमे मिले."

यह भी पढ़ें: Kanker: बेचाघाट में आदिवासियों का हल्ला बोल, पुल निर्माण और बीएसएफ कैंप का विरोध

क्षेत्र में नक्सल गतिविधियों भी: गौरतलब हो कि कोयलीबेड़ा के 18 ग्राम पंचायत के 68 गांव सुदूर वनांचल क्षेत्र है. यह क्षेत्र नक्सल गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है. लेकिन इस क्षेत्र की लड़कियों की बहादुरी की कहानियां क्षेत्र में चर्चा का विषय है.

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