कांकेर : जिले के परतापुर थानाक्षेत्र के महला गांव में नक्सलियों और बीएसएफ के जवानों के बीच गुरुवार को भीषण मुठभेड़ हुई थी. इस एनकाउंटर में 4 जवान शहीद हो गए थे और 2 घायल हुए थे. मुठभेड़ के बाद डीजी, नक्सल ऑपरेशन गिरधारी नायक यहां पहुंचे और जवानों से मुलाकात की.
डीजी, नक्सल ऑपरेशन गिरधारी नायक ने बताया कि जवान गुरुवार सुबह बीएसएफ 112वीं बटालियन के जवान पुलिया निर्माण में सुरक्षा के लिए माहला कैम्प से निकले थे तभी कैंप से महज एक किलोमीटर दूरी पर घात लगाए बैठे लगभग 200 नक्सलियों ने जवानों को एम्बुश में फंसा कर उन पर हमला बोल दिया था. जब तक जवान संभल पाते 6 जवानों को गोली लग चुकी थी जिसमे से 4 जवान शहीद हो गए.
25 जवानों ने की 200 नक्सलियों की छुट्टी !
बताया जा रहा है कि कैम्प से 25 जवानों की टुकड़ी गश्त पर थी तभी लगभग 12 बजे नक्सलियों ने जवानों पर हमला बोल दिया. जवानों ने भी अपने साथियों को गोली लगने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और नक्सलियों पर काउंटर अटैक किया. जिसमें नक्सलियों के हौसले पस्त हो गए और नक्सली मौके से भागने को मजबूर हो गए. घटना स्थल पर कई जगह खून के धब्बे, घसीट कर ले जाने के निशान मिले हैं. जिससे दावा किया जा रहा है कि मुठभेड़ में नक्सलियों को भी काफी नुकसान हुआ है और कई नक्सली मारे गए हैं. वही घटना स्थल से नक्सल सामग्री भी जब्त की गई है.
डीजी नक्सल ऑपरेशन गिरधारी नायक ने घटना स्थल का दौरा करने के बाद कहा कि नक्सली बड़ी वारदात को अंजाम देने के फिराक में थे. लेकिन जवानों की सूझ-बूझ से बड़ी घटना टल गई. उन्होंने बताया कि हमले में करीब 200 नक्सली मौजूद थे और बीएसएफ के महज 25 जवानों ने उनका दिलेरी से सामना किया, जिसके चलते नक्सलियों को भागना पड़ा. घटना स्थल से करीब आधा दर्जन आईईडी बम बरामद किए गए है जिसे मौके पर ही डिफ्यूज कर दिया गया.
डीजी ने कहा कि इस घटना में बीएसएफ के 4 जवान शहीद हो गए पर जवानों ने भी कई नक्सली मार गिराए हैं. उन्होंने कहा कि इस घटना में हमारे जवानों ने बहादुरी दिखाते हुए नक्सलियों का सामना किया और मुहतोड़ जवाब दिया. घटना स्थल में पड़े खून के धब्बे और घसीटने के निशान से यह स्पष्ट हो जाता है कि कई नक्सली मारे गए हैं और कई घायल भी हुए हैं.
कैंप से एक किलोमीटर दूर थे 200 नक्सली, कैसे नहीं लगी भनक
इस बीच सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि कैंप से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर इतनी अधिक संख्या में नक्सली मौजूद थे, तो इसकी भनक पुलिस को कैसे नहीं लगी. इस घटना के बाद कहीं न कहीं पुलिस के सूचना तंत्र पर सवाल खड़ा हो रहा है कि अगर 200 नक्सली वहां मौजूद थे तो इसकी जानकारी कैसे नहीं मिली. पुलिस का सूचना तंत्र फेल कैसे हो गया. जो लोकसभा चुनाव में परेशानी खड़ी कर सकता है.