कांकेर: सरकार प्रदेश में खिलाड़ियों की प्रतिभाओं को निखारने के लिए तमाम सुविधाएं उप्लब्ध करा रही है. इसके लिए लाखों-करोड़ों खर्च कर खेल स्टेडियम का भी निर्माण कराया जा रहा है लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही से सरकार के इन तमाम प्रयासों को पलीता लग रहा है. कांकेर शहर से सटे सिंगारभाट में 3 करोड़ रुपये की लागत से बना स्टेडियम आज कबाड़ में तब्दील हो गया है.
2011 में बने इस स्टेडियम का उद्घाटन तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने किया था. तब लोगों ने उम्मीद जताई थी कि युवाओं को खेल के क्षेत्र में अवसर मिलेगा, लेकिन कुछ दिनों बाद ही यह स्टेडियम पुलिस विभाग को सौंप दिया गया. बाद में इसे जवानों के लिए अस्थाई कैंप बना दिया गया. हालांकि जवानों ने कुछ दिनों बाद स्टेडियम खाली कर दिया. तब से कोई जिम्मेदार इसकी तरफ देखने नहीं आया. देख-रेख के अभाव में आज स्टेडियम कबाड़ में तब्दील हो गया है.
दीवारों में पड़ चुकी हैं दरारें
स्टेडियम में बने कमरों की दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं. खिड़कियों के कांच असामाजिक तत्वों ने तोड़ डाले हैं. दीवारों पर अपशब्दों की भरमार है. पूरे कमरे में गंदगी भरी पड़ी है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब करोड़ों रुपये खर्च कर स्टेडियम का निर्माण किया जाता है, तो आखिर क्यों देख-रेख में इस तरह की लापरवाही बरती जाती है.
स्विमिंग पूल भी हो गया है कबाड़
स्टेडियम में खिलाड़ियों के लिए स्वीमिंग पूल बनाया गया था, जो कि अब पूरी तरह से कबाड़ हो गया है. यहां की टाइल्स उखड़ चुकी है. असामाजिक तत्वों ने इसे भी बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया है. इसके साथ ही यहां बने जिम का भी हाल भी बेहाल है. जिम की छत उड़ चुकी है. अंदर लगे कांच तोड़ दिए गए हैं. प्रशासन की लापरवाही के चलते करोड़ों रुपये की लागत से बना स्टेडियम अब मात्र कबाड़खाना बनकर रह गया है.
प्रशासन की उदासीनता का शिकार हो गया स्टेडियम
एक तरफ करोड़ों रुपये की लागत से बना यह स्टेडियम कबाड़ बन चुका है, इसकी देख रेख करने में प्रशासन विफल साबित हुआ है. वहीं दूसरी तरफ शहर के बीच 8 करोड़ की लागत से इंडोर स्टेडियम बनाया जा रहा है. अब देखना यह होगा कि इस स्टेडियम का लाभ खिलाड़ियों को मिल सकेगा या यह भी प्रशासन की उदासीनता का शिकार हो जाएगा.