कांकेर: विश्व आदिवासी दिवस के दिन आज कांकेर में जन सैलाब उमड़ पड़ा. कांकेर मुख्यालय में हजारों की संख्या में आदिवासी इकट्ठा हुए और दो किलोमीटर लंबी रैली निकाली. यह रैली गोंडवाना भवन से मेला भाटा तक आयोजित की गई. इस दौरान सर्व आदिवासी समाज के नेता सोहन पोटाई सहित कई दिग्गज आदिवासी नेता मौजूद रहे.
आदिवासी समाज के नेता सोहन पोटाई ने कहा कि आदिवासियों का कांकेर में यह जन सैलाब 2023 का आगाज है. 2023 में आदिवासी मुख्यमंत्री गद्दी पर बैठेगा. सरकार से हम विभिन्न मांगों को लेकर लगातार बातचीत करते रहे. लेकिन सरकार ने हमारी एक भी मांग पूरी नहीं की. इस बार जगह-जगह जल-जंगल-जमीन के संरक्षण को लेकर प्रण लिया गया.
सोहन पोटाई ने इस मौके पर आदिवासियों के लिए लड़ाई लड़ने की बात कही है. उन्होंने कहा कि,पूंजीवादी नीति के तहत कॉरपोरेट लूट जल, जंगल, जमीन के दोहन, आदिवासियों को दिए अधिकारों के हनन, संवैधानिक व्यवस्था को कायम रखने और नक्सल उन्मूलन के नाम पर आदिवासियों की हत्याओं को लेकर लड़ाई तेज होगी.
वहीं गांव-गांव से आए आदिवासियों ने मांदर की थाप पर नाचते-झूमते हुए रैली निकाली. परंपरागत नृत्य और आदिवासी लोक कलाओं से सजी विश्व आदिवासी दिवस की महफिल पूरी तरह से रंगीन हो गई. पारंपरिक वाद यंत्रों के साथ सड़कों पर नृत्य करते हुए रैली निकली गई. इस मौके पर आदिवासी समाज काफी खुश नजर आया.
क्यों मनाया जाता है विश्व आदिवासी दिवस ?
इस दिवस को सबसे पहली बार शुरुआत सयुंक्त राज्य अमेरिका में मनाया गया था. विश्व आदिवासी दिवस आदिवासी समाज के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए यह मनाया जाता है. साथ ही इस दौरान आदिवासियों की मौजूदा हालात, समस्याएं और उनकी उपलब्धियों पर चर्चा होती है. प्रकृति के सबसे करीब रहनेवाले आदिवासी समुदाय ने कई क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभाई है.