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VIDEO: खतरे में मासूमों का भविष्य, झोपड़ी में बैठकर पढ़ रहे नौनिहाल - कांकेर न्यूज

कांकेर के सुलंगी गांव के कस्तूरा प्राथमिक शाला का हाल बेहाल है. यहां के स्कूल की छत टूट कर बच्चों के ऊपर गिर रही है. बच्चों को झोपड़ी बनाकर उसमें पढ़ाया जा रहा है.

झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर है बच्चे
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Published : Oct 22, 2019, 8:56 AM IST

Updated : Nov 11, 2019, 11:57 AM IST

कांकेर: एक ओर सरकार शिक्षा को लेकर करोड़ों रुपए हर साल खर्च करती है, अच्छी सुविधाएं देने की बात करते हैं, जिससे छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा मिल सके, लेकिन वहीं दूसरी ओर इस स्कूल की हालात इतनी दयनीय है कि बच्चे झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर हैं.

खतरे में मासूमों का भविष्य, झोपड़ी में बैठकर पढ़ रहे नौनिहाल

ये तस्वीरें कांकेर के सुलंगी गांव के कस्तूरा प्राथमिक शाला का है, जो कि पूरी तरह जर्जर हो चुका है. स्कूल की छत टूट कर बच्चों के ऊपर गिर रही है. छत की छड़ों में जंग लगकर पूरी तरह सड़ चुकी है, कभी भी पूरा छत गिर सकता है.

छत की शिला गिर रही है

वहीं ग्रामीण का कहना है कि यह स्कूल भवन कॉफी पुराना है, छत का शिला गिर रहा है. बच्चों के साथ कभी भी कोई भी दुर्घटना हो सकती है.

नए स्कूल बनाने को लेकर कई बार आवेदन दिया गया है

वहीं दूसरे ग्रामीण ने बताया कि सरपंच और सचिव को कई बार नए स्कूल बनाने को लेकर आवेदन दिया है, लेकिन सरकार तक आवेदन पहुंची है या नहीं इसकी जानकारी उन्हें नहीं दी गई है.

झोपड़ी बनाकर उसमें पढ़ाया जा रहा है

बता दें कि इस भयानक स्कूल में भरी बारिश में बच्चे इसी भवन में बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं, लेकिन अब बैठने की कगार में भी यह स्कूल नहीं है. बच्चों में हमेशा डर बना रहता है कहीं छत न गिर जाए. इसी भय से बच्चों को झोपड़ी तैयार किया गया है और बच्चों को झोपड़ी बनाकर उसमें पढ़ाया जा रहा है.

कस्तूरा गांव के बच्चे झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर है

शासन बच्चों के भविष्य के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करती है. वहीं कस्तूरा गांव के बच्चे झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर है.

कांकेर: एक ओर सरकार शिक्षा को लेकर करोड़ों रुपए हर साल खर्च करती है, अच्छी सुविधाएं देने की बात करते हैं, जिससे छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा मिल सके, लेकिन वहीं दूसरी ओर इस स्कूल की हालात इतनी दयनीय है कि बच्चे झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर हैं.

खतरे में मासूमों का भविष्य, झोपड़ी में बैठकर पढ़ रहे नौनिहाल

ये तस्वीरें कांकेर के सुलंगी गांव के कस्तूरा प्राथमिक शाला का है, जो कि पूरी तरह जर्जर हो चुका है. स्कूल की छत टूट कर बच्चों के ऊपर गिर रही है. छत की छड़ों में जंग लगकर पूरी तरह सड़ चुकी है, कभी भी पूरा छत गिर सकता है.

छत की शिला गिर रही है

वहीं ग्रामीण का कहना है कि यह स्कूल भवन कॉफी पुराना है, छत का शिला गिर रहा है. बच्चों के साथ कभी भी कोई भी दुर्घटना हो सकती है.

नए स्कूल बनाने को लेकर कई बार आवेदन दिया गया है

वहीं दूसरे ग्रामीण ने बताया कि सरपंच और सचिव को कई बार नए स्कूल बनाने को लेकर आवेदन दिया है, लेकिन सरकार तक आवेदन पहुंची है या नहीं इसकी जानकारी उन्हें नहीं दी गई है.

झोपड़ी बनाकर उसमें पढ़ाया जा रहा है

बता दें कि इस भयानक स्कूल में भरी बारिश में बच्चे इसी भवन में बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं, लेकिन अब बैठने की कगार में भी यह स्कूल नहीं है. बच्चों में हमेशा डर बना रहता है कहीं छत न गिर जाए. इसी भय से बच्चों को झोपड़ी तैयार किया गया है और बच्चों को झोपड़ी बनाकर उसमें पढ़ाया जा रहा है.

कस्तूरा गांव के बच्चे झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर है

शासन बच्चों के भविष्य के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करती है. वहीं कस्तूरा गांव के बच्चे झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर है.

Intro:कहीं जर्जर स्कूल बन ना जाये स्कूल में पड़ने वाले नन्हे मुन्ने बच्चों का जान का दुश्मन , इसलिए गांव वालों ने बना दी झोपड़ी, अब झोपड़ी में बच्चे पड़ने को मजबूरBody:कोयलीबेड़ा से 8 किलो मी दूर ग्राम पंचायत सुलंगी के आश्रित ग्राम कस्तूरा में प्राथमिक शाला अत्यंत जर्जर हो चुका है स्कूल की छत टूट टूट कर बच्चो के ऊपर गिरते है , छत की छड़ जंग लगने से पूरी तरह सड़ चुका है जो कभी भी पूरा छत गिर सकता है , इस भयानक स्कूल में भरी बारिश में बच्चे इसी भवन में बैठ कर पड़ने के लिए मजबूर थे लेकिन अब बैठने की कगार पे यह स्कूल नही है जिसके चलते बच्चो को झोपड़ी बनाकर उसमे पढ़ाया जा रहा है , कही छत न गिर जाए इस भय से गांव वालों ने यह झोपड़ी तैयार किया है जहाँ शासन ने बच्चों के भविष्य के लिए लाखों करोड़ों खर्च करने की दावा करती है Conclusion:वहीं इस कस्तूरा गांव के बच्चे झोपड़ी पे पड़ने को हैं मजबूर आखिर इनकी मजबूरी और जरूरत कौन समझेगा और शासन प्रशासन के लिए इस समस्या को समाधान करने की सबसे बड़ी चुनौती होगी क्योंकि झोपड़ी में पड़ने के लिए बच्चे मजबूर है आज
Last Updated : Nov 11, 2019, 11:57 AM IST
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