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क्या प्रशासन कर रहा है इस नदी के तांडव का इंतजार, अभी तक नहीं कराया कोई इंतजाम

प्रशासन की लापरवाही से बारिश का मौसम आने से पहले ही नदी के किनारे वाले वार्डो के निवासियों को डर सताने लगा है कि कहीं फिर दूध नदी ने विकराल रूप दिखाया तो उनकी मुसीबतें बढ़ जाएंगी.

दूध नदी
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Published : Jun 3, 2019, 11:57 PM IST

कांकेर: बारिश का मौसम आते ही लोगों को दूध नदी का खौफ सताने लगता है. शहर की जीवनदायिनी दूध नदी बारिश के मौसम में विकराल रूप धर लेती है, नदी का आतंक यहां रहने वाले कई बार झेल चुके हैं. 3 साल पहले आई भीषण बाढ़ के बाद प्रशासन ने तटों पर पिचिंग कराने की बात कही थी लेकिन अब तक ये काम पूरा नहीं हो सका है.

बारिश में 'जान की दुश्मन' बन जाती है ये नदी

प्रशासन की लापरवाही से बारिश का मौसम आने से पहले ही नदी के किनारे वाले वार्डो के निवासियों को डर सताने लगा है कि कहीं फिर दूध नदी ने विकराल रूप दिखाया तो उनकी मुसीबतें बढ़ जाएंगी. नदी के किनारे राजापारा, भंडारीपारा, महादेव वार्ड के साथ-साथ शहर का मुख्य बाजार है, जहां बारिश के मौसम में बाढ़ का खतरा बना रहता है.

मलंजकुडुम जल प्रपात से निकली है दूध नदी
शहर के मध्य से होकर गुजरने वाली दूध पहाड़ी नदी है, जो मलंजकुडुम जल प्रपात से निकली है. पहाड़ी नदी होने के कारण यहां पानी काफी तेजी से बढ़ता है, जिसके चलते जब-जब भारी बारिश होती है, नदी का पानी तेज बहाव के साथ बढ़ता है.

1978, 2005, 2013, 2016 में शहर नदी का विकराल रूप देख चुका है. जब नदी का पानी शहर के अंदर घुसा तो मेन मार्केट समेत कई वार्ड डूब गए थे. इस दौरान नदी में भारी कटाव से आकार भी कई जगहों पर बढ़ गया था, जिसे प्रशासन द्वारा पीचिंग कार्य कराकर मरम्मत की बात कही गई थी. लेकिन कार्य न कराए जाने की वजह से यहां के लोग डरे हुए हैं और बारिश का मौसम भी सिर पर है.

चौड़ी होकर बस्ती तक पहुंच चुकी है नदी
सबसे ज्यादा खतरा भण्डारीपरा और महादेव वार्ड के लोगों को है जहां कटाव के बाद नदी चौड़ी होकर बस्ती को छूने लगी है. ऐसे में अगर बाढ़ जैसे हालात बनते है तो ये बस्तियां पूरी तरह पानी मे डूब जाएंगी जिससे जन- धन की हानि का खतरा बना रहता है.

महीनों कैंप में रहे थे लोग
2016 में जब दूध नदी उफान पर थी, तो कई घरों में पानी घुस गया है. कई कच्चे मकान धराशाई हो गए थे. कई परिवारों को महीनों तक कैंप में रहकर जीवनयापन करने मजबूर होना पड़ा था, उसके बाद भी प्रशासन की आंखें अब तक नहीं खुली हैं.

स्टॉप डैम की नहीं हुई सफाई
शहर के पुराने बस स्टैंड के पीछे दूध नदी पर छोटा स्टॉप डेम बना हुआ है जो बाढ़ का सबसे बड़ा कारण है. इस डैम में कचरा फंसने से पानी का बहाव अपनी दिशा बदल देता है. पानी शहर में घुस जाता है, सब जानते हुए भी अब तक इसकी सफाई नहीं की गई है. इस डैम को तोड़ने के लिए व्यापारियों ने कई बार आंदोलन किया है. लेकिन प्रशासन का रवैया उदासीन है.

जल्द होंगे कार्य: कलेक्टर
इस मामले में कलेक्टर के एल चौहान का कहना है कि 56 करोड़ की राशि से नदी के तट पर पीचिंग कार्य होना है. साथ ही नदी के किनारे तीन किलोमीटर तक पाइप लाइन भी बिछाई जानी है, जिसके लिए जल संसाधन विभाग के द्वारा प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया है. जल्द ही कार्य शुरू कराया जाएगा.

कांकेर: बारिश का मौसम आते ही लोगों को दूध नदी का खौफ सताने लगता है. शहर की जीवनदायिनी दूध नदी बारिश के मौसम में विकराल रूप धर लेती है, नदी का आतंक यहां रहने वाले कई बार झेल चुके हैं. 3 साल पहले आई भीषण बाढ़ के बाद प्रशासन ने तटों पर पिचिंग कराने की बात कही थी लेकिन अब तक ये काम पूरा नहीं हो सका है.

बारिश में 'जान की दुश्मन' बन जाती है ये नदी

प्रशासन की लापरवाही से बारिश का मौसम आने से पहले ही नदी के किनारे वाले वार्डो के निवासियों को डर सताने लगा है कि कहीं फिर दूध नदी ने विकराल रूप दिखाया तो उनकी मुसीबतें बढ़ जाएंगी. नदी के किनारे राजापारा, भंडारीपारा, महादेव वार्ड के साथ-साथ शहर का मुख्य बाजार है, जहां बारिश के मौसम में बाढ़ का खतरा बना रहता है.

मलंजकुडुम जल प्रपात से निकली है दूध नदी
शहर के मध्य से होकर गुजरने वाली दूध पहाड़ी नदी है, जो मलंजकुडुम जल प्रपात से निकली है. पहाड़ी नदी होने के कारण यहां पानी काफी तेजी से बढ़ता है, जिसके चलते जब-जब भारी बारिश होती है, नदी का पानी तेज बहाव के साथ बढ़ता है.

1978, 2005, 2013, 2016 में शहर नदी का विकराल रूप देख चुका है. जब नदी का पानी शहर के अंदर घुसा तो मेन मार्केट समेत कई वार्ड डूब गए थे. इस दौरान नदी में भारी कटाव से आकार भी कई जगहों पर बढ़ गया था, जिसे प्रशासन द्वारा पीचिंग कार्य कराकर मरम्मत की बात कही गई थी. लेकिन कार्य न कराए जाने की वजह से यहां के लोग डरे हुए हैं और बारिश का मौसम भी सिर पर है.

चौड़ी होकर बस्ती तक पहुंच चुकी है नदी
सबसे ज्यादा खतरा भण्डारीपरा और महादेव वार्ड के लोगों को है जहां कटाव के बाद नदी चौड़ी होकर बस्ती को छूने लगी है. ऐसे में अगर बाढ़ जैसे हालात बनते है तो ये बस्तियां पूरी तरह पानी मे डूब जाएंगी जिससे जन- धन की हानि का खतरा बना रहता है.

महीनों कैंप में रहे थे लोग
2016 में जब दूध नदी उफान पर थी, तो कई घरों में पानी घुस गया है. कई कच्चे मकान धराशाई हो गए थे. कई परिवारों को महीनों तक कैंप में रहकर जीवनयापन करने मजबूर होना पड़ा था, उसके बाद भी प्रशासन की आंखें अब तक नहीं खुली हैं.

स्टॉप डैम की नहीं हुई सफाई
शहर के पुराने बस स्टैंड के पीछे दूध नदी पर छोटा स्टॉप डेम बना हुआ है जो बाढ़ का सबसे बड़ा कारण है. इस डैम में कचरा फंसने से पानी का बहाव अपनी दिशा बदल देता है. पानी शहर में घुस जाता है, सब जानते हुए भी अब तक इसकी सफाई नहीं की गई है. इस डैम को तोड़ने के लिए व्यापारियों ने कई बार आंदोलन किया है. लेकिन प्रशासन का रवैया उदासीन है.

जल्द होंगे कार्य: कलेक्टर
इस मामले में कलेक्टर के एल चौहान का कहना है कि 56 करोड़ की राशि से नदी के तट पर पीचिंग कार्य होना है. साथ ही नदी के किनारे तीन किलोमीटर तक पाइप लाइन भी बिछाई जानी है, जिसके लिए जल संसाधन विभाग के द्वारा प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया है. जल्द ही कार्य शुरू कराया जाएगा.

Intro:कांकेर - बारिश का मौसम जैसे जैसे नजदीक आता है , शहर के लोगो को दूध नदी का डर सताने लगता है , शहर की जीवनदायनी नदी कहे जाने वाली दूध नदी ने अब तक चार बार अपना विकराल रूप दिखाया है और शहरवासी बाढ़ का आतंक झेल चुके है , तीन साल पहले आई भीषण बाढ़ के चलते नदी के किनारों में भारी कटाव हुआ था और नदी कई जगहों पर काफी चौड़ी हो चुकी है , जिसके बाद प्रशासन ने नदी के तटों पर पीचिंग करवाने की बात कही थी , लेकिन तीन सालों में यह काम नही हो सका है , जिससे इस बारिश के मौसम से पहले ही नदी के किनारे वाले वार्डो के निवासियों को डर सताने लगा है कि कही फिर दूध नदी ने विकराल रूप दिखाया तो उनकी मुसीबते बढ़ जाएंगी।


Body:शहर के मध्य से होकर गुजरने वाली दूध नदी पहाड़ी नदी है जो कि मलंजकुडुम जल प्रपात से निकली है। पहाड़ी नदी होने के कारण यहां पानी काफी तेजी से बढ़ता है जिसके चलते जब जब बारिश के मौसम में दो से तीन दिन तक बारिश की झड़ी लगती है तो यहां नदी का पानी बहुत ही तीव्र गति से बढ़ता है , नदी के किनारे राजापारा , भण्डारीपारा , महादेव वार्ड के साथ साथ ही शहर का मुख्य बाजार है ,जहा बारिश के मौसम में बाढ़ का खतरा बना रहता है , 1978 , 2005 ,2013, 2016 ,में शहर नदी का विकराल रूप देख चूका है जब नदी का पानी शहर के अंदर घुस गया था और शहर का मुख्य बाजार समेत कई वार्ड पानी मे डूब गए थे , इस दौरान नदी में भारी कटाव से नदी का आकार भी कई जगहों पर बढ़ गया था जिसे प्रशासन द्वारा पीचिंग कार्य कर मरम्मत की बात कही गई थी , आज तीन साल बीत चुके है लेकिन अब तक पीचिंग का कार्य शुरू तक नही हो सका है और एक बार फिर बारिश का मौसम नजदीक है ऐसे में नदी के किनारे वाले बस्ती के लोगो के मन मे अभी से दहशत बनी हुई है।

चौड़ी होकर बस्ती तक पहुच चुकी है नदी
सबसे ज्यादा खतरा भण्डारीपरा और महादेव वार्ड के लोगो को है जहा, कटाव के बाद नदी चौड़ी होकर बस्ती को छूने लगी है , ऐसे में यदि बाढ़ जैसे हालात बनते है तो ये बस्तियां पूरी तरह पानी मे डूब जाएंगी जिससे जन- धन की हानि का खतरा बना रहता है।

महीनों में कैम्प में रहे थे लोग
2016 में जब दूध नदी ने अपना विकराल रूप दिखाया था तो कई घरों में पानी घुस गए थे , कई कच्चे मकान धराशायी हो गए थे और कई परिवारों को महीनों तक कैम्प में रहकर जीवनयापन करने मजबूर होना पड़ा था , उसके बाद भी प्रशासन की आंखे अब तक नही खुली है।

स्टॉप डेम की नही हुई सफाई
शहर के पुराने बस स्टैंड के पीछे दूध नदी पर छोटा स्टॉप डेम बना हुआ है जो कि बाढ़ का सबसे बड़ा कारण है , इस डेम में कचरे फसने से पानी का बहाव अपनी दिशा बदल देता है और पानी शहर में घुस जाता है उसके बाद भी अब तक इस डेम की सफाई नही की जा सकी है , अनयुपयोगी इस डेम को तोड़ने भी व्यपारियो ने कई बार आंदोलन किये है लेकिन इसको लेकर भी प्रशासन का रवैया उदासीन ही रहा है।


Conclusion:जल्द होंगे कार्य- कलेक्टर
इस मामले में कलेक्टर के एल चौहान का कहना है कि 56 करोड़ की राशि से नदी के तट पर पीचिंग कार्य होने है साथ ही नदी के किनारे तीन किलोमीटर तक पाइप लाइन भी बिछाई जानी है , जिसके लिए जल संसाधन विभाग के द्वारा प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया है , जल्द ही कार्य शुरू करवाया जाएगा।

बाइट 1 के एल चौहान कलेक्टर
2 कृष्णा स्थानीय निवासी नीली टी शर्ट में
3 देवेश स्थानीय निवासी चश्मे में
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