कांकेर: पिछले चार दिनों से बालोद और कांकेर जिले के बॉर्डर पर डेरा डाले हाथियों का दल (group of elephants) भानुप्रतापपुर की सीमा तक आ गया है. बीते रविवार की रात साल्हे गांव के जंगलों से निकलकर ऊंचपानी गांव से होते हाथियों का दल (herd of elephants) भानुप्रतापपुर से महज चार किलोमीटर दूर स्थित चिचगांव के जंगलों में पहुंच गया है. सोमवार शाम साढ़े 6 बजे हाथियों के इस दल ने भानुप्रतापपुर-कांकेर मुख्य मार्ग को पार करने का प्रयास किया. लेकिन सड़क पर लोगों की भारी भीड़ और गाड़ियां खड़े होने के कारण ये दल फिलहाल सड़क के किनारे स्थित पहाड़ी की तलहटी में ही है. हाथियों की मौजूदगी से इलाके में इस कदर दहशत फैल गई है कि लोग खुद को हाथियों से बचाने के लिए पानी की टंकी (water tank) पर चढ़ गए हैं.
वन विभाग (Forest department) का अमला हाथियों की गतिविधियों पर लगातार नजर बनाए हुए है. वहीं बिजली विभाग (electricity department) ने हाथियों के मौजूदगी वाले इलाके की बिजली बंद कर दी है. भानुप्रतापपुर-कांकेर सड़क के व्यस्त होने की वजह से हाथियों का दल सड़क पार नहीं कर पा रहा है. हाथियों के दल में से तीन चार हाथी पहाड़ की तलहटी के नीचे देखे गए हैं.
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फसलों को पहुंचाया नुकसान
रविवार को हाथियों ने भानबेड़ा के आमापारा में कई किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया. इसके पहले ऊंचपानी गांव में भी हाथियों ने तीन से चार किसानों की फसल को बर्बाद कर दिया. हाथियों ने चिचगांव के गोडोपारा में कुछ घरों को भी नुकसान पहुंचाया है. वन विभाग (Forest department) के अनुमान के मुताबिक हाथियों का ये दल कांकेर-भानुप्रतापपुर व्यस्त सड़क को पार कर हाटकर्रा, भेजा के सघन जंगलो की ओर जाने की कोशिश कर रहा है.
इसी क्षेत्र में रहने की जानकारी
वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक रविवार की रात दल के कुछ हाथियों ने सड़क पार की थी. लेकिन कुछ दूर जाकर फिर वापस पहाड़ की तलहटी में चले गए थे. बहरहाल अनुमान लगाया जा रहा है कि हाथियों का ये दल अभी कुछ दिनों तक इसी क्षेत्र में रहेगा.