कांकेर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 27 और 28 जनवरी को कांकेर के दो दिवसीय दौरे पर रहेंगे. सीएम जिले में विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे. इसके अलावा जैव विविधता का विमोचन और वन अधिकार समिति सम्मेलन को भी संबोधित करेंगे. लेकिन मुख्यमंत्री के आने से पहले राजनीति गरमा गई है. कोरोना संक्रमण काल के दौरान मुख्यमंत्री के इतने बड़े आयोजन को लेकर राजनीतिक पार्टियां आरोप लगाने लगी हैं. राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि जब बस्तर क्षेत्र के ऐतिहासिक मेला-मड़ाई की परंपरा निभाने में कोरोना वायरस का खतरा है, तो मुख्यमंत्री के इतने बड़े कार्यक्रम में कोरोना का खतरा नहीं है क्या? जिससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस सरकार दोहरी नीति दर्शाती है.
कांकेर के सांसद मोहन मंडावी ने आरोप लगाया कि हजारों साल से चला आ रहा देव मेला मड़ई पर कोरोना के कारण प्रतिबंध लगा दिया गया. एक ओर मुख्यमंत्री कांकेर आ रहे हैं. इतनी भीड़ इकट्ठा की जा रही है. नेताओं को कोरोना नहीं होता है क्या? मेला मड़ई की परंपरा निभाने वालों को कोरोना हो जाता. भूपेश सरकार परंपरा रीति रिवाजों को सहेजने की बात करती है. ऐसी दोहरी नीति अपनाना मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देता.
पढ़ें-'शासकीय भूमि में लगाए जाएंगे उद्योग, नहीं ली जाएगी आदिवासियों की जमीन'
आम आदमी पार्टी ने भी उठाये सवाल
आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने कहा कि कांकेर का ऐतिहासिक मेला जो कई वर्षों से मनाते आ रहे है, उस पर रोक लगा दी गई. इसकी वजह थी कोरोना, लेकिन दूसरी ओर मुख्यमंत्री ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं. अब कार्यक्रम कांकेर में होना है, सभा में क्या भीड़ नहीं होगी? ये कैसा कोरोना है मुझे समझ में नहीं आता?