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शहीद की मूर्ति का अनावरण, हार पहनाते हुए बिलख पड़ी पत्नी और मां

कांकेर विधायक शिशुपाल शोरी ने शहीद हेमंत कुमार पोया की मूर्ति का अनावरण किया. इस बीच कलेक्टर समेत शहीद के परिवार और सैकड़ों लोग मौजूद रहे. अनावरण के दौरान शहीद की पत्नी और मां मूर्ति को हार पहनाते हुए बिलख पड़ी. विधायक शिशुपाल शोरी ने शहीद की पत्नी को सांतवाना देते हुए ढ़ांढस बंधाया. पढ़िए पूरी खबर...

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शहीद हेमंत कुमार पोया की मूर्ति का अनावरण
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Published : Feb 13, 2021, 6:11 PM IST

Updated : Feb 13, 2021, 7:24 PM IST

कांकेर: सुकमा के चिंतागुफा थाना क्षेत्र में करीब 500 नक्सलियों से लोहे लेते हुए हेमंत कुमार पोया शहीद हो गए थे. शहीद हेमंत कुमार पोया की प्रतिमा का अनावरण किया गया. अनावरण समारोह में विधायक शिशुपाल शोरी मौजूद रहे. शिशुपाल शोरी ने डंवरखार गांव में मूर्ति का अनावरण किया है. इस बीच शहीद की पत्नी डिकेश्वरी पोया और माता सोहद्रा पोया मौजूद रहीं.

शहीद हेमंत कुमार पोया की मूर्ति का अनावरण

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अनावरण के दौरान शहीद की पत्नी और मां मूर्ति को हार पहनाते हुए बिलख पड़ी. विधायक शिशुपाल शोरी ने शहीद की पत्नी को सांतवाना देते हुए ढ़ांढस बंधाया. जबकि शहीद की मां को पूर्व विधायक सुमित्रा मारकोले ने ढ़ाढस बंधाया. मूर्ति अनावरण के बाद शिशुपाल शोरी ने ध्वजारोहण किया. कार्यक्रम के दौरान शहीद के पिता गुलाबराम पोया, बड़े भाई जिन्तेन्द्र पोया, भाभी अंजिता पोया समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे.

सुकमा : मुठभेड़ में एक महिला नक्सली समेत 2 नक्सली ढेर

समाज में परिवार को गर्वांवित किया

विधायक शिशुपाल शोरी ने कहा कि शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में उन लोगों की मूर्ति रहती है, जो देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरते हैं. उसके बाद उन्हें लंबे वक्त तक याद किया जाता है. इसी तरह आज शहीद हेमंत पोया की मूर्ति का अनावरण हुआ. उनका परिवार बहुत गौरवान्वित हुआ है.

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500 नक्सलियों से लड़े थे जवान

कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि जब यह वारदात हुई उस दौरान वह सुकमा कलेक्टर थे. यह घटना सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र में हुई थी. कलेक्टर ने कहा कि 500 नक्सलियों से लड़ने वाले यह 18 जवान असली शेर हैं, जिन्होंने युद्ध करते हुए अपनी जान की कुर्बानी दी है. उस दिन ये जवान पीछे हट जाते तो करीब 100 लोग मारे जाते, जिन्हें बचाने के लिए अभिमन्यु की तरह यह जवान लड़ते रहे.

21 मार्च 2020 को हुए शहीद

शहीद के भाई ने बताया शहीद हेमंत कुमार पोया का जन्म 11 जून 1987 को हुआ था. 12 वीं तक की पढ़ाई करने के बाद पुलिस भर्ती की तैयारी शुरू कर दी थी. 1 मई 2013 को आरक्षक के पद पर पांचवीं वाहिनी शसक्त बल जगदलपुर में नियुक्त किया गया था. 5 अप्रैल 2015 को स्पेशल टास्क फोर्स में नियुक्त हुए. इसके बाद धुर नक्सल क्षेत्र दोरनापाल, कीस्टाग्राम, इरादून, जगदगुंडा और गुरकापाल में सेवाएं दिए. गुरकापाल में सेवा देते हुए 21 मार्च 2020 को शहीद हुए.

कांकेर: सुकमा के चिंतागुफा थाना क्षेत्र में करीब 500 नक्सलियों से लोहे लेते हुए हेमंत कुमार पोया शहीद हो गए थे. शहीद हेमंत कुमार पोया की प्रतिमा का अनावरण किया गया. अनावरण समारोह में विधायक शिशुपाल शोरी मौजूद रहे. शिशुपाल शोरी ने डंवरखार गांव में मूर्ति का अनावरण किया है. इस बीच शहीद की पत्नी डिकेश्वरी पोया और माता सोहद्रा पोया मौजूद रहीं.

शहीद हेमंत कुमार पोया की मूर्ति का अनावरण

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अनावरण के दौरान शहीद की पत्नी और मां मूर्ति को हार पहनाते हुए बिलख पड़ी. विधायक शिशुपाल शोरी ने शहीद की पत्नी को सांतवाना देते हुए ढ़ांढस बंधाया. जबकि शहीद की मां को पूर्व विधायक सुमित्रा मारकोले ने ढ़ाढस बंधाया. मूर्ति अनावरण के बाद शिशुपाल शोरी ने ध्वजारोहण किया. कार्यक्रम के दौरान शहीद के पिता गुलाबराम पोया, बड़े भाई जिन्तेन्द्र पोया, भाभी अंजिता पोया समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे.

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समाज में परिवार को गर्वांवित किया

विधायक शिशुपाल शोरी ने कहा कि शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में उन लोगों की मूर्ति रहती है, जो देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरते हैं. उसके बाद उन्हें लंबे वक्त तक याद किया जाता है. इसी तरह आज शहीद हेमंत पोया की मूर्ति का अनावरण हुआ. उनका परिवार बहुत गौरवान्वित हुआ है.

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500 नक्सलियों से लड़े थे जवान

कलेक्टर चंदन कुमार ने कहा कि जब यह वारदात हुई उस दौरान वह सुकमा कलेक्टर थे. यह घटना सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र में हुई थी. कलेक्टर ने कहा कि 500 नक्सलियों से लड़ने वाले यह 18 जवान असली शेर हैं, जिन्होंने युद्ध करते हुए अपनी जान की कुर्बानी दी है. उस दिन ये जवान पीछे हट जाते तो करीब 100 लोग मारे जाते, जिन्हें बचाने के लिए अभिमन्यु की तरह यह जवान लड़ते रहे.

21 मार्च 2020 को हुए शहीद

शहीद के भाई ने बताया शहीद हेमंत कुमार पोया का जन्म 11 जून 1987 को हुआ था. 12 वीं तक की पढ़ाई करने के बाद पुलिस भर्ती की तैयारी शुरू कर दी थी. 1 मई 2013 को आरक्षक के पद पर पांचवीं वाहिनी शसक्त बल जगदलपुर में नियुक्त किया गया था. 5 अप्रैल 2015 को स्पेशल टास्क फोर्स में नियुक्त हुए. इसके बाद धुर नक्सल क्षेत्र दोरनापाल, कीस्टाग्राम, इरादून, जगदगुंडा और गुरकापाल में सेवाएं दिए. गुरकापाल में सेवा देते हुए 21 मार्च 2020 को शहीद हुए.

Last Updated : Feb 13, 2021, 7:24 PM IST
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