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मरापी गांव के बच्चों का नहीं होगा स्वास्थ्य परीक्षण, पहाड़ी सड़क में फंसी टीम

स्वास्थ्य विभाग की चिरायु टीम स्कूली और आंगनबाड़ी बच्चों के स्वास्थ्य की जांच के लिए गांव आ रही थी, लेकिन टीम की गाड़ी रास्ते में ही फंसकर खराब हो गई.

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Published : Oct 18, 2019, 10:02 AM IST

कच्ची सड़क में फंसी गाड़ी.

कांकेर: पुलिस मितान कार्यक्रम के तहत करीब 2 साल पहले मरापी गांव पहुंची पुलिस टीम ने पहाड़ी चट्टानों को काटकर गांव तक पहुंचमार्ग बनाया था, लेकिन प्रशासन ने इस कच्ची पहुंच मार्ग की जगह पक्की सड़क बनाने की जरूरत नहीं समझी और जवानों की मेहनत बारिश में बह गई. अब गांव में पहुंचने की कोशिश कर रही स्वास्थ्य विभाग की टीम इस रास्ते में ही फंस गई और आधे रास्ते से ही वापस लौट गई.

पहाड़ी सड़क में फंसी स्वास्थ्य विभाग की टीम

नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण मरापी गांव में सड़क का निर्माण नहीं हो सका है. स्वास्थ्य विभाग की चिरायु टीम गांव के स्कूली और आंगनबाड़ी के बच्चों के स्वास्थ्य जांच के लिए गांव पहुंचने की कोशिश कर रही थी, लेकिन टीम की गाड़ी गांव के रास्ते में ही फंसकर खराब हो गई और आधे रास्ते से ही लौट गई.

3 कलेक्टर बदले, नहीं बदली तस्वीर
मरापी में जब पुलिस विभाग द्वारा कच्ची सड़क बनाई गई थी, उस दौरान पहली बार इस गांव में जनसमस्या निवारण शिविर का आयोजन किया गया था. तब तत्कालीन कलेक्टर टॉमन सिंह सोनवानी समेत आला अधिकारी यहां पहुंचे थे. इसके बाद दो कलेक्टर और बदल गए, लेकिन इस गांव की तस्वीर अब तक नहीं बदली है.

खतरों से खेलकर स्कूल पहुंचते हैं शिक्षक
मरापी गांव के प्राथमिक स्कूल के शिक्षक रोज इन खतरनाक रास्तों से होकर स्कूल पहुचते हैं. शिक्षक ने बताया कि उन्हें हमेशा किसी हादसे का डर रहता है, लेकिन ड्यूटी तो करनी ही है, इसलिए जैसे-तैसे स्कूल पहुंचते हैं.

आधे रास्ते से लौटा स्वास्थ्य अमला
मरापी गांव के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए जा रहे स्वास्थ्य अमले के डॉ. राजेश शुक्ला ने बताया कि पहाड़ी रास्ता बुरी तरह खराब हो चुका है, उस पर उनकी गाड़ी फंस गई और गाड़ी का इंजन अधिक गर्म हो जाने के कारण गाड़ी में खराबी आ गई. उन्हें आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा.

बता दें चिरायु टीम साल में एक बार हर गांव में जाकर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करती है, लेकिन सड़क की समस्या होने से मरापी गांव के बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल सकेगा.

कांकेर: पुलिस मितान कार्यक्रम के तहत करीब 2 साल पहले मरापी गांव पहुंची पुलिस टीम ने पहाड़ी चट्टानों को काटकर गांव तक पहुंचमार्ग बनाया था, लेकिन प्रशासन ने इस कच्ची पहुंच मार्ग की जगह पक्की सड़क बनाने की जरूरत नहीं समझी और जवानों की मेहनत बारिश में बह गई. अब गांव में पहुंचने की कोशिश कर रही स्वास्थ्य विभाग की टीम इस रास्ते में ही फंस गई और आधे रास्ते से ही वापस लौट गई.

पहाड़ी सड़क में फंसी स्वास्थ्य विभाग की टीम

नक्सल प्रभावित इलाका होने के कारण मरापी गांव में सड़क का निर्माण नहीं हो सका है. स्वास्थ्य विभाग की चिरायु टीम गांव के स्कूली और आंगनबाड़ी के बच्चों के स्वास्थ्य जांच के लिए गांव पहुंचने की कोशिश कर रही थी, लेकिन टीम की गाड़ी गांव के रास्ते में ही फंसकर खराब हो गई और आधे रास्ते से ही लौट गई.

3 कलेक्टर बदले, नहीं बदली तस्वीर
मरापी में जब पुलिस विभाग द्वारा कच्ची सड़क बनाई गई थी, उस दौरान पहली बार इस गांव में जनसमस्या निवारण शिविर का आयोजन किया गया था. तब तत्कालीन कलेक्टर टॉमन सिंह सोनवानी समेत आला अधिकारी यहां पहुंचे थे. इसके बाद दो कलेक्टर और बदल गए, लेकिन इस गांव की तस्वीर अब तक नहीं बदली है.

खतरों से खेलकर स्कूल पहुंचते हैं शिक्षक
मरापी गांव के प्राथमिक स्कूल के शिक्षक रोज इन खतरनाक रास्तों से होकर स्कूल पहुचते हैं. शिक्षक ने बताया कि उन्हें हमेशा किसी हादसे का डर रहता है, लेकिन ड्यूटी तो करनी ही है, इसलिए जैसे-तैसे स्कूल पहुंचते हैं.

आधे रास्ते से लौटा स्वास्थ्य अमला
मरापी गांव के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए जा रहे स्वास्थ्य अमले के डॉ. राजेश शुक्ला ने बताया कि पहाड़ी रास्ता बुरी तरह खराब हो चुका है, उस पर उनकी गाड़ी फंस गई और गाड़ी का इंजन अधिक गर्म हो जाने के कारण गाड़ी में खराबी आ गई. उन्हें आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा.

बता दें चिरायु टीम साल में एक बार हर गांव में जाकर बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करती है, लेकिन सड़क की समस्या होने से मरापी गांव के बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल सकेगा.

Intro:कांकेर - आज से लगभग 2 साल पहले जब पुलिस मितान कार्यक्रम के तहत पुलिस जवानों ने पहाड़ी चट्टानों को काटकर मरापी गांव तक पहुच मार्ग बनाया था तब इस नक्सल प्रभावित गांव के लोगो मे एक उम्मीद जागी थी कि अब उनके गांव तक पक्की सड़क बनेगी और उनके गांव का विकास हो पाएगा, लेकिन प्रशासन की उदासीनता के चलते गांव वालों की उम्मीद पर पानी फिरता नज़र आ रहा है । जो कच्ची सड़क जवानों ने बनाई थी वो बारिश में बह चुकी है और अब हालात ये है कि इस गांव में आज स्वास्थ्य टीम बच्चो की जांच के लिए जा रही थी लेकिन सड़के इस कदर खराब थी कि उनकी वाहन बीच रास्ते के ही फंस कर खराब हो गई और उन्हें बीच से ही वापस लौटना पड़ा।


Body:मरापी गांव जाने पहले मात्र पगडंडी रास्ते थे घनी पहाड़ी और नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां सड़क निर्माण नही हो पा रहा था, तब पुलिस जवानों ने पहाड़ी रास्तो को काटकर यहां कच्ची सड़क बनाई थी, जिसके बाद प्रशासन की जिम्मेदारी थी यहां सीसी सड़क का निर्माण करवाना लेकिन 2 साल में प्रशासन इस काम की शुरुवात तक नही कर सका है । आज स्वास्थ्य विभाग की चिरायु टीम गांव के स्कूली और आंगनबाड़ी के बच्चो के स्वास्थ्य जांच के लिए निकली थी, लेकिन खराब सड़को पर उनकी गाड़ी खराब होकर फंस गई जिससे उन्हें आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा और बच्चे जांच से वंचित रह गए । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस गांव के हालात कैसे है , यहां के लोगो के पास स्वास्थ्य सुविधा भी नही पहुच पा रही है क्योंकि सड़के ही ऐसी है कि इन पर गाड़ी चलाना जान जोखिम में डालने जैसा है ।

3 कलेक्टर बदल गए पर नही बदली तस्वीर
मरापी में जब पुलिस विभाग के द्वारा सड़के बनाई गई थी उस दौरान पहली बार इस गांव के जन समस्या निवारण शिविर का आयोजन किया गया था तब तत्कालीन कलेक्टर टॉमन सिंह सोनवानी समेत आला अधिकारी यहां पहुँचे थे ,इसके बाद दो कलेक्टर और बदल गए लेकिन इस गांव की तस्वीर अब तक नही बदली है ।

शिक्षक रोजाना खतरों से खेलकर पहुचते है स्कूल
मरापी गांव के प्राथमिक स्कूल के शिक्षक रोज़ इन खतरनाक रास्तो से होकर स्कूल पहुचते है, शिक्षक ने बताया कि आने जाने में भारी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है हर पल हादसे का डर मन मे रहता है पर ड्यूटी तो करनी ही है, इसलिए जैसे तैसे स्कूल पहुँचते है ।



Conclusion:आधे रास्ते से लौटना पड़ा स्वास्थ्य अमले को

मरापी गांव स्वास्थ्य परीक्षण के लिए जा रहे स्वास्थ्य अमले के डॉ राजेश शुक्ला ने बताया कि पहाड़ी रास्ते जो कि बुरी तरह खराब हो चुकी है उस पर उनकी गाड़ी फंस गई और गाड़ी का इंजन अधिक गर्म हो जाने के कारण गाड़ी में खराबी आ गई जिससे अब उन्हें आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा । बता दे कि चिरायु टीम साल में एक बार हर गांव में जाकर बच्चो का स्वास्थ्य परीक्षण करती है, लेकिन अब मरापी गांव के बच्चो को इसका लाभ नही मिल सकेगा ।

बाइट- डॉ राजेश शुक्ला

रसालूराम कवाची शिक्षक

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