कांकेर : जिले का अंतागढ़ विधानसभा हमेशा से सुर्खियों में रहा हैं. जहां हर विधानसभा चुनाव में कुछ न कुछ विवाद देखने को मिला है. इस बार अंतागढ़ विधानसभा से मंतूराम पवार ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. मंतूराम पवार यहां से निर्दलीय पर्चा भरेंगे. आपको बता दें कि एक समय था जब मंतूराम पवार ने कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा.फिर चुनाव से ठीक पहले, चुनाव लड़ने से मना कर दिया. जिसके बाद कांग्रेस ने करारी शिकस्त अंतागढ़ विधानसभा क्षेत्र में खाई थी. उसके बाद चुनाव में मंतूराम पवार ने कभी चुनाव नहीं लड़ा.लेकिन अब एक बार फिर मंतूराम ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
क्या है मंतूराम का आरोप : मंतूराम पवार की माने तो उनके समाज ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया है.इसलिए वो समाज और स्थानीय लोगों के भरोसे में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. मंतूराम पवार ने आरोप लगाते हुए कहा कि '' आरक्षण के मुद्दे पर दोनों ही पार्टी की निष्क्रियता के कारण आज एसटी, एससी और ओबीसी वर्ग को आरक्षण से वंचित होना पड़ रहा है. ऐसे में अब सर्व समाज की तरफ से वो अंतागढ़ विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. जिसमें वो अपने क्षेत्र का विकास और अपने लोगों की हक की लड़ाई लड़ेंगे."
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कौन हैं मंतूराम पवार : मंतूराम पवार 1998 में अंतागढ़, नारायणपुर सीट जब एक हुआ करती थी तब कांग्रेस की टिकट से चुनाव जीतकर आये थे. फिर उन्हें 2008 और 2013 में भाजपा के प्रत्याशी विक्रम उसेंडी ने हराया . विक्रम उसेंडी को सासंद का टिकट मिलने पर उपचुनाव में उन्हें कांग्रेस से फिर से प्रत्याशी बनाया था . लेकिन मंतूराम ने नाम वापसी के अंतिम दिन नाम वापस लेकर प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया था. नाम वापसी को लेकर हुए बातचीत का ऑडियो भी सामने आया था. इस टेपकांड में काफी बड़े बड़े राजनीति हस्तियों के नाम उजगार हुए थे. नाम वापसी कांड और टेपकांड ने मंतूराम पवार को प्रदेश ही नही बल्कि पूरे देश के चर्चित कर दिया था.