कांकेर: जिला मुख्यालय से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सरंगपाल शिव मंदिर स्थित है. 60 सालों से माघ पूर्णिमा के अवसर पर ग्राम सरंगपाल के त्रिवेणी संगम पर स्नान करने दूर-दूर से लोग पहुंचते है. शनिवार की सुबह से ही लोग यहां पहुंचे और नदी में डुबकी लगाने के बाद भगवान शिव का जलाभिषेक किया.
आधी रात से ही महानदी घाट पर भक्तों का जुटना शुरू हो गया था. स्नान और भगवान शिव की पूजा-अर्चना के साथ दो दिनों तक चलने वाले सरंगपाल मेले की शुरूआत भी हो गई. गांव में मंदिर समिति के सदस्य गयाराम देवांगन बताते है कि माघी पूर्णिमा के दिन यहां दूर-दूर से लोग आते हैं. यहां डुबकी लगा के मन्नत मांगते हैं. गयाराम देवांगन मंदिर का इतिहास बताते हुए कहते है कि त्रिवेणी संगम पर हटकुल नदी,दूध नदी, और महानदी एक साथ मिलती है. वहां शिवलिंग स्थित है.
राजिम माघी पुन्नी मेला: हजारों श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में लगाई डुबकी
किवदंती है कि साल्हेटोला एक गांव है, जहां राजा का परिवार रहता था. उनको पता चला कि त्रिवेणी संगम में शिवलिंग प्रकट हुआ है. शिवलिंग को राजा ने अपने गांव साल्हेटोला ले जाने की सोची. वे बैलगाड़ी ले के आए, लेकिन जैसे ही शिवलिंग को बैलगाड़ी में रखते थे, बैलगाड़ी टूट जाती थी. ऐसी ही 3 से 4 बैलगाड़ी टूट गई. इसीलिए राजा के परिवार ने यहां मंदिर बना के शिवलिंग और बाकी मूर्तियों की स्थापना की. लोगों ने बताया कि माघी पुन्नी और शिवरात्रि दिन यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.