कांकेर: भानुप्रतापर विधानसभा उपचुनाव की तारीख का ऐलान होते ही राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हो गई है. इससे पहले तीन चुनाव का इतिहास देखें तो यहां पर दो बार भारतीय जनता पार्टी और एक बार कांग्रेस ने बाजी मारी है. 2003 और 2008 में बीजेपी जीती लेकिन 2013 में हैट्रिक बनाने से चूक गई थी. 2018 में फिर कांग्रेस ने बाजी मारी थी.
एक नजर भानुप्रतापपुर विधानसभा पर: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में स्थित भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट आदिवासी बहुल इलाका है. महाराष्ट्र बॉर्डर के पास स्थित है. क्षेत्र में किसानों की बहुलता के साथ ही हर वर्ग के वोटर यहां मौजदू है. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने यहां से जीत हासिल की थी.
2003 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
देवलाल डुग्गा, बीजेपी, 40803 वोट
मनोज मंडावी, कांग्रेस, 39424 वोट
2008 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
ब्रह्मानंद, बीजेपी, 41384 वोट
मनोज मंडावी, निर्दलीय, 25905 वोट
2013 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
मनोज मंडावी, कांग्रेस, 64837 वोट
सतीश लतिया, बीजेपी, 49941 वोट
2018 विधानसभा चुनाव, एसटी सीट
मनोज मंडावी, कांग्रेस, 72520 वोट
देवलाल दुग्गा, बीजेपी 45827 वोट
भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव की तारीख का ऐलान
कांग्रेस का गढ़ है भानुप्रतापपुर सीट: वैसे तो भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट को कांग्रेस का परम्परागत सीट माना जाता रहा है. लेकिन छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पार्टी को दो बार पराजय भी मिली है. पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ बगावत के कारण ही दोनों बार हार मिली थी.
भानुप्रातपुर में इन प्रत्यशियों के नामों की हो रही चर्चा: कांग्रेस से स्व मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी का नाम चर्चा में है तो वही कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष बीरेश ठाकुर का नाम भी चर्चा में है.
ललित नरेटी भी कांग्रेस से प्रलब दावेदार: आदिवासी समाज से प्रबल दावेदार ललित नरेटी की भी चर्चा है. वर्तमान में प्रदेश उपाध्यक्ष जिला महासचिव सर्व आदिवासी समाज ( युवा प्रभाग ) छत्तीसगढ़, छग टीचर्स एसोसिएशन कांकेर सदस्य वर्किंग ग्रुप, राज्य योजना आयोग छत्तीसगढ़ में कार्यरत है. युवाओं में अच्छी पकड़ भी है. ललित नरेटी भी कांग्रेस से प्रलब दावेदार है.
भाजपा से कई नामों की चर्चा, दुग्गा टॉप पर: भाजपा से कई दावेदारों के नामों की चर्चा हो रही है. जिन नामों पर सबसे ज्यादा चर्चा है, उनमें वरिष्ठ नेता देवलाल दुग्गा सबसे आगे हैं. दुग्गा एक बार मनोज मंडावी को पराजित कर चुके हैं जबकि दो बार उनको हार मिली है. इसके बाद पूर्व विधायक ब्रम्हानंद नेताम भी प्रबल दावेदार हैं.