कांकेर : जिले के कई गांव बारिश के दौरान टापू बन जाते है. गांव के चारों ओर बहने वाले बरसाती नाले बारिश में उफान पर होते हैं. पुलिया नहीं होने से ग्रामीण कई बार इन नालों के चपेट में आ जाते हैं. अंजाड़ी, माचपल्ली, पीवी-62 जैसे क्षेत्रों में बारिश के दौरान पुल नहीं होने से परेशानी होती है. अंजाड़ी में बारिश से पहले नालों को पार करने के लिए ग्रामीणों ने वैकल्पिक पुल बनाकर आवागमन किया था. लेकिन तेज बारिश और पानी के बहाव के कारण ये वैकल्पिक पुल बह गया, जिसके बाद एक बार फिर गांव का संपर्क ब्लॉक मुख्यालय से टूट गया है.
बारिश में बहा जुगाड़ का पुल : बारिश से पहले ग्रामीणों ने देसी पुल बनाया था. लेकिन बारिश के कारण ये पुल बह गया. ग्रामीणों की माने तो पिछले बीस साल से ये लोग पुल की मांग कर रहे हैं. मांग पूरी नहीं होने पर बांस और बल्लियों के सहारे देसी पुल बनाया था. इस पुल की मदद से सैंकड़ों ग्रामीण ब्लॉक मुख्यालय में आते जाते थे. लेकिन बारिश शुरू होते ही पुल पानी में बह गया, जिससे एक बार फिर गांव का संपर्क ब्लॉक मुख्यालय से टूट गया है.
छत्तीसगढ़ राज्य को बने 20 साल हो गए. 15 साल बीजेपी की सरकार रह चुकी हैं. कांग्रेस की सरकार को साढ़े 4 साल होने जा रहा है. हमारी मांग दोनों सरकार में रही. लेकिन अब तक हमारे गांव में आने-जाने के लिए पुल का निर्माण नहीं किया गया है. -नरेश नरेटी, ग्रामीण
पुल नहीं होने से मुश्किल : अंजाड़ी नाला को पार कर लगभग 15 से 20 गांव के ग्रामीण पखांजूर मुख्यालय में आते हैं. पखांजुर से महज 13 किमी दूर अंजाड़ी में पुल नही होने से ग्रामीणों के सिर पर खतरा मंडराते रहता है.नदी और नाला उफान पर होने के कारण कई बार मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते और उनकी मौत हो जाती है.बच्चों का स्कूल प्रभावित होता है.वहीं राशन का सामान भी गांव नहीं पहुंच पाता.
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आपको बता दें कि अंजाड़ी नाला पर पुल निर्माण के लिए स्वीकृति मिल चुकी है. सात करोड़ 44 लाख 23 हजार रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति 10 अगस्त 2021 को मिली है. क्षेत्रीय विधायक ने जोर-शोर से पुल निर्माण का भूमिपूजन भी किया गया, लेकिन पुल का निर्माण नहीं हो सका.