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Children Cross Swollen River in Kanker: कोयलीबेड़ा में उफनती नदी पार कर स्कूल जाने को मजबूर बच्चे और शिक्षक, 10 साल से कर रहे पुल बनाने की मांग

Children Cross Swollen River in Kanker उफनती नदी या नालों को पार करते लोग दिखे तो समझ जाइए, आप कांकेर के कोयलीबेड़ा या अंतागढ़ विकासखंड पहुंच चुके हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में ऐसे कई गांव मिलेंगे, जहां दूसरे गांव या स्कूल जाने के लिए नदी-नाले पार करने के लिए पुल नहीं है. जिसकी वजह से सभी लोग अपनी जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं.

Children Cross Swollen River in Kanker
कोयलीबेड़ा विकासखंड के ग्राम पोरोंडी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 17, 2023, 8:53 AM IST

ग्राम पोरोंडी में स्कूली बच्चे नदी पार करते हुए

कांकेर: जिले के कोयलीबेड़ा विकासखंड के ग्राम पोरोंडी में स्कूली बच्चे और शिक्षक उफनती नदी पार करने को मजबूर हैं. क्योंकि ग्राम पोरोंडी के खासपारा स्थित स्कूल में जाने के लिए पोरोंडी नदी को पार करना पड़ता है. लेकिन पोरोंडी नदी में कोई पुल नहीं होने की वजह से बच्चे और टीचर कमर भर पानी और तेज लहरों को पैदल पार कर रोज स्कूल जाते हैं.

जान जोखिम में डाल नदी पार कर रहे बच्चे: पुल नहीं होने से स्टूडेंट्स, टीचर और मरीजों के साथ आम जनता को बारिश के दिनों में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जिले के अंदरूनी इलाके में ऐसे कई स्कूल हैं, जहां पहुंचने के लिए सड़क या पुल नहीं है. लेकिन फिर भी यहां के कई शिक्षक नदी पार कर हर रोज स्कूल पहुंचते हैं.

नदी पार कर स्कूल जाती है शिक्षिका: कोयलीबेड़ा विकासखंड के ग्राम पोरोंडी के खासपारा स्थित प्राथमिक शाला में शिक्षिका गंगा दुग्गा पदस्थ हैं. ससुराल भी इसी पंचायत के दूसरे मोहल्ले घासीपारा में है. लेकिन दोनों मोहल्ले के बीच रास्ते में पोरोंडी नदी है, जिसमें अक्टूबर अंत तक पानी लबालब भरा रहता है. जिसकी वजह से बारिश में नदी पार करना मुश्किल होता है. शिक्षिका पिछले 10 साल से कमर तक पानी होने के बावजूद नदी को पार कर रोज स्कूल पहुंच रही है.

"ग्रामीण पिछले कई सालों से नदी में पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. ग्रामीणों ने पुल के लिए जनप्रतिनिधियों और सरकारी कार्यालयों में आवेदन दिया था. लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. - गंगा दुग्गा, शिक्षिका

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नदी में पहले हो चुके हैं कई हादसे: टीचर ने बताया कि, इस नदी में कई हादसे हो चुके हैं. तीन साल पहले गांव का एक युवक बह गया था. जिसकी लाश 3 दिन बाद मिली थी. इन घटनाओं से डर भी लगता है. लेकिन बच्चों के भविष्य के सामने डर कमजोर पड़ जाता है. पोरोंडी के घासीपारा में प्राथमिक शाला है, लेकिन मिडिल स्कूल खासपारा में होने के कारण घासीपारा के 7 बच्चे भी नदी पारकर स्कूल जाते हैं. ज्यादा पानी होने पर उनके पालक आने नहीं देते.

नदी नालों में पुल नहीं होने से बढ़ी परेशानी: कोयलीबेड़ा और अंतागढ़ ब्लॉक में ही सबसे ज्यादा ऐसे स्कूल हैं, जिसके रास्तों में पड़ने वाले नदी नालों में पुल नहीं है. आमाबेड़ा इलाके के मातला और बंडापाल आदि इलाके में पुल नहीं है. कोयलीबेड़ा में कोटरी नदी उस पार कंदाड़ी और अन्य गांव के बच्चों को हाईस्कूल की शिक्षा के लिए छोटेबेठिया आना पड़ता है.

ग्राम पोरोंडी में स्कूली बच्चे नदी पार करते हुए

कांकेर: जिले के कोयलीबेड़ा विकासखंड के ग्राम पोरोंडी में स्कूली बच्चे और शिक्षक उफनती नदी पार करने को मजबूर हैं. क्योंकि ग्राम पोरोंडी के खासपारा स्थित स्कूल में जाने के लिए पोरोंडी नदी को पार करना पड़ता है. लेकिन पोरोंडी नदी में कोई पुल नहीं होने की वजह से बच्चे और टीचर कमर भर पानी और तेज लहरों को पैदल पार कर रोज स्कूल जाते हैं.

जान जोखिम में डाल नदी पार कर रहे बच्चे: पुल नहीं होने से स्टूडेंट्स, टीचर और मरीजों के साथ आम जनता को बारिश के दिनों में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जिले के अंदरूनी इलाके में ऐसे कई स्कूल हैं, जहां पहुंचने के लिए सड़क या पुल नहीं है. लेकिन फिर भी यहां के कई शिक्षक नदी पार कर हर रोज स्कूल पहुंचते हैं.

नदी पार कर स्कूल जाती है शिक्षिका: कोयलीबेड़ा विकासखंड के ग्राम पोरोंडी के खासपारा स्थित प्राथमिक शाला में शिक्षिका गंगा दुग्गा पदस्थ हैं. ससुराल भी इसी पंचायत के दूसरे मोहल्ले घासीपारा में है. लेकिन दोनों मोहल्ले के बीच रास्ते में पोरोंडी नदी है, जिसमें अक्टूबर अंत तक पानी लबालब भरा रहता है. जिसकी वजह से बारिश में नदी पार करना मुश्किल होता है. शिक्षिका पिछले 10 साल से कमर तक पानी होने के बावजूद नदी को पार कर रोज स्कूल पहुंच रही है.

"ग्रामीण पिछले कई सालों से नदी में पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. ग्रामीणों ने पुल के लिए जनप्रतिनिधियों और सरकारी कार्यालयों में आवेदन दिया था. लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है. - गंगा दुग्गा, शिक्षिका

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नदी में पहले हो चुके हैं कई हादसे: टीचर ने बताया कि, इस नदी में कई हादसे हो चुके हैं. तीन साल पहले गांव का एक युवक बह गया था. जिसकी लाश 3 दिन बाद मिली थी. इन घटनाओं से डर भी लगता है. लेकिन बच्चों के भविष्य के सामने डर कमजोर पड़ जाता है. पोरोंडी के घासीपारा में प्राथमिक शाला है, लेकिन मिडिल स्कूल खासपारा में होने के कारण घासीपारा के 7 बच्चे भी नदी पारकर स्कूल जाते हैं. ज्यादा पानी होने पर उनके पालक आने नहीं देते.

नदी नालों में पुल नहीं होने से बढ़ी परेशानी: कोयलीबेड़ा और अंतागढ़ ब्लॉक में ही सबसे ज्यादा ऐसे स्कूल हैं, जिसके रास्तों में पड़ने वाले नदी नालों में पुल नहीं है. आमाबेड़ा इलाके के मातला और बंडापाल आदि इलाके में पुल नहीं है. कोयलीबेड़ा में कोटरी नदी उस पार कंदाड़ी और अन्य गांव के बच्चों को हाईस्कूल की शिक्षा के लिए छोटेबेठिया आना पड़ता है.

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