महासमुंद: ईद-उल-अजहा के मुबारक मौके पर देश भर के मस्जिदों में विशेष निमाज अदा की गई. महासमुंद में भारी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग ईदगाह में नमाज पढ़कर विश्व शांति की दुआ मांगी. इसके बाद सभी ने एक दूसरे के गले लगाकर बधाई दी.
मान्यता है कि हजरत इब्राहिम के कोई औलाद नहीं था, काफी इबादत करने के बाद उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ. उन्होंने अपने बेटे का नाम इस्लाम रखा और एक रात हजरत इब्राहिम के सपने में अल्लाह ने अपनी सबसे प्रिय चीज कुर्बान करने को कहा.
हजरत इब्राहिम की कुर्बानी
हजरत ने आंखों में कपड़ा बांध कर अपने 11 साल के एकलौते बेटे की कुर्बानी देने को तैयार हो गए और जब आंखों से कपड़ा हटाया तो उनका प्रिय बेटा सही सलामत था. उसके बेटे की जगह एक भेड़ की कुर्बानी हो गई और उसी दिन से मुस्लिम समुदाय के लोग हर साल अपनी इच्छा से बकरी की कुर्बानी देने लगे.
कुर्बानी का त्योहार है ईद-उल-अदहा
कांकेर में मुस्लिम भाईयों ने ईद-उल-अजहा के मौके पर सुबह 7 बजे जामा मस्जिद से जुलूस निकाला गया और चौक चौराहों से होते हुए ईदगाह पहुंचे. जहां लोगों ने देश में भाईचारा, अमन और शांति के साथ नक्सलवाद खत्म होने की दुआ मांगी.