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हर्बल होली: फूल-पत्ती और फल के बने रंग से रंगीन हुआ बाजार

इस बार भी इको फ्रेंडली होली के लिए कांकेर की महिलाएं फूलों से हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. ग्रामीण आजीविका मिशन 'विहान' के तहत गांव की महिलाएं स्व-सहायता समूह से जुड़कर गुलाल बनाने का काम कर रही हैं. गुलाल बनाने के लिए महिलाओं ने कृषि विज्ञान केंद्र दंतेवाड़ा से ट्रेनिंग ली है.

Women making herbal gulal
हर्बल गुलाल बनाती महिलाएं
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Published : Mar 3, 2021, 6:12 PM IST

Updated : Mar 3, 2021, 11:35 PM IST

कांकेर: फाल्गुन की शुरुआत होने के साथ ही होली की उमंग ने दस्तक दे दी है. बाजार रंगीन होने लगी है. रंग और गुलाल से दुकानें सजने लगी है. कई तरह के गुलाल बाजारों में उपलब्ध है, लेकिन मिलावट के इस दौर में केमिकल से भरे रंग लोगों के लिए चिंता का विषय है. ऐसे में विहान ग्रुप की महिलाों ने लोगों की होली इको फ्रेंडली बनाने का बीड़ा उठाया है. महिलाएं फूल-पत्तियों और फलों के साथ प्राकृतिक चीजों का उपयोग कर हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. ये रंग लोगों को न केवल केमिकल से भरे रंगों से बचाएगा, बल्कि शरीर को ठंडक भी देगा.

पलाश और प्राकृतिक चीजों से बने हर्बल गुलाल

होली पर लोगों को हर्बल गुलाल उपलब्ध कराने के लिए महिला स्व-सहायता समूह की लगभग 400 महिलाएं जुटी हुई है. महिलाओं ने अब तक 2500 किलो हर्बल गुलाल बनाया है. इन गुलाल को बाजार में प्रति पैकेट 250 रुपये की दर से बेचा जाएगा. इससे महिलाओं को स्व-रोजगार तो मिल रहा है, साथ ही फूलों से बने गुलाल बाजार में उपलब्ध हो पा रहे हैं. बम्लेशवरी महिला समूह से जुड़ी भुनेश्वरी यादव ने बताया कि समूह में 14 महिलाएं हैं. जो पलाश, धवई के फूल से रंग बनाती हैं. पालक, लाल भाजी और मेहंदी के पत्तों से भी रंग बनाया जा रहा है. भुनेश्वरी ने बताया कि अब तक उन्होंने 30 किलो गुलाल बनाया है. इससे कम से कम हर महिला को 6 हजार रुपए तक की कमाई होगी.

herbal gulal made from natural things
फूलो से बने हर्बल गुलाल

ऐसे बनाया जाता है हर्बल गुलाल

  • फूलों को तोड़कर या चुनकर इकट्ठा किया जाता है.
  • फूलों की छंटाई की जाती है.
  • छंटाई करने के बाद उन्हें पानी से साफ किया जाता है.
  • फूलों को पीस कर उसका पेस्ट तैयार किया जाता है.
  • पेस्ट तैयार करने के बाद उसमें अरारोट पाउडर मिलाकर उसे सुखाया जाता है.
  • पाउडर सूखने के बाद उसे छानकर गुलाल तैयार किया जाता है.
    herbal gulal made from natural things
    पलाश के फूल

प्राकृतिक चीजों से बनाया जाता है रंग

महिला समूह से जुड़ी ख्याति जैन ने बताया कि इन हर्बल गुलालों से लोगों को किसी तरह का कोई इंफेक्शन नहीं होगा. अगर धोखे से रंग आंख या मुंह में चला जाता है तो भी इसका कोई नुकसान नहीं है. ख्याति ने बताया कि उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र दंतेवाड़ा से हर्बल गुलाल बनाने की ट्रेनिंग ली है. उन्होंने बताया कि होली के त्योहार को देखते हुए बीते 3 महीने से रंग बनाये जा रहे हैं. इसमें पलाश के फूल, धवई के फूल, कत्था, सिंदूर के बीज, मेहंदी, चुकंदर और हरी सब्जियों का उपयोग कर रंग तैयार किया जाता है.

herbal gulal made from natural things
हर्बल गुलाल बनाती महिलाएं

रसायनिक रंगों से नुकसान

  • केमिकल से भरे रंग त्वचा को शुष्क करता है.
  • केमिकल से भरे रंगों से एलर्जी की समस्या शुरू हो जाती है.
  • चहरे और शरीर में लाल दाने आने लगते हैं.
  • आंखों के लिए बेहद नुकसानदायक है.
  • रोशनी जाने का खतरा होता है.

कांकेर: फाल्गुन की शुरुआत होने के साथ ही होली की उमंग ने दस्तक दे दी है. बाजार रंगीन होने लगी है. रंग और गुलाल से दुकानें सजने लगी है. कई तरह के गुलाल बाजारों में उपलब्ध है, लेकिन मिलावट के इस दौर में केमिकल से भरे रंग लोगों के लिए चिंता का विषय है. ऐसे में विहान ग्रुप की महिलाों ने लोगों की होली इको फ्रेंडली बनाने का बीड़ा उठाया है. महिलाएं फूल-पत्तियों और फलों के साथ प्राकृतिक चीजों का उपयोग कर हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. ये रंग लोगों को न केवल केमिकल से भरे रंगों से बचाएगा, बल्कि शरीर को ठंडक भी देगा.

पलाश और प्राकृतिक चीजों से बने हर्बल गुलाल

होली पर लोगों को हर्बल गुलाल उपलब्ध कराने के लिए महिला स्व-सहायता समूह की लगभग 400 महिलाएं जुटी हुई है. महिलाओं ने अब तक 2500 किलो हर्बल गुलाल बनाया है. इन गुलाल को बाजार में प्रति पैकेट 250 रुपये की दर से बेचा जाएगा. इससे महिलाओं को स्व-रोजगार तो मिल रहा है, साथ ही फूलों से बने गुलाल बाजार में उपलब्ध हो पा रहे हैं. बम्लेशवरी महिला समूह से जुड़ी भुनेश्वरी यादव ने बताया कि समूह में 14 महिलाएं हैं. जो पलाश, धवई के फूल से रंग बनाती हैं. पालक, लाल भाजी और मेहंदी के पत्तों से भी रंग बनाया जा रहा है. भुनेश्वरी ने बताया कि अब तक उन्होंने 30 किलो गुलाल बनाया है. इससे कम से कम हर महिला को 6 हजार रुपए तक की कमाई होगी.

herbal gulal made from natural things
फूलो से बने हर्बल गुलाल

ऐसे बनाया जाता है हर्बल गुलाल

  • फूलों को तोड़कर या चुनकर इकट्ठा किया जाता है.
  • फूलों की छंटाई की जाती है.
  • छंटाई करने के बाद उन्हें पानी से साफ किया जाता है.
  • फूलों को पीस कर उसका पेस्ट तैयार किया जाता है.
  • पेस्ट तैयार करने के बाद उसमें अरारोट पाउडर मिलाकर उसे सुखाया जाता है.
  • पाउडर सूखने के बाद उसे छानकर गुलाल तैयार किया जाता है.
    herbal gulal made from natural things
    पलाश के फूल

प्राकृतिक चीजों से बनाया जाता है रंग

महिला समूह से जुड़ी ख्याति जैन ने बताया कि इन हर्बल गुलालों से लोगों को किसी तरह का कोई इंफेक्शन नहीं होगा. अगर धोखे से रंग आंख या मुंह में चला जाता है तो भी इसका कोई नुकसान नहीं है. ख्याति ने बताया कि उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र दंतेवाड़ा से हर्बल गुलाल बनाने की ट्रेनिंग ली है. उन्होंने बताया कि होली के त्योहार को देखते हुए बीते 3 महीने से रंग बनाये जा रहे हैं. इसमें पलाश के फूल, धवई के फूल, कत्था, सिंदूर के बीज, मेहंदी, चुकंदर और हरी सब्जियों का उपयोग कर रंग तैयार किया जाता है.

herbal gulal made from natural things
हर्बल गुलाल बनाती महिलाएं

रसायनिक रंगों से नुकसान

  • केमिकल से भरे रंग त्वचा को शुष्क करता है.
  • केमिकल से भरे रंगों से एलर्जी की समस्या शुरू हो जाती है.
  • चहरे और शरीर में लाल दाने आने लगते हैं.
  • आंखों के लिए बेहद नुकसानदायक है.
  • रोशनी जाने का खतरा होता है.
Last Updated : Mar 3, 2021, 11:35 PM IST
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