कांकेर : पखांजूर में बीमार बेटी को अस्पताल पहुंचाने के लिए दिव्यांग पिता को क्या-क्या पापड़ बेलने पड़े, यह सुनकर यकीनन आपका कलेजा बैठ जाएगा.
पिता ने साथियों की मदद से बेटी को खाट पर लेटाकर करीब सात किलोमीटर का पैदल सफर तय किया. नदी पार की तब जाकर वो किसी तरह से पक्की सड़क तक पहुंचे, जहां से चार पहिया वाहन के जरिए युवती को अस्पताल पहुंचाया, जहां अब उसका इलाज चल रहा है.
जब भी क्षेत्र में विकास की बात आती है, तो नक्सल दहशत का बहाना बनाकर उसे टाल दिया जाता है. इस इलाके में आज भी दर्जनों गांव बारिश में टापू बन जाते हैं. रास्ते में पड़ने वाले नदी, नालों पर पुल का नामो निशान नहीं है.
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इस वजह से बरसात में यहां रहने वाले ग्रामीणों की जिंदगी नर्क बन जाती है. अब सवाल यह है कि सरकार कब सच्चे मन से इन बदनसीबों की गुहार सुनेगी और कब इन ग्रामीणों के सिर से बदहाली की ये काली छाया हटेगी.