ETV Bharat / state

सत्ता बदली, मुखिया बदले पर नहीं सुधरे हालात, बेटी को खाट पर लेटाकर 7 किमी पैदल चला बाप

पिता ने बीमार बेटी को अस्पताल पहुंचाने के लिए सात किलोमीटर का पैदल सफर तय किया. नदी पार की तब जाकर वो किसी तरह से पक्की सड़क तक पहुंचे.अब उसका इलाज चल रहा है.

युवती अस्पताल मे भर्ती
author img

By

Published : Sep 13, 2019, 11:03 PM IST

Updated : Sep 14, 2019, 11:44 AM IST

कांकेर : पखांजूर में बीमार बेटी को अस्पताल पहुंचाने के लिए दिव्यांग पिता को क्या-क्या पापड़ बेलने पड़े, यह सुनकर यकीनन आपका कलेजा बैठ जाएगा.

बेटी को खाट पर लेटाकर 7 किमी पैदल चला बाप

पिता ने साथियों की मदद से बेटी को खाट पर लेटाकर करीब सात किलोमीटर का पैदल सफर तय किया. नदी पार की तब जाकर वो किसी तरह से पक्की सड़क तक पहुंचे, जहां से चार पहिया वाहन के जरिए युवती को अस्पताल पहुंचाया, जहां अब उसका इलाज चल रहा है.

जब भी क्षेत्र में विकास की बात आती है, तो नक्सल दहशत का बहाना बनाकर उसे टाल दिया जाता है. इस इलाके में आज भी दर्जनों गांव बारिश में टापू बन जाते हैं. रास्ते में पड़ने वाले नदी, नालों पर पुल का नामो निशान नहीं है.

पढ़ें : नक्सलियों के मंसूबे पर फिरा पानी, 20 किलो का आईईडी डिफ्यूज

इस वजह से बरसात में यहां रहने वाले ग्रामीणों की जिंदगी नर्क बन जाती है. अब सवाल यह है कि सरकार कब सच्चे मन से इन बदनसीबों की गुहार सुनेगी और कब इन ग्रामीणों के सिर से बदहाली की ये काली छाया हटेगी.

कांकेर : पखांजूर में बीमार बेटी को अस्पताल पहुंचाने के लिए दिव्यांग पिता को क्या-क्या पापड़ बेलने पड़े, यह सुनकर यकीनन आपका कलेजा बैठ जाएगा.

बेटी को खाट पर लेटाकर 7 किमी पैदल चला बाप

पिता ने साथियों की मदद से बेटी को खाट पर लेटाकर करीब सात किलोमीटर का पैदल सफर तय किया. नदी पार की तब जाकर वो किसी तरह से पक्की सड़क तक पहुंचे, जहां से चार पहिया वाहन के जरिए युवती को अस्पताल पहुंचाया, जहां अब उसका इलाज चल रहा है.

जब भी क्षेत्र में विकास की बात आती है, तो नक्सल दहशत का बहाना बनाकर उसे टाल दिया जाता है. इस इलाके में आज भी दर्जनों गांव बारिश में टापू बन जाते हैं. रास्ते में पड़ने वाले नदी, नालों पर पुल का नामो निशान नहीं है.

पढ़ें : नक्सलियों के मंसूबे पर फिरा पानी, 20 किलो का आईईडी डिफ्यूज

इस वजह से बरसात में यहां रहने वाले ग्रामीणों की जिंदगी नर्क बन जाती है. अब सवाल यह है कि सरकार कब सच्चे मन से इन बदनसीबों की गुहार सुनेगी और कब इन ग्रामीणों के सिर से बदहाली की ये काली छाया हटेगी.

Intro:कांकेर - छत्तीसगढ़ में सत्ता जरूर बदल गई है लेकिन अंदरूनी इलाको के हालात आज भी जस के तस ही है , आज भी इस क्षेत्र के लोग आदिकाल की तरह जीवन जीने विवश है , जिले के पखांजुर इलाके में आज एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने विकास के तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है । बीमार बेटी का इलाज करवाने एक अपाहिज पिता अपने साथी ग्रामीणों के साथ बेटी को खाट पर डाल 7 किलोमीटर पैदल चला और नदी पार कर किसी तरह बेटी को इलाज के लिए अस्पताल तक लेकर पहुचा । Body:पखांजूर के टेकामेटा गाँव की रहने वाली चीनको बिटो 15 दिन पहले बीमा है पर लगातार हो रही बारिश के चलते इलाके के सभी नाले उफान पर होने के चलते चीनको को इलाज नही मिल पा रहा था । गाँव मे सड़के न होने के चलते और नाले में जल भराव के कारण 15 दिन तक बीमार अवस्था मे घर पर तड़पती रही। आज नाले का जलस्तर कम हुआ तो उसके पिता ने ग्रामीणों के साथ पैदल ही खाट पर डालकर नाला पार किया , और उसके बाद ऑटो से उसे अस्पताल पहुचाया । गांव में सड़के न होने के कारण अपने बीमार बेटी को खाट पर लादकर 7 किलोमीटर का सफर पैदल चलना इस बेबस लाचार पिता की मजबूरी थी । एक तरफ सरकार विकास के दावे करते नही थकती दूसरी तरह आज भी आदिकाल की तरह दृश्य देखने को मिल रहे है । Conclusion:नक्सल दहशत का बनता है बहाना
जब भी क्षेत्र में विकास की बात आती है तब नक्सल दहशत का बहाना बनाकर इसे टाल दिया जाता है इस क्षेत्र में आज भी दर्जनों गांव बारिश में टापू बन जाते है जहां पहुचने पूल पुलिया नही है, सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या जब तक क्षेत्र में नक्सलियो की मौजूदगी रहेगी तब तक क्या क्षेत्र के लोगो को इसी तरह आदिकाल में जीना पड़ेगा ।

महरुराम मरीज़ का पिता
Last Updated : Sep 14, 2019, 11:44 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.