कांकेर के दुधावा डैम के टापू पर बीते 2 महीने से 100 से ज्यादा बंदर फंसे हुए हैं. बंदरों को बचाने के लिए जिला प्रशासन बीते तीन दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए हुए है. लेकिन अभी तक बंदरों को टापू से बाहर निकालने में सफलता नहीं मिली. ऑपरेशन वानर का तीसरा दिन काफी मशक्कत भरा रहा.ETV भारत की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची और चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया.
वन विभाग के अधिकारी से ETV भारत ने की बात
ग्राउंड जीरो पर पहुंची ETV भारत की टीम ने वहां मौजूद सीसीएफ अधिकारी से बातचीत की. अधिकारी ने ऑपरेशन जल्द पूरा होने की बात कही और कहा कि लकड़ी के पुल बनने से फायदा मिलेगा.
रेस्क्यू में लगे कर्मचारियों की सुरक्षा के नहीं है इंतजाम
वहां रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे कर्मचारियों के लिए सुरक्षा के इतंजामों में कमी दिखी. इस मोर्चे पर प्रशासन की लापरवाही देखने को मिली.नगर सेना जिन्हें ऐसे मामलों का एक्पर्ट कहा जाता है अभी तक उनकी मदद नहीं ली गई है. वन विभाग के कर्मचारी और जो मजदूर हैं वो बिना लाइफ जैकेट के अपनी जान जोखिम में डालकर सारा काम कर रहे हैं. इन कर्मचारियों को किसी भी तरह की सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई है.
टापू पर पहुंची ETV भारत की टीम
वन विभाग के कर्मचारी लगातार तीन दिनों से यहां रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हुए हैं. कई दिक्कतों के बीच भी ये कर्मचारी अपने काम में लगे हुए हैं. बांध की गहराई ज्यादा होने की वजह से लकड़ी का पुल बनाने मे दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. लकड़ी का पुल टापू तक लगभग बन चुका है. ETV भारत की टीम नाव के जरिए टापू तक पहुंची और वहां पहुंचकर ग्राउंड जीरो के हालात जाने. ETV भारत संवाददाता ने वहां देखा कि बंदरों का समूह टापू पर मौजूद था. और रेस्क्यू टीम की तरफ से जो फल और सब्जियां वहां पहुंचाई गई थी बंदर उसे खा रहे थे.
टापू पर रहने वाले लोगों से ETV भारत ने की बात
ETV भारत के संवाददाता ने टापू पर रहने वाले ग्रामीणों से बात की तो ग्रामीणों ने वन विभाग की तरफ से चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को नाकाफी बताया. ग्रामीणों ने बताया कि इस टापू पर 100 से अधिक बंदर मौजूद हैं. इसके अलावा ग्रामीण ने वन विभाग के अधिकारियों के उस बयान पर नाराजगी जताई जिसमें उन्होंने कहा था कि बंदर यहां फंसे नहीं है वह पहले से हैं.