पंखाजूर : धान की फसल के लिए यूरिया बहुत उपयोगी है. बिना यूरिया और खाद के धान की खेती संभव नहीं है. किसानों को खाद बांटने के लिए सरकार समितियों का गठन कर खाद का वितरण करती है. निजी कृषि दुकानों को भी खाद बेचने की अनुमति दी गई है, लेकिन हर साल की तरह इस साल भी यूरिया की कमी के कारण किसान परेशान है.
दरअसल, पंखाजूर धान की खेती के लिए जाना जाता है. धान का उत्पादन भी सबसे ज्यादा पंखाजूर में किया जाता है. धान की फसल रोपने के 21 दिन बाद टॉपडेसिंग में यूरिया खाद डाला जाता है. 42 दिन बाद भी यूरिया खाद को डाला जाता है. धान की बाली निकलने से पहले यूरिया एवं पोटास खाद को फिर से डाला जाता है ताकि धान के पौधों का ग्रोथ बना रहे और पैदावार अधिक मात्रा में हो सके.
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यूरिया खाद बाजार से गायब
इस साल पखांजूर क्षेत्र में अल्प बारिश होने के कारण किसान अपनी धान की खेती को अलग-अलग समय में रोपा लगाते हैं. फिलहाल किसान यूरिया खाद को 21 दिन में डाल रहे हैं. वहीं कई किसान 42 दिन पर यूरिया खाद डाल रहे हैं, लेकिन अभी यूरिया खाद सरकारी समिति एवं बाजार से बिल्कुल गायब हो गया है. ऐसे हालात की वजह से क्षेत्र के किसानों को भारी चिंता सता रही है कि समय पर खेत में यूरिया खाद का छिड़काव नहीं किया गया तो धान के पौधों की ग्रोथ कम हो जाएगी. साथ ही उत्पादन में बहुत कमी आएगी, जिसका खामियाजा सम्पूर्ण किसानों को उठाना पड़ेगा.
'किसानों को यूरिया खाद बांटा जाएगा'
अब तक किसान अपने एक एकड़ भूमि पर 30 से 35 क्विंटल धान का उत्पादन करते थे, मगर यूरिया खाद के शॉर्टेज के कारण धान के उत्पादन में गिरावट आना तय है. धान के पौधों में यूरिया खाद(नाइट्रोजन) की कमी से धान के पौधे पीले पड़ जाते हैं और धीरे-धीरे पौधे की ग्रोथ कम हो जाती है. किसान यूरिया खाद के लिए भटक रहे हैं, पखांजूर तहसील के तहसीलदार शेखर मिश्रा ने कहा कि अभी यूरिया खाद की कमी तो है, मगर बहुत जल्द यूरिया खाद की कमी को पूरा किया जाएगा. सभी किसानों को यूरिया खाद बांटा जायेगा.