कांकेर: भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में बीटेक कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के सेकेंड सेमेस्टर के छात्रों ने बड़ी सफलता हासिल की है. छात्रों ने पुलिस के लिए फेस रिकग्निशन साॅफ्टवेयर तैयार कर लिया है. यह साॅफ्टवेयर पुलिस के लिए फरार आरोपियों को पकड़ने और अपराधियों पर नजर रखने में काफी मददगार साबित होगा.
ऐसे काम करता है साॅफ्टवेयर: यह इस साॅफ्टवेयर फरार आरोपियों को पकड़ने से लेकर अपराधियों पर नजर रखने में अहम योगदान निभाएगा. साॅफ्टवेयर में अपराधियों की फोटो और डाटा अपलोड करने के बाद सिस्टम को कैमरा से जोड़ना हाेगा. कैमरे के दायरे में अपराधी के आते ही उसकी पहचान हो जाएगी. फरार आरोपी यदि अपना गेटअप बदल कर भी कैमरे के दायरे में आएगा तो भी कैमरा तत्काल उसकी पहचान कर मैसेज कंट्रोल रूम को भेज देगा.
कांकेर एसपी के सामने दिया डेमो: इस साॅफ्टवेयर को विपिन गौतम और उनके साथियों वंशराज सिंह चौहान, शुभम भगत, राजा सिंह, प्रथम साहू ने पुलिस की मदद से तैयार किया है. सभी भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में बी-टेक कम्प्यूटर इंजीनियरिंग के सेकेंड सेमेस्टर के छात्र हैं. छात्रों ने कांकेर एसपी दिव्यांग पटेल से मिलकर इसकी जानकारी दी. साथ ही साॅफ्टवेयर का सफल डेमो भी दिया. डेमो में पुलिस आरक्षकों की फोटो और डाटा साॅफ्टवेयर में लोड कर वाईफाई से चलने वाले निजी कैमरों के सामने उन्हें भेजा गया. आरक्षकों के कैमरे के सामने आते ही मैसेज कंट्रोल रूम में आने लगा. छात्रों ने इस साॅफ्टवेयर की एक कॉपी कांकेर पुलिस को भी दी है. जिसे इस्तेमाल कर पुलिस आरोपियों की पहचान कर सकेगी.
"इंसानी चेहरे में 64 ऐसे बिंदु होते हैं, जो किसी और के चेहरे से मेल नहीं खाते. इसी आधार पर साॅफ्टवेयर तैयार किया गया है. यह साॅफ्टवेयर में अपलोड आरोपी की फोटो और वीडियो में 64 बिंदुओं की स्केनिंग कर उसकी पहचान करता है. आरोपी की गतिविधि और चाल ढाल से भी उसकी पहचान हो जाएगी. कम्प्यूटर सिस्टम में यदि हजारों फोटो और डाटा अपलोड हो तो भी उसके बीच यह साॅफ्टवेयर आरोपी की पहचान कर लेगा." - विपिन गौतम, बीटेक स्टूडेंट, बीआईटी
गुमशुदा की तलाश करने में भी मिलेगी मदद: इस साॅफ्टवेयर का एक फायदा गुमशुदा लोगों की तलाश में भी मिलेगा. यदि गुमशुदा व्यक्ति को किसी इलाके में देखे जाने की सूचना मिलती है तो वहां मौजूद सिस्टम में इस साॅफ्टवेयर के मदद से उसकी फोटो अपलोड करने के बाद उसकी पहचान हो जाएगी. यह साॅफ्टवेयर उसे खोज निकालने में मदद करेगा.
वर्तमान में वाईफाई से नहीं जुड़े हैं कैमरे: छात्रों ने पुलिस के लिए कामगार साफ्टवेयर तैयार तो कर दिया है लेकिन पुलिस के कैमरे अब भी वाईफाई से नहीं जुड़े हैं. यह पूरा साफ्टवेयर ही वाईफाई से काम करता है. कैमरे में संदिग्ध या अपराधी के आते ही उसकी शिनाख्त कर मैसेज कंट्रोल रूम को भेजता है. इसके लिए जल्द ही जिले में पुलिस के कैमरों को वाईफाई से लैस कर ने की तैयारी की जा रही है.