कांकेर: उत्खनन मशीन मालिक बजरंग उसेंडी ने कहा कि "हम लोग बेरोजगार लोग हैं. लोन से उत्खनन की मशीन खरीद कर काम करते है. लेकिन हमारे जिले में दूसरे प्रदेश हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान से उत्खनन वाले आकर कम रेट में काम करते हैं. इसके अलावा सरकारी कामों में भी उन्हीं की उत्खनन मशीनों से काम लिया जाता है. ऐसे में जिले में लगभग 15 सौ से ज्यादा उत्खनन मशीन मालिक जो लोन से मशीन लेकर काम करना चाहते हैं. उन्हें घाटा हो रहा है. लेकिन आज स्थिति ऐसी है कि हम किस्त तक नहीं जमा कर पा रहे हैं. परिवार चलाना मुश्किल हो गया है."
"परिवार चलाना मुश्किल": उत्खनन मशीन मालिक रामलाल साहू ने बताया कि "मंहगाई एवं बेरोजगारी को देखते हुए स्थानीय मशीन मालिकों को काम न मिलने के कारण स्वयं का एवं परिवार का खर्च चलाना बहुत जटिल समस्या बन गया है. ऐसे में समस्या के निवारण के लिए जिले के समस्त उत्खनन मालिकों की तरफ से महानदी उत्खनन कल्याण संघ का गठन किया गया है. आज हमारी समस्यों से कांकेर कलेक्टर को अवगत कराया गया है. हमारे जिले के किसानो से शिकायत भी मिलती है कि अन्य जिलों और अन्य राज्यों से आने वाले लोग यहां उत्खनन का कार्य कर रहे हैं. जिसकी वजह से धोखाधड़ी हो रही है."
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"सरकारी काम भी नहीं मिलता": उत्खनन मशीन मालिक रामलाल साहू ने आगे बताया कि "संघ ने मांग किया है कि जिले और राज्य के उत्खनन मशीन मालिकों को कांकेर जिले में किसी भी तरह कार्य करने नहीं दिया जाए. जिससे किसी भी तरह से विवादास्पद स्थिति निर्मित न हो. निजी ही नहीं सरकारी काम मे भी स्थानीय उत्खनन मशीन मालिकों को काम नहीं दिया जाता है. वन विभाग, PHE विभाग, PWD विभाग में जो टेंडर निकलते है वंहा भी हमारी उपेक्षा की जाती है. बेरोजगार लड़के जेसीबी लेते है कमाई का सोचते है. लेकिन बाहर के जेसीबी मालिक औने-पौने दाम में काम करते हैं."