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Controversy over Saraswati temple in Kanker: छोटेबेठिया में स्कूल से सरस्वती मंदिर हटाने की मांग, जानिए क्या है वजह

Article 28 quote कांकेर के छोटेबेठिया में सरस्वती पूजा के लिए चंदा न देने पर आदिवासी छात्रों की पिटाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. आदिवासी समाज आर्टिकल 28 का हवाला देते हुए हायर सेकेंडरी स्कूल से सरस्वती मंदिर हटाने और आरोपी शिक्षक पर कार्रवाई की मांग को लेकर अड़ गया है. विरोध के क्रम में समाज के लोगों ने मंगलवार शाम स्कूल के सामने प्रदर्शन किया और रैली निकाली.

Controversy over Saraswati temple in Kanker
छोटेबेठिया में स्कूल से सरस्वती मंदिर हटाने की मांग
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Published : Feb 15, 2023, 12:16 PM IST

छोटेबेठिया में स्कूल से सरस्वती मंदिर हटाने की मांग

कांकेर: माता सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है. एक हाथ में आध्यात्मिकता की प्रतीक माला और एक हाथ में किताब उन्हें ज्ञान का प्रतीक बनाती है. लेकिन अगर विद्या की देवी माता सरस्वती के मंदिर को ही विद्यालय से बेदखल करने की मांग होने लगे तो ये किसी आश्चर्य से कम नहीं है. ऐसी ही मांग जिले के कोयलीबेड़ा विकासखंड के छोटेबेठिया में आदिवासी समाज कर रहा है. पूरा मामला स्कूल के एक शिक्षक द्वारा सरस्वती पूजा का चंदा न देने पर आदिवासी छात्रों की पिटाई से जुड़ा है, जो अब जोर पकड़ता जा रहा है. मंगलवार को आदिवासी समाज की ओर से स्कूल के सामने न केवल धरना दिया गया, बल्कि विरोध दर्ज कराते हुए रैली भी निकाली गई.

Controversy over Saraswati temple in Kanker
छोटेबेठिया में स्कूल से सरस्वती मंदिर हटाने की मांग को लेकर धरना

26 जनवरी का है मामला: यह पूरा मामला कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा विकासखंड के छोटेबेठिया का है. 26 जनवरी को बसंत पंचमी पर बेठिया शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल में सरस्वती पूजा का आयोजन हुआ. आयोजन के लिए हर छात्र से 100 रुपये का चंदा लेना तय किया गया था. 11वीं के छात्रों ने अन्य छात्रों से कहा था कि "जो पूजा का चंदा नहीं देगा, वो पूजा में नही आएगा". आर्थिक रूप से पिछड़े बालक छात्रावास के बच्चे जब निर्धारित चंदा नहीं दे पाए, तो वे पूजा में नहीं गए. इसके चलते अगले दिन शिक्षक ने चंदा न देने वाले छात्रों को प्रार्थना लाइन से बाहर निकालकर वापस छात्रावास भेज दिया. आरोप है कि स्कूल के एक शिक्षक ने इसे लेकर आदिवासी समाज के बच्चों की पिटाई भी की.

protest against adani अडाणी के खिलाफ मनेंद्रगढ़ में कांग्रेस का धरना प्रदर्शन

मंदिर और टीचर न हटाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी: छात्रों से मारपीट के विरोध में अब आदिवासी समाज आंदोलन कर रहा है. सर्व आदिवासी समाज ने स्कूल के सामने ही एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया और रैली निकाली. आदिवासी समुदाय के प्रदेश उपाध्यक्ष सूरजु टेकाम ने आर्टिकल 28 का हवाला देते हुए कहा कि "शासकीय स्कूल में किसी भी धर्म विशेष का आराधना स्थल नहीं होना चाहिए. विद्यालय परिसर में जो सरस्वती मंदिर है उसे तत्काल हटाया जाए." उन्होंने शासन प्रशासन को चेतावनी दी कि "एक सप्ताह के अंदर अगर छात्रों से मारपीट करने वाले शिक्षक पर कार्रवाई नहीं होती है और मंदिर को नहीं हटाया जाता है तो उग्र आंदोलन किया जाएगा. ग्राम सभा बिठाकर सर्व आदिवासी समाज कार्रवाई करेगा."

आरोपी के लिए सजा नहीं है ट्रांसफर: आदिवासी छात्रों से मारपीट के आरोपी शिक्षक के तबादले पर समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष सूरजु टेकाम ने कहा कि "हटाना कार्रवाई नहीं है. एक जगह से हटाने पर शिक्षक दूसरी जगह अपराध करेगा. उन्हें इतना ही धर्म में आस्था है तो हरिद्वार चले जाएं." कार्रवाई को लेकर कहा कि "सरकारी संस्थाओं में जो भी अधिकारी कर्मचारी धर्म विशेष का प्रचार कर रहे हैं, उन्हें तत्काल हटाया जाए और नौकरी से बर्खास्त किया जाए."

छोटेबेठिया में स्कूल से सरस्वती मंदिर हटाने की मांग

कांकेर: माता सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है. एक हाथ में आध्यात्मिकता की प्रतीक माला और एक हाथ में किताब उन्हें ज्ञान का प्रतीक बनाती है. लेकिन अगर विद्या की देवी माता सरस्वती के मंदिर को ही विद्यालय से बेदखल करने की मांग होने लगे तो ये किसी आश्चर्य से कम नहीं है. ऐसी ही मांग जिले के कोयलीबेड़ा विकासखंड के छोटेबेठिया में आदिवासी समाज कर रहा है. पूरा मामला स्कूल के एक शिक्षक द्वारा सरस्वती पूजा का चंदा न देने पर आदिवासी छात्रों की पिटाई से जुड़ा है, जो अब जोर पकड़ता जा रहा है. मंगलवार को आदिवासी समाज की ओर से स्कूल के सामने न केवल धरना दिया गया, बल्कि विरोध दर्ज कराते हुए रैली भी निकाली गई.

Controversy over Saraswati temple in Kanker
छोटेबेठिया में स्कूल से सरस्वती मंदिर हटाने की मांग को लेकर धरना

26 जनवरी का है मामला: यह पूरा मामला कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा विकासखंड के छोटेबेठिया का है. 26 जनवरी को बसंत पंचमी पर बेठिया शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल में सरस्वती पूजा का आयोजन हुआ. आयोजन के लिए हर छात्र से 100 रुपये का चंदा लेना तय किया गया था. 11वीं के छात्रों ने अन्य छात्रों से कहा था कि "जो पूजा का चंदा नहीं देगा, वो पूजा में नही आएगा". आर्थिक रूप से पिछड़े बालक छात्रावास के बच्चे जब निर्धारित चंदा नहीं दे पाए, तो वे पूजा में नहीं गए. इसके चलते अगले दिन शिक्षक ने चंदा न देने वाले छात्रों को प्रार्थना लाइन से बाहर निकालकर वापस छात्रावास भेज दिया. आरोप है कि स्कूल के एक शिक्षक ने इसे लेकर आदिवासी समाज के बच्चों की पिटाई भी की.

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मंदिर और टीचर न हटाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी: छात्रों से मारपीट के विरोध में अब आदिवासी समाज आंदोलन कर रहा है. सर्व आदिवासी समाज ने स्कूल के सामने ही एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया और रैली निकाली. आदिवासी समुदाय के प्रदेश उपाध्यक्ष सूरजु टेकाम ने आर्टिकल 28 का हवाला देते हुए कहा कि "शासकीय स्कूल में किसी भी धर्म विशेष का आराधना स्थल नहीं होना चाहिए. विद्यालय परिसर में जो सरस्वती मंदिर है उसे तत्काल हटाया जाए." उन्होंने शासन प्रशासन को चेतावनी दी कि "एक सप्ताह के अंदर अगर छात्रों से मारपीट करने वाले शिक्षक पर कार्रवाई नहीं होती है और मंदिर को नहीं हटाया जाता है तो उग्र आंदोलन किया जाएगा. ग्राम सभा बिठाकर सर्व आदिवासी समाज कार्रवाई करेगा."

आरोपी के लिए सजा नहीं है ट्रांसफर: आदिवासी छात्रों से मारपीट के आरोपी शिक्षक के तबादले पर समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष सूरजु टेकाम ने कहा कि "हटाना कार्रवाई नहीं है. एक जगह से हटाने पर शिक्षक दूसरी जगह अपराध करेगा. उन्हें इतना ही धर्म में आस्था है तो हरिद्वार चले जाएं." कार्रवाई को लेकर कहा कि "सरकारी संस्थाओं में जो भी अधिकारी कर्मचारी धर्म विशेष का प्रचार कर रहे हैं, उन्हें तत्काल हटाया जाए और नौकरी से बर्खास्त किया जाए."

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