कांकेर : सर्व आदिवासी समाज ने भानुप्रतापपुर उपचुनाव में खुद के उम्मीद्वार उतारने का ऐलान किया (Congress advice to sarva aadivasi samaj in kanker ) है. सर्व आदिवासी समाज ने आरक्षण को अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है.सर्व आदिवासी समाज की माने तो वो इस उपचुनाव में हर गांव से अपने उम्मीदवारों को खड़ा करके चुनाव लड़वाएगा.ताकि उनके समाज का वोट किसी भी दल को ना मिले. अब शिशुपाल शोरी ने मीडिया को एक बयान जारी कर कहा है कि '' मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस सरकार की लोकप्रियता से भाजपा घबराएं हुए हैं. इसलिए वे आदिवासी समाज की आड़ में वोट की रोटी सेकना चाहते हैं. भाजपाई कभी भी आदिवासी समाज का शुभचिंतक नहीं रहा. इन्हें तो आदिवासियों को आदिवासी कहने से भी परहेज है. इसलिए वे आदिवासी के लिए वनवासी जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं. भाजपा की सरकार जब 2003 के बाद सत्तारूढ़ हुई. तब कभी आदिवासियों के हितों की परवाह नहीं की. सर्व आदिवासी समाज के द्वारा लगातार 32 प्रतिशत आरक्षण की मांग किये जाने पर 2012 में गोंडवाना भवन रायपुर में आयोजित रैली पर बेरहमी से लाठी चार्ज किया गया. सर्व आदिवासी समाज के शीर्ष नेताओं को जेल में ठूस दिया गया. उन्हीं में से एक नेता दिवंगत मनोज सिंह मण्डावी भी थे.''
सर्व आदिवासी समाज को कांग्रेस की नसीहत : शिशुपाल शोरी ने कहा कि '' आदिवासी समाज को समस्याओं की गंभीरता को समझते हुए धैर्य का परिचय देना चाहिए. संवैधानिक अधिकारों की रक्षा संवैधानिक प्रक्रियाओं से ही हो सकती है. समाज को राजनीतिक सौदेबाजों के हवाले नहीं सौपना चाहिये. समाज के विराट स्वरूप एवं शक्ति को राजनीतिक दांव पेंच में उलझाकर कमजोर करने वाले शक्तियों को मुंहतोड़ जवाब देना चाहिये .आदिवासियों के संबंध में न केवल प्रदेश स्तरीय पदों पर ही नहीं बल्कि जिला स्तरीय पदों के आरक्षण में भी अत्याधिक कमी आयी है.पदोन्नति में आरक्षण का मामला लंबित है.''
आदिवासियों को मिलेगा पूरा हक : शोरी के मुताबिक ''इन सभी विषयों पर न्यायसंगत अध्यादेश लाने के पूर्व विस्तृत अध्ययन एवं अन्य राज्यों में इस दिशा में किये जा रहे है प्रयासों के संबंध में जानकारी लिया जाना आवश्यक है. इसीलिए सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय अधिकारियों का दल गठित किया गया है जो शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट सौपेंगे. प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग के जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी न्याय दिये जाने की आवश्यकता को देखते हुए तमिलनाडू सरकार के तर्ज पर अन्य पिछड़ा वर्ग को भी पर्याप्त आरक्षण देने का प्रयास किया जा रहा है. मेरा आदिवासी समाज से निवेदन है कि उन्हें उनका अधिकार मिलकर ही रहेगा केवल कुछ समय के लिए धैर्य रखने की आवश्यकता है.'' kanker latest news