कांकेर: एक मोबाइल फोन के लिए खेरकेट्टा जलाशय से लाखों लीटर पानी बहा देना फूड इंस्पेक्टर को महंगा पड़ गया. फोन तो गया ही साथ ही निलंबन की कार्रवाई भी हुई. निलंबन के बाद भी फूड इंस्पेक्टर को फोन की ज्यादा चिंता इसलिए है क्योंकि उन्होंने सैमसंग कंपनी का S सीरीज का लगभग 96 हजार रुपये का फोन 2 महीने पहले ही फाइनेंस पर लिया था.
ये है पूरा मामला: कोयलीबेड़ा ब्लॉक के फूड ऑफिसर राजेश विश्वास रविवार को छुट्टी मनाने खेरकट्टा परलकोट जलाशय पहुंचे थे. मौज मस्ती और सेल्फी के दौरान उनका सैमसंग कंपनी का S सीरीज का लगभग 96 हजार रुपये का फोन जलाशय में गिर गया. फूड इंस्पेक्टर ने तुरंत जल संसाधन के एसडीओ साहब से बात की. सिंचाई विभाग के एसडीओ रामलाल ढिवर ने पानी खाले करने फूड इंस्पेक्टर को मौखिक स्वीकृति दे दी. स्थानीय लोगों की मदद से 30 एचपी के दो पंप मंगाए गए और तीन दिन तक 24 घंटे पंप चलाकर लाखों लीटर पानी जलाशय से बाहर निकाल व्यर्थ बहाया गया.
कलेक्टर ने किया निलंबित: कलेक्टर ने फूड इंस्पेक्टर राजेश विश्वास को निलंबित कर दिया है. निलंबन के दौरान फूड इंस्पेक्टर को कांकेर जिला कार्यालय अटैच किया गया है. प्रशासन ने प्रारंभिक जांच में पाया कि खेरकेट्टा जलाशय से 21 लाख लीटर नहीं बल्कि 41104 क्यूबिक मीटर पानी मोबाइल ढूंढने के लिए बर्बाद किया गया. फूड इंस्पेक्टर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बिना किसी अनुमति के भीषण गर्मी में बांध से पानी बहाया है. जो छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम के खिलाफ है.
दूसरे आदेश में कलेक्टर ने एसडीओ आरसी धीवर के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इसमें उच्चाधिकारियों से अनुमति लिए बिना फूड इंस्पेक्टर को परलकोट जलाशय से पानी बहाने देने को लेकर 24 घंटे के अंदर जवाब प्रस्तुत करने कहा गया है. संतोषजनक जवाब नहीं देने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का भी उल्लेख है.
जल संसाधन एसडीओ के वेतन से वसूली जाएगी पानी की राशि: तीसरा आदेश सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता जगदलपुर ने जारी किया है. इसमें एसडीओ से जवाब मांगते कहा गया है कि 21 लाख लीटर पानी व्यर्थ बहाया गया है. इसकी राजस्व राशि एसडीओ के वेतन से वसूल करने कहा गया है.
फूड इंस्पेक्टर की दलील: रविवार का दिन छुट्टी का दिन था. दोस्तों के साथ नहाने के लिए आया हुआ था. सेल्फी लेते वक्त फोन जलाशय में गिर गया. स्थानीय लड़कों ने पानी से फोन निकालने की कोशिश की लेकिन फोन नहीं मिला. ये पानी जलाशय का ओवर फ्लो टैंक है, जिसका पानी यूज नहीं होता है. इसके बाद मैंने एसडीओ साहब को फोन किया. उनसे चर्चा किया कि जलाशय से थोड़ा पानी अगर निकाल कर नहर के जरिए छोड़ दिया जाए तो फोन मिल जाएगा. एसडीओ सर ने कहा कि ठीक है, 3 से 4 फिट पानी अगर वहां से निकाल कर नहर में डाल देते है तो किसानों को यूज होगा. इस सोच के साथ पंप लगाकर 3 फिट के आस-पास पानी निकाला गया. जिसके बाद फोन मिल गया. फोन फाइनेंस पर लिया था -निलंबित खाद्य निरीक्षक राजेश विश्वास
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पूरा पानी किया बर्बाद: फूड इंस्पेक्टर भले ही पानी को नहर में छोड़ने की दलील दे रहे हो लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि "पानी किसी भी नहर में नहीं छोड़ा गया बल्कि बंजर भूमि पर बहाया गया. डैम का पानी व्यर्थ बहाया गया." गांव के सरपंच ने बताया कि- बिना किसी सूचना के जलाशय में पंप लगाकर पानी निकाल दिया गया. जलाशय में 10 फीट पानी भरा हुआ था. पूरा पानी निकाल दिया गया. खेती में सिंचाई के लिए अब परेशानी होगी.
भाजपा ने की अधिकारी को बर्खास्त करने की मांग: इधर भाजपा ने भी प्रशासनिक अधिकारी के पानी बर्बादी के मामले को मुद्दा बना लिया. भाजपा नेता ओपी चौधरी का कहना है कि परलकोट जलाशय सिंचाई जलाशय है. फूड इंस्पेक्टर का फोन गिर गया. उस फोन को निकालने के लिए संवेदनहीनता दिखाते हुए 30 एचपी के दो पंप से तीन दिन का पानी निकाला गया. इस पानी से डेढ़ हजार एकड़ खेतों की सिंचाई की जा सकती थी. कांग्रेस सरकार में इस तरह की संवेदनहीनता बढ़ गई है. ऐसे अफसरों तो तुरंत बर्खास्त करना चाहिए.
बूंद बूंद पानी बचाने के लिए दुनियाभर में मुहिम चल रही है. लोगों को पानी बचाने के साथ ही रियूज के लिए भी जागरूक किया जा रहा है. ऐसे में एक सरकारी अधिकारी का सिर्फ एक फोन के लिए लाखों लीटर पानी बर्बाद कर देने से कई सवाल उठ रहे हैं.