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Chhattisgarh Election 2023 : कांकेर की रणभूमि में आशाराम संभालेंगे बीजेपी की कमान, टिकट मिलने की नहीं थी आस, पार्टी के फैसले ने चौंकाया

Chhattisgarh Election 2023 छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने 21 प्रत्याशियों का ऐलान किया है. इन प्रत्याशियों में कांकेर विधानसभा सीट से आशाराम नेताम भी हैं.आशाराम नेताम बीजेपी में लंबे समय से जुड़े हैं.अलग-अलग जिम्मेदारियों को निभाते हुए आशाराम ने कांकेर के हर घर में बीजेपी की योजनाओं की जानकारी पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है.इस बार के चुनावी रण में आशाराम कांकेर विधानसभा से बीजेपी का झंडा उठाए नजर आएंगे. Kanker BJP Candidate Asharam

Chhattisgarh Election 2023
आशाराम को टिकट मिलने की नहीं थी आस
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Published : Aug 18, 2023, 4:04 PM IST

Updated : Aug 18, 2023, 6:29 PM IST

कांकेर की रणभूमि में आशाराम संभालेंगे बीजेपी की कमान

कांकेर : छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के लिए बस्तर को सत्ता की चाबी माना गया है.ऐसा माना जाता है कि बस्तर संभाग की सीटों पर जिस पार्टी का दबदबा रहता है, वही सरकार बनाती है.ऐसे में बस्तर संभाग की सीटों के लिए प्रत्याशियों का चुनाव काफी सोच विचार करने के बाद किया जाता है. बीजेपी ने चुनाव की तारीख घोषणा होने से पहले ही अपनी प्रत्याशियों की सूची जारी की है.जिसमें 21 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है. इन प्रत्याशियों में कांकेर विधानसभा से भी उम्मीदवार का चुनाव हुआ है.इस सीट पर बीजेपी ने आशाराम नेताम को उम्मीदवार बनाया है.

कौन हैं आशाराम नेताम ? : आशाराम नेताम बीजेपी के युवा नेता हैं. वह अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष के तौर पर कांकेर में काम कर रहे हैं. जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर बेवरती गांव में आशाराम नेताम रहते हैं. 1998 में आशाराम ने बीजेपी पार्टी की सदस्यता ली. इसके बाद ग्रामीण मंडल में 10 साल तक पार्टी के मुद्दों को लोगों तक पहुंचाया. साल 2010 में आशाराम नेताम को महामंत्री ग्रामीण का पद मिला. 2014 में आशाराम को मंडल अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई. 2015 में आशाराम जनपद सदस्य पद में निर्विरोध चुनाव जीते. 2016 में तुलसी मानस प्रतिष्ठान ब्लॉक के अध्यक्ष बने. 2020 में कांकेर से अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष बने. मौजूदा समय में आशाराम कांकेर के गोंड आदिवासी समाज में सलाहकार के रूप में भी निर्वाचित हैं.आशाराम ने बताया कि उन्हें जरा भी अंदाजा नहीं था कि पार्टी उन्हें टिकट दे सकती है.मीडिया के जरिए उन्हें टिकट की जानकारी मिली.

"मुझे तो पता भी नहीं था कि मैं उम्मीदवार बनाया गया हूं. मीडिया के माध्यम से पता चला. चुनाव जीतने के लिए पूरी मेहनत करेंगे. हमारे कार्यकर्ता हमारा परिवार है. चुनाव मैदान में कांग्रेस सरकार की नाकामियों को लेकर जनता के बीच जाएंगे.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतिम व्यक्ति की चिंता करते हुए हर घर पानी देने के तहत नल जल योजना दिया, गरीबों को पक्का मकान दिया, इलाज के लिए पांच लाख दिए, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इन योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं होने दिया.'' आशाराम नेताम, बीजेपी प्रत्याशी, कांकेर

कांग्रेस के झूठे वादों को लेकर जाएंगे जनता के बीच : आशाराम नेताम के मुताबिक केंद्रीय योजनाओं का आम जनता को सही लाभ नहीं मिल पा रहा है. कांग्रेस ने जो वादे किए थे, उनमें अधिकतम वादे पूरे नहीं हुए. एक दो वादे पूरा करके वाहवाही लूटने लगे हैं, जमीनी हकीकत अलग है. कांग्रेस के पौने पांच साल के कार्यकाल में केवल भ्रष्टाचार ही हुआ है, सब जगह भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है. डीएमएफ राशि का जमकर बंदरबाट हुआ है.

कांकेर विधानसभा का इतिहास : छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद कांकेर विधानसभा में चार बार चुनाव हुए.जिसमें बीजेपी और कांग्रेस दो-दो बार जीत चुकी है.

2003 में हुए कांकेर विधानसभा चुनाव कुल 8 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे.जिसमें बीजेपी से उम्मीदवार रहे अघन सिंह ठाकुर को 50 हजार 198 तो कांग्रेस उम्मीदवार रही श्यामा ध्रुवा को 24 हजार 387 वोट मिले. बीजेपी के अघन सिंह ठाकुर ने कांग्रेस की श्यामा ध्रुवा को 25811 वोटों से हराकर जीत हासिल की थी.

2008 में हुए कांकेर विधानसभा चुनाव में कुल 11 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे.जिसमे बीजेपी की सुमित्रा मरकोले को 46 हजार 793 वोट मिले. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी रही प्रीति नेताम को 29 हजार 290 वोट मिले. इस चुनाव में भी बीजेपी ने कांग्रेस को 17 हजार 503 वोट से मात दी.

2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ.इस दौरान कुल 10 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. इनके बीच कांग्रेस ने बीजेपी के किले को गिरा दिया.कांग्रेस के शंकर ध्रुवा को इस सीट पर 50 हजार 586 वोट मिले. वहीं बीजेपी के संजय कोडोपी को 45 हजार 961वोट मिले.लेकिन दोनों के बीच जीत अंतर बेहद कम था.कांग्रेस को इस चुनाव में 4625 मतों से विजय प्राप्त मिली.

2018 के विधानसभा चुनाव में परिवर्तन की लहर चली.15 साल से राज कर रही बीजेपी को सत्ता से बाहर होना पड़ा. कांकेर विधानसभा से बीजेपी और कांग्रेस ने दो नए उम्मीदवार उतारे.शिशुपाल शोरी को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया. वहीं बीजेपी ने हीरा मरकाम को आगे किया.कांग्रेस के शिशुपाल शोरी को 69 हजार 53 तो बीजेपी के हीरा मरकाम को 49 हजार 249 वोट प्राप्त हुए. जीत का अंतर 19 हजार 804 मतों का रहा.

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क्या है जातिगत समीकरण ? : कांकेर जिले में अलग-अलग जाति धर्म के लोग निवास करते हैं. जिला आदिवासी बाहुल्य होने के कारण आदिवासियों की संख्या ज्यादा है. कांकेर विधानसभा में ग्रामीण और शहरी मतदाताओं दोनों शामिल हैं.जिसमें जनजातीय समाज, पिछड़ा वर्ग, सामान्य वर्ग के मतदाता ज्यादा हैं.मतदाताओं की बात करे तो वर्तमान में कांकेर विधानसभा क्षेत्र में 1लाख 78 हजार 175 मतदाता हैं. महिला मतदाता 85 हजार 436 है. वहीं पुरूष मतदाता 92 हजार 737 हैं.

कांकेर की रणभूमि में आशाराम संभालेंगे बीजेपी की कमान

कांकेर : छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के लिए बस्तर को सत्ता की चाबी माना गया है.ऐसा माना जाता है कि बस्तर संभाग की सीटों पर जिस पार्टी का दबदबा रहता है, वही सरकार बनाती है.ऐसे में बस्तर संभाग की सीटों के लिए प्रत्याशियों का चुनाव काफी सोच विचार करने के बाद किया जाता है. बीजेपी ने चुनाव की तारीख घोषणा होने से पहले ही अपनी प्रत्याशियों की सूची जारी की है.जिसमें 21 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है. इन प्रत्याशियों में कांकेर विधानसभा से भी उम्मीदवार का चुनाव हुआ है.इस सीट पर बीजेपी ने आशाराम नेताम को उम्मीदवार बनाया है.

कौन हैं आशाराम नेताम ? : आशाराम नेताम बीजेपी के युवा नेता हैं. वह अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष के तौर पर कांकेर में काम कर रहे हैं. जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर बेवरती गांव में आशाराम नेताम रहते हैं. 1998 में आशाराम ने बीजेपी पार्टी की सदस्यता ली. इसके बाद ग्रामीण मंडल में 10 साल तक पार्टी के मुद्दों को लोगों तक पहुंचाया. साल 2010 में आशाराम नेताम को महामंत्री ग्रामीण का पद मिला. 2014 में आशाराम को मंडल अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई. 2015 में आशाराम जनपद सदस्य पद में निर्विरोध चुनाव जीते. 2016 में तुलसी मानस प्रतिष्ठान ब्लॉक के अध्यक्ष बने. 2020 में कांकेर से अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष बने. मौजूदा समय में आशाराम कांकेर के गोंड आदिवासी समाज में सलाहकार के रूप में भी निर्वाचित हैं.आशाराम ने बताया कि उन्हें जरा भी अंदाजा नहीं था कि पार्टी उन्हें टिकट दे सकती है.मीडिया के जरिए उन्हें टिकट की जानकारी मिली.

"मुझे तो पता भी नहीं था कि मैं उम्मीदवार बनाया गया हूं. मीडिया के माध्यम से पता चला. चुनाव जीतने के लिए पूरी मेहनत करेंगे. हमारे कार्यकर्ता हमारा परिवार है. चुनाव मैदान में कांग्रेस सरकार की नाकामियों को लेकर जनता के बीच जाएंगे.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतिम व्यक्ति की चिंता करते हुए हर घर पानी देने के तहत नल जल योजना दिया, गरीबों को पक्का मकान दिया, इलाज के लिए पांच लाख दिए, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इन योजनाओं का सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं होने दिया.'' आशाराम नेताम, बीजेपी प्रत्याशी, कांकेर

कांग्रेस के झूठे वादों को लेकर जाएंगे जनता के बीच : आशाराम नेताम के मुताबिक केंद्रीय योजनाओं का आम जनता को सही लाभ नहीं मिल पा रहा है. कांग्रेस ने जो वादे किए थे, उनमें अधिकतम वादे पूरे नहीं हुए. एक दो वादे पूरा करके वाहवाही लूटने लगे हैं, जमीनी हकीकत अलग है. कांग्रेस के पौने पांच साल के कार्यकाल में केवल भ्रष्टाचार ही हुआ है, सब जगह भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है. डीएमएफ राशि का जमकर बंदरबाट हुआ है.

कांकेर विधानसभा का इतिहास : छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद कांकेर विधानसभा में चार बार चुनाव हुए.जिसमें बीजेपी और कांग्रेस दो-दो बार जीत चुकी है.

2003 में हुए कांकेर विधानसभा चुनाव कुल 8 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे.जिसमें बीजेपी से उम्मीदवार रहे अघन सिंह ठाकुर को 50 हजार 198 तो कांग्रेस उम्मीदवार रही श्यामा ध्रुवा को 24 हजार 387 वोट मिले. बीजेपी के अघन सिंह ठाकुर ने कांग्रेस की श्यामा ध्रुवा को 25811 वोटों से हराकर जीत हासिल की थी.

2008 में हुए कांकेर विधानसभा चुनाव में कुल 11 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे.जिसमे बीजेपी की सुमित्रा मरकोले को 46 हजार 793 वोट मिले. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी रही प्रीति नेताम को 29 हजार 290 वोट मिले. इस चुनाव में भी बीजेपी ने कांग्रेस को 17 हजार 503 वोट से मात दी.

2013 में हुए विधानसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ.इस दौरान कुल 10 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे. इनके बीच कांग्रेस ने बीजेपी के किले को गिरा दिया.कांग्रेस के शंकर ध्रुवा को इस सीट पर 50 हजार 586 वोट मिले. वहीं बीजेपी के संजय कोडोपी को 45 हजार 961वोट मिले.लेकिन दोनों के बीच जीत अंतर बेहद कम था.कांग्रेस को इस चुनाव में 4625 मतों से विजय प्राप्त मिली.

2018 के विधानसभा चुनाव में परिवर्तन की लहर चली.15 साल से राज कर रही बीजेपी को सत्ता से बाहर होना पड़ा. कांकेर विधानसभा से बीजेपी और कांग्रेस ने दो नए उम्मीदवार उतारे.शिशुपाल शोरी को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया. वहीं बीजेपी ने हीरा मरकाम को आगे किया.कांग्रेस के शिशुपाल शोरी को 69 हजार 53 तो बीजेपी के हीरा मरकाम को 49 हजार 249 वोट प्राप्त हुए. जीत का अंतर 19 हजार 804 मतों का रहा.

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क्या है जातिगत समीकरण ? : कांकेर जिले में अलग-अलग जाति धर्म के लोग निवास करते हैं. जिला आदिवासी बाहुल्य होने के कारण आदिवासियों की संख्या ज्यादा है. कांकेर विधानसभा में ग्रामीण और शहरी मतदाताओं दोनों शामिल हैं.जिसमें जनजातीय समाज, पिछड़ा वर्ग, सामान्य वर्ग के मतदाता ज्यादा हैं.मतदाताओं की बात करे तो वर्तमान में कांकेर विधानसभा क्षेत्र में 1लाख 78 हजार 175 मतदाता हैं. महिला मतदाता 85 हजार 436 है. वहीं पुरूष मतदाता 92 हजार 737 हैं.

Last Updated : Aug 18, 2023, 6:29 PM IST
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