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कांकेर: बैलेंसिंग रॉक का बैलेंस देख हैरान रह जाएंगे आप

कांकेर की पहाड़ियों में ऐसी बैलेंसिंग रॉक(Balancing Rock) हैं, जिसे देखकर आप हैरत में पड़ जाएंगे. इन चट्टानों की खासियत यह है कि बिना सीमेंट-गारे के वर्षों से ऐसे ही एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं. चाहे भूकंप आए, तूफान आए, बारिश हो. लेकिन ये पत्थर टस से मस नहीं होते. जानिए कुदरत के इस रहस्य को.

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Published : Mar 20, 2021, 9:44 PM IST

Updated : Mar 29, 2021, 4:28 PM IST

Balancing Rocks of Kanker,कांकेर के बैलेंसिंग रॉक
बैलेंसिंग रॉक

कांकेर: छत्तीसगढ़ का कांकेर सुंदर पहाड़ियों से घिरा हुआ है, लेकिन इन सुंदर पहाड़ियों में दिखने वाले चट्टानों की अपनी एक अलग विशिष्टता है. एक नजर में ये पत्थर आम से लगते हैं, लेकिन ऐसा है नहीं. छोटे पत्थरों के ऊपर बड़ी चट्टानें टिकी हुईं है, तो कहीं बड़े पत्थरों में छोटे पत्थर चढ़े हुए दिखाई पड़ते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि पत्थर गिरने ही वाला है. यकीन करना मुश्किल होता है. जब तेज आंधी और तूफान भी इन पत्थरों को टस से मस नहीं कर पाते. इन विशाल लटकते पत्थरों की अपनी अलग पहचान है. जिसे बैलेंसिंग रॉक या समतोल चट्टान कहा जाता है.

कांकेर के बैलेंसिंग रॉक

देश में जबलपुर, महाबलीपुरम समेत कई जगहों पर बैलेंसिंग रॉक(Balancing Rock) पाए जाते हैं. जिसे पर्यटन के रूप में विकसित भी किया गया है. लेकिन छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला मुख्यालय के आस-पास की पहाड़ियों में स्थित बैलेंसिंग रॉक को अब तक पहचान नहीं मिल सकी. ना ही इसे संरक्षित करने की कोई कोशिश की गई है. हालात यह है कि पहाड़ों की चट्टानों को चीर कर गिट्टियां निकाली जा रही है. इससे इन बैलेंसिंग रॉक के खत्म होने का भी खतरा मंडरा रहा है.

'वर्षों से यू हीं एक दूसरे से जुड़े हैं ये पत्थर'

स्थानीय निवासियों ने बताया कि वर्षों से ये पत्थर एक दूसरे से जुड़े हैं. एक दूसरे के ऊपर टिके हैं. भूकंप, बारिश और तूफान में भी ये पत्थर ऐसे टिके रहते हैं. ETV भारत से बातचीत में स्थानीय निवासियों ने इसे कुदरत का करिश्मा बताया. यहां के स्थानीय निवासियों को बैलेंसिंग रॉक क्या है ये नहीं पता. उनकी मांग है कि इसे सरकार की तरफ से पर्यटन के रूप में विकसित करना चाहिए. बस्तर जितना खूबसूरत है, उतने ही रोमांच से भरा हुआ है. इन चट्टानों को देखकर लगता है, जैसे किसी जादू ने इन्हें जोड़ दिया हो.इनकी तरफ सरकार को ध्यान देना चाहिए, जिससे यहां पर्यटन के नए रास्ते खुले और लोगों को यहां की अनोखी चीजों के बारे में पता चल सके.

Balancing Rocks of Kanker
बैलेंसिंग रॉक

बस्तर की हसीन वादियां देख रोमांचित हो जाएगा आपका मन

ऐसे होता है इन चट्टानों का निर्माण

भू-गर्भ विज्ञान के प्राध्यापक प्रदीप गौर ने इन लटकते पत्थरों को लेकर ETV भारत से बात की. उन्होंने बताया कि कांकेर चारों ओर से ग्रेनाइट शिलाओं से घिरा हुआ है. यह ग्रेनाइट आग्नेय शिलाएं हैं. इसकी बनने की प्रक्रिया कुछ ऐसी है कि 'पृथ्वी के अंदर का मैग्मा लावा जब ठंडा होकर जम जाता है और ठोस अवस्था को प्राप्त कर लेता है तो इस प्रकार की चट्टानों का निर्माण होता है'

Balancing Rocks of Kanker, कांकेर के बैलेंसिंग रॉक
कांकेर के बैलेंसिंग रॉक

SPECIAL: गुलजार बस्तर में पसरा सन्नाटा, घाटे में हैं पर्यटन से जुडे़ व्यवसाय

प्राध्यापक प्रदीप गौर ने बताया कि अलग-अलग इरोशन और वेदरिंग के कारण उनका शरण (ठहराव) होता है. शरण की प्रक्रिया सामान्यतः नीचे भाग की तरफ ज्यादा होती है. ऊपर की तरफ कम होती है. जिसके चलते नीचे की शिलाएं कणों से टकरा कर जल्दी बैठ जाती है. ऊपर की शिलाएं बड़े आकार में ही रहती है. एक बहुत छोटे से बिंदु पर बहुत बड़ी शिला टिकी हुई है. दरअसल, ऊपर और नीचे का भाग एक ही शिला का है.

पर्यटन को बढ़ावा देने की जरुरत

भारत में भी और विदेशों में भी बैलेंसिंग रॉक जहां-जहां हैं, उन जगहों को पर्यटन के क्षेत्र में विकसित किया गया है. कांकेर सुंदरता के लिए जाना जाता है. यहां के बैलेंसिंग रॉक को आस-पास के ग्रामीणों के साथ पर्यटन के रूप में जोड़ कर रोजगार की संभावना पैदा की जा सकती है. महाबलीपुरम में बैलेंसिंग रॉक को विकसित किया गया है लेकिन कांकेर के बैलेंसिंग रॉक को अब तक विकसित नहीं किया गया है.

कांकेर: छत्तीसगढ़ का कांकेर सुंदर पहाड़ियों से घिरा हुआ है, लेकिन इन सुंदर पहाड़ियों में दिखने वाले चट्टानों की अपनी एक अलग विशिष्टता है. एक नजर में ये पत्थर आम से लगते हैं, लेकिन ऐसा है नहीं. छोटे पत्थरों के ऊपर बड़ी चट्टानें टिकी हुईं है, तो कहीं बड़े पत्थरों में छोटे पत्थर चढ़े हुए दिखाई पड़ते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि पत्थर गिरने ही वाला है. यकीन करना मुश्किल होता है. जब तेज आंधी और तूफान भी इन पत्थरों को टस से मस नहीं कर पाते. इन विशाल लटकते पत्थरों की अपनी अलग पहचान है. जिसे बैलेंसिंग रॉक या समतोल चट्टान कहा जाता है.

कांकेर के बैलेंसिंग रॉक

देश में जबलपुर, महाबलीपुरम समेत कई जगहों पर बैलेंसिंग रॉक(Balancing Rock) पाए जाते हैं. जिसे पर्यटन के रूप में विकसित भी किया गया है. लेकिन छत्तीसगढ़ के कांकेर जिला मुख्यालय के आस-पास की पहाड़ियों में स्थित बैलेंसिंग रॉक को अब तक पहचान नहीं मिल सकी. ना ही इसे संरक्षित करने की कोई कोशिश की गई है. हालात यह है कि पहाड़ों की चट्टानों को चीर कर गिट्टियां निकाली जा रही है. इससे इन बैलेंसिंग रॉक के खत्म होने का भी खतरा मंडरा रहा है.

'वर्षों से यू हीं एक दूसरे से जुड़े हैं ये पत्थर'

स्थानीय निवासियों ने बताया कि वर्षों से ये पत्थर एक दूसरे से जुड़े हैं. एक दूसरे के ऊपर टिके हैं. भूकंप, बारिश और तूफान में भी ये पत्थर ऐसे टिके रहते हैं. ETV भारत से बातचीत में स्थानीय निवासियों ने इसे कुदरत का करिश्मा बताया. यहां के स्थानीय निवासियों को बैलेंसिंग रॉक क्या है ये नहीं पता. उनकी मांग है कि इसे सरकार की तरफ से पर्यटन के रूप में विकसित करना चाहिए. बस्तर जितना खूबसूरत है, उतने ही रोमांच से भरा हुआ है. इन चट्टानों को देखकर लगता है, जैसे किसी जादू ने इन्हें जोड़ दिया हो.इनकी तरफ सरकार को ध्यान देना चाहिए, जिससे यहां पर्यटन के नए रास्ते खुले और लोगों को यहां की अनोखी चीजों के बारे में पता चल सके.

Balancing Rocks of Kanker
बैलेंसिंग रॉक

बस्तर की हसीन वादियां देख रोमांचित हो जाएगा आपका मन

ऐसे होता है इन चट्टानों का निर्माण

भू-गर्भ विज्ञान के प्राध्यापक प्रदीप गौर ने इन लटकते पत्थरों को लेकर ETV भारत से बात की. उन्होंने बताया कि कांकेर चारों ओर से ग्रेनाइट शिलाओं से घिरा हुआ है. यह ग्रेनाइट आग्नेय शिलाएं हैं. इसकी बनने की प्रक्रिया कुछ ऐसी है कि 'पृथ्वी के अंदर का मैग्मा लावा जब ठंडा होकर जम जाता है और ठोस अवस्था को प्राप्त कर लेता है तो इस प्रकार की चट्टानों का निर्माण होता है'

Balancing Rocks of Kanker, कांकेर के बैलेंसिंग रॉक
कांकेर के बैलेंसिंग रॉक

SPECIAL: गुलजार बस्तर में पसरा सन्नाटा, घाटे में हैं पर्यटन से जुडे़ व्यवसाय

प्राध्यापक प्रदीप गौर ने बताया कि अलग-अलग इरोशन और वेदरिंग के कारण उनका शरण (ठहराव) होता है. शरण की प्रक्रिया सामान्यतः नीचे भाग की तरफ ज्यादा होती है. ऊपर की तरफ कम होती है. जिसके चलते नीचे की शिलाएं कणों से टकरा कर जल्दी बैठ जाती है. ऊपर की शिलाएं बड़े आकार में ही रहती है. एक बहुत छोटे से बिंदु पर बहुत बड़ी शिला टिकी हुई है. दरअसल, ऊपर और नीचे का भाग एक ही शिला का है.

पर्यटन को बढ़ावा देने की जरुरत

भारत में भी और विदेशों में भी बैलेंसिंग रॉक जहां-जहां हैं, उन जगहों को पर्यटन के क्षेत्र में विकसित किया गया है. कांकेर सुंदरता के लिए जाना जाता है. यहां के बैलेंसिंग रॉक को आस-पास के ग्रामीणों के साथ पर्यटन के रूप में जोड़ कर रोजगार की संभावना पैदा की जा सकती है. महाबलीपुरम में बैलेंसिंग रॉक को विकसित किया गया है लेकिन कांकेर के बैलेंसिंग रॉक को अब तक विकसित नहीं किया गया है.

Last Updated : Mar 29, 2021, 4:28 PM IST
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