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कांकेर के इस इलाके में स्कूल बनाने में छूट रहे पसीने

छत्तीसगढ़ सरकार से ग्रामीणों की अपील है कि कांकेर में बांस के स्कूल के बजाए पक्के स्कूल बनाए जाएं. लेकिन इस अंदरुनी इलाके में स्कूल बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Chhattisgarh government claim of ending Naxalism turned out to be hollow
कांकेर से नहीं खत्म हुआ नक्सलवाद
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Published : Feb 23, 2022, 4:09 PM IST

Updated : Feb 23, 2022, 7:12 PM IST

कांकेर: जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में पक्के स्कूल भवन का निर्माण कराने में दिक्कत हो रही है. पक्के स्कूल भवन निर्माण के बदले प्रशासन बांस के बने प्री फ्रेब्रिकेटेड स्कूल भवन का निर्माण कराकर दे रही है.

ये है बांस के स्कूल की स्थिति

ये स्कूल बारिश में बच्चों को पानी से भी नहीं बचा पाते. अंदरूनी क्षेत्रो में बांस से बने प्री फ्रेब्रिकेटेड स्कूल भवन को दीमक चट कर जा रहे हैं. बांस से बने ये स्कूल भवन ग्रामीण क्षेत्रों में टिक नहीं पा रहे. प्रशासन ने अंदरूनी क्षेत्र के 9 स्कूल भवन निर्माण के लिए 78 लाख 66 हजार रुपए की स्वीकृति दी है. इस राशि से 9 गांवों में बांस से प्री फ्रेब्रिकेटेड स्कूलों का निर्माण होना है. जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इस राशि से कांक्रीट स्कूल भवन का निर्माण हो सकता है. सरकार नक्सल समस्या बता कर गांवों में पक्के स्कूल भवन तक नहीं बना पा रही है.

यह भी पढ़ें: मुंगेली में बारातियों का हुड़दंग : लड़कीवालों ने खाने कहा तो चाकू गोद किया घायल

नक्सलियों ने तोड़ा था पक्का भवन

दो दशक पहले शैक्षणिक भवनों में फोर्स ठहरा करती थी. इसका विरोध करते हुए नक्सलियों ने पक्के भवनों को तोड़ दिया था. तब प्रशासन ने बच्चों के शैक्षणिक व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए बांस से आवासीय शाला भवन बनाए थे. साल 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल भवनों में फोर्स के रुकने पर पाबंदी लगा दी थी.

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्री फ्रेब्रिकेटेड स्कूलों का होता है निर्माण

शासन की योजना के तहत जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में स्कूलों के संचालन के लिए बांस से प्री फ्रेब्रिकेटेड स्कूलों का निर्माण किया गया था. बांस से बने स्कूलों को भवन का रूप दिया गया था. लेकिन बांस से बने इन भवनों को दीमक चट कर रहे हैं. बारिश की मार भी बांस से बने भवन झेल नहीं पा रहे हैं. उत्तर बस्तर कांकेर में अंतागढ़ विकासखंड के मातला (अ) में बने बांस से प्री फ्रेब्रिकेटेड हाई स्कूल भवन को दीमकों ने चट कर दिया है.

यह भी पढ़ें: दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने दो रेल इंजन फूंके, किरंदुल-विशाखापट्टनम रेल मार्ग बाधित

बांस का स्कूल होता है बेकार-ग्रामीण

इस विषय में मातला (अ) के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में साल 2014 से हाई स्कूल संचालित हो रहा है. 8 साल पहले हाई स्कूल को बांस से बने फ्रेब्रिकेटेड भवन बनाया गया था. लेकिन भवन पूरी तरह से कंडम को चुका है. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में कोई नक्सली समस्या नहीं है. फिर भी प्रशासन के माध्यम से हाल ही में 21 लाख रुपए स्वीकृत कर फिर से बांस के स्कूल भवन बनाने की तैयारी की जा रही है.

बांस के स्कूल से हो रही बच्चों को दिक्कत

बांस से बने स्कूल भवन से बच्चों को काफी दिक्कतों का समाना करना पड़ता है. बारिश के दिनो में छतों से पानी टपकता है. इसीलिए ग्रामीणों की मांग है कि 21 लाख के बांस के स्कूल भवन बनाने के बजाय पक्के कांक्रीट के स्कूल भवन बनाए जाएं.

क्यों आ रही है मुश्किल

बस्तर में नक्सलियों ने करीब 300 स्कूल भवन ढहा दिए थे. समस्या से निपटने के लिए इन इलाकों में बांस से बने पोटा केबिन बनाए गए हैं. कांकेर कलेक्टर चंदन कुमार का कहना है कि अंदरूनी क्षेत्र होने के कारण इन क्षेत्रों में कॉन्ट्रैक्टर बहुत कम मिलते हैं. कांक्रीट के पक्के भवन में लागत भी अधिक आती है. नक्सल समस्या को देखते हुए बांस के स्कूल भवन बनाए जाते हैं.

कांकेर: जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में पक्के स्कूल भवन का निर्माण कराने में दिक्कत हो रही है. पक्के स्कूल भवन निर्माण के बदले प्रशासन बांस के बने प्री फ्रेब्रिकेटेड स्कूल भवन का निर्माण कराकर दे रही है.

ये है बांस के स्कूल की स्थिति

ये स्कूल बारिश में बच्चों को पानी से भी नहीं बचा पाते. अंदरूनी क्षेत्रो में बांस से बने प्री फ्रेब्रिकेटेड स्कूल भवन को दीमक चट कर जा रहे हैं. बांस से बने ये स्कूल भवन ग्रामीण क्षेत्रों में टिक नहीं पा रहे. प्रशासन ने अंदरूनी क्षेत्र के 9 स्कूल भवन निर्माण के लिए 78 लाख 66 हजार रुपए की स्वीकृति दी है. इस राशि से 9 गांवों में बांस से प्री फ्रेब्रिकेटेड स्कूलों का निर्माण होना है. जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इस राशि से कांक्रीट स्कूल भवन का निर्माण हो सकता है. सरकार नक्सल समस्या बता कर गांवों में पक्के स्कूल भवन तक नहीं बना पा रही है.

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नक्सलियों ने तोड़ा था पक्का भवन

दो दशक पहले शैक्षणिक भवनों में फोर्स ठहरा करती थी. इसका विरोध करते हुए नक्सलियों ने पक्के भवनों को तोड़ दिया था. तब प्रशासन ने बच्चों के शैक्षणिक व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए बांस से आवासीय शाला भवन बनाए थे. साल 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल भवनों में फोर्स के रुकने पर पाबंदी लगा दी थी.

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्री फ्रेब्रिकेटेड स्कूलों का होता है निर्माण

शासन की योजना के तहत जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में स्कूलों के संचालन के लिए बांस से प्री फ्रेब्रिकेटेड स्कूलों का निर्माण किया गया था. बांस से बने स्कूलों को भवन का रूप दिया गया था. लेकिन बांस से बने इन भवनों को दीमक चट कर रहे हैं. बारिश की मार भी बांस से बने भवन झेल नहीं पा रहे हैं. उत्तर बस्तर कांकेर में अंतागढ़ विकासखंड के मातला (अ) में बने बांस से प्री फ्रेब्रिकेटेड हाई स्कूल भवन को दीमकों ने चट कर दिया है.

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बांस का स्कूल होता है बेकार-ग्रामीण

इस विषय में मातला (अ) के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में साल 2014 से हाई स्कूल संचालित हो रहा है. 8 साल पहले हाई स्कूल को बांस से बने फ्रेब्रिकेटेड भवन बनाया गया था. लेकिन भवन पूरी तरह से कंडम को चुका है. ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में कोई नक्सली समस्या नहीं है. फिर भी प्रशासन के माध्यम से हाल ही में 21 लाख रुपए स्वीकृत कर फिर से बांस के स्कूल भवन बनाने की तैयारी की जा रही है.

बांस के स्कूल से हो रही बच्चों को दिक्कत

बांस से बने स्कूल भवन से बच्चों को काफी दिक्कतों का समाना करना पड़ता है. बारिश के दिनो में छतों से पानी टपकता है. इसीलिए ग्रामीणों की मांग है कि 21 लाख के बांस के स्कूल भवन बनाने के बजाय पक्के कांक्रीट के स्कूल भवन बनाए जाएं.

क्यों आ रही है मुश्किल

बस्तर में नक्सलियों ने करीब 300 स्कूल भवन ढहा दिए थे. समस्या से निपटने के लिए इन इलाकों में बांस से बने पोटा केबिन बनाए गए हैं. कांकेर कलेक्टर चंदन कुमार का कहना है कि अंदरूनी क्षेत्र होने के कारण इन क्षेत्रों में कॉन्ट्रैक्टर बहुत कम मिलते हैं. कांक्रीट के पक्के भवन में लागत भी अधिक आती है. नक्सल समस्या को देखते हुए बांस के स्कूल भवन बनाए जाते हैं.

Last Updated : Feb 23, 2022, 7:12 PM IST

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