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कांकेर: कृषि उपज मंडी 20 साल बाद गुलजार, खरीदी-बिक्री के लिए व्यापारी तैयार

कांकेर नगर की कृषि उपज मंडी में 20 साल बाद खरीदी-बिक्री शुरू हुई है. मंडी में अब किसान अपनी फसल मनपसंद रेट और व्यापारी के पास बेच सकेंगे. बुधवार को बस्तर संभाग के आयुक्त की पहल से मंडी शुरू की गई. अब किसान और व्यापारी मंडी में नीलामी के लिए पहुंच रहें हैं.

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20 साल बाद कृषि उपज मंडी में काम शुरू
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Published : Dec 2, 2020, 9:48 PM IST

Updated : Dec 2, 2020, 10:59 PM IST

कांकेर: 20 साल बाद कांकेर नगर की कृषि उपज मंडी फिर से गुलजार नजर आई. मंडी में किसान अपनी उपज लेकर पहुंचे और मंडी कारोबार भी शुरू हुआ. सुभाष वार्ड रोड स्थित कृषि उपज मंडी में बुधवार को सुबह किसान नीलामी प्रक्रिया से फसल बेचने पहुंचे. व्यापारियों ने बोली लगाकर किसानों की फसल खरीदी. इससे किसानों में खुशी की झलक देखने को मिली.

कांकेर SDM यूएस बांदे, मंडी सचिव एएन मार्कण्डेय ने तौल मशीन की विधि-विधान से पूजा अर्चना कर खरीदी शुरू कराई. पहले दिन किसानों की संख्या बेहद कम रही. एसडीएम यूएस बांदे ने बताया कि 20 साल बाद फिर से किसान नीलामी प्रक्रिया से अपनी फसल बेच पाएंगे. समिति के जरिए धान खरीदी की जाती है.

कृषि उपज मंडी 20 साल बाद गुलजार

किसानों को होगा फायदा

बस्तर संभाग के आयुक्त की पहल से मंडी में नीलामी प्रक्रिया से किसानों का धान खरीदा जाता था. सरकारी मापदंड के तहत निर्धारित क्विंटल में धान खरीदा जा रहा है. पहले बिचौलिए किसानों से कम दाम में धान ले लेते थे. लेकिन अब किसानों को सही दाम मिल पाएगा. मंडी के जरिए नीलामी प्रक्रिया से किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिलेगा.

पढ़ें: SPECIAL: 'आधी' हुई अन्नदाता की खुशी, मजबूरी में मंडी में बेच रहे धान

मंडी में खुली नीलामी प्रक्रिया
मंडी सचिव एएन मार्कण्डेय ने बताया कि मंडी में खुली नीलामी प्रक्रिया से किसानों को फायदा होगा. व्यापारियों और राइस मिलर्स की मीटिंग रखी गई थी. बैठक में किसानों की धान की बोली लगाने पर चर्चा हुई. यह प्रक्रिया सालों से बंद थी, लेकिन अब इसे शुरू कर दिया गया है.

पढ़ें: 31 जनवरी तक होगी धान खरीदी, छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020 के प्रारूप का अनुमोदन

मंडी में नीलामी के लिए लगाई गई बोली
किसान धर्मेंद्र निषाद की फसल के लिए मंडी में पहली नीलामी की बोली लगाई गई. पहले दिन 13 किसानों की फसल की नीलामी प्रक्रिया से बोली लगाई गई. धर्मेंद्र कहते हैं कि खुले बाजार में बेचने से 200 रुपए तक घाटा हो जाता लेकिन अब फायदा हो रहा है.

पहले बचे धान को किसान औने-पौने दाम में बिचौलियों को बेच देते थे. 20 साल बाद किसानों के उपज को मंडी में नीलामी प्रक्रिया से बोली लगाकर खरीदा जा रहा है. इससे आसपास के किसानों को भी काफी फायदा मिलेगा.

कांकेर: 20 साल बाद कांकेर नगर की कृषि उपज मंडी फिर से गुलजार नजर आई. मंडी में किसान अपनी उपज लेकर पहुंचे और मंडी कारोबार भी शुरू हुआ. सुभाष वार्ड रोड स्थित कृषि उपज मंडी में बुधवार को सुबह किसान नीलामी प्रक्रिया से फसल बेचने पहुंचे. व्यापारियों ने बोली लगाकर किसानों की फसल खरीदी. इससे किसानों में खुशी की झलक देखने को मिली.

कांकेर SDM यूएस बांदे, मंडी सचिव एएन मार्कण्डेय ने तौल मशीन की विधि-विधान से पूजा अर्चना कर खरीदी शुरू कराई. पहले दिन किसानों की संख्या बेहद कम रही. एसडीएम यूएस बांदे ने बताया कि 20 साल बाद फिर से किसान नीलामी प्रक्रिया से अपनी फसल बेच पाएंगे. समिति के जरिए धान खरीदी की जाती है.

कृषि उपज मंडी 20 साल बाद गुलजार

किसानों को होगा फायदा

बस्तर संभाग के आयुक्त की पहल से मंडी में नीलामी प्रक्रिया से किसानों का धान खरीदा जाता था. सरकारी मापदंड के तहत निर्धारित क्विंटल में धान खरीदा जा रहा है. पहले बिचौलिए किसानों से कम दाम में धान ले लेते थे. लेकिन अब किसानों को सही दाम मिल पाएगा. मंडी के जरिए नीलामी प्रक्रिया से किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिलेगा.

पढ़ें: SPECIAL: 'आधी' हुई अन्नदाता की खुशी, मजबूरी में मंडी में बेच रहे धान

मंडी में खुली नीलामी प्रक्रिया
मंडी सचिव एएन मार्कण्डेय ने बताया कि मंडी में खुली नीलामी प्रक्रिया से किसानों को फायदा होगा. व्यापारियों और राइस मिलर्स की मीटिंग रखी गई थी. बैठक में किसानों की धान की बोली लगाने पर चर्चा हुई. यह प्रक्रिया सालों से बंद थी, लेकिन अब इसे शुरू कर दिया गया है.

पढ़ें: 31 जनवरी तक होगी धान खरीदी, छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक 2020 के प्रारूप का अनुमोदन

मंडी में नीलामी के लिए लगाई गई बोली
किसान धर्मेंद्र निषाद की फसल के लिए मंडी में पहली नीलामी की बोली लगाई गई. पहले दिन 13 किसानों की फसल की नीलामी प्रक्रिया से बोली लगाई गई. धर्मेंद्र कहते हैं कि खुले बाजार में बेचने से 200 रुपए तक घाटा हो जाता लेकिन अब फायदा हो रहा है.

पहले बचे धान को किसान औने-पौने दाम में बिचौलियों को बेच देते थे. 20 साल बाद किसानों के उपज को मंडी में नीलामी प्रक्रिया से बोली लगाकर खरीदा जा रहा है. इससे आसपास के किसानों को भी काफी फायदा मिलेगा.

Last Updated : Dec 2, 2020, 10:59 PM IST
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