कांकेर : कांकेर जिले के अंतागढ़ विधानसभा में कांग्रेस के मौजूदा विधायक अनूप नाग को टिकिट नहीं मिलने के बाद बागी हो गए हैं. अनूप नाग ने निर्दलीय नामांकन फॉर्म भर दिया है.यदि अनूप ने नाम वापस नहीं लिया तो अंतागढ़ विधानसभा में मुकाबला रोचक हो सकता है. अनूप नाग रिटायर्ड टीआई हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के विक्रम उसेंडी को अनूप नाग ने 13414 मतों से हराया था. अनूप नाग को 75061 वोट मिले थे. वहीं बीजेपी के विक्रम उसेंडी को 43647 मत मिले थे.
कौन है 2023 में दावेदार ? : 2023 के विधानसभा चुनाव में अंतागढ़ विधानसभा से कांग्रेस से रूपसिंह पोटाई प्रत्याशी बनाए गए हैं. बीजेपी से विक्रम उसेंडी हैं. वहीं 2014 के उपचुनाव में नाम वापस लेने वाले मंतूराम पवार भी चुनावी मैंदान में है. टिकिट नही मिलने से नाराज अनूप नाग कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय लड़ रहे हैं. अनूप नाग ने ETV भारत को बताया कि सत्य के रास्ते में चलते हुए हमेशा क्षेत्र का विकास 5 साल तक किया. इस बात को क्षेत्र की जनता ने देखा है.उसके बावजूद टिकट से वंचित किया.
'' मेरे साथ छल कपट किया. मेरे क्षेत्र की जनता ने बहुत असहज, असहाय और दुःख व्यक्त करते हुए मुझे चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया. जनता ने कहा कि आपके साथ, क्षेत्र की जनता के साथ, अंतागढ़ क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के साथ छल कपट कर धोखा दिया गया है. अपने लोगों की इस बात ने मुझे चुनाव लड़ने प्रेरित किया. उन्ही के इच्छा के अनुसार मैंने यह कदम उठाया है.'' अनूप नाग, विधायक कांग्रेस
दो बार के विधायक रह चुके हैं विक्रम उसेंडी : 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के विक्रम उसेंडी को जीत मिली थी. उन्हें कुल 53477 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के मंतूराम पवार को 48306 वोट मिले थे. 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के ही विक्रम उसेंडी को जीत मिली थी. उन्हें 37255 वोट मिला था. कांग्रेस के मंतूराम पवार को 37146 वोट मिले थे. इस विधानसभा में 2014 में उप चुनाव हुए थे.
2014 के उपचुनाव में हुआ था बड़ा खेल : 2014 के उपचुनाव में दिल्ली तक सियासत गरमाई थी. विक्रम उसेंडी के विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद उपचुनाव में बीजेपी ने भोजराज नाग को उतारा था. कांग्रेस ने मंतू पवार पर दांव खेला लेकिन अंतिम समय में मंतूराम ने नाम वापस लेकर सबको चौंका दिया था. इसके बाद अकेले अंबेडकराइट पार्टी प्रत्याशी रूपधर पुड़ो को छोड़ बाकी निर्दलीय प्रत्याशियों ने नाम वापस ले लिए थे. मैदान में अकेले डटे पुड़ो और नाग के बीच मुकाबले में नाग 50 हजार से ज्यादा मतों से जीते थे.