कांकेर : जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर स्थित गांव में एक ऐसा स्कूल है, जहां बच्चों को गोंडी भाषा में शिक्षा दी जाती है. जंगो रायतारा सोसाइटी ने क्षेत्रीय भाषा को बचाने के लिए ये बीड़ा उठाया है.
सरोना गांव में सोसाइटी के लोगों ने 2015 में इस संस्था का गठन किया था, इस स्कूल में मुख्य शिक्षा अंग्रेजी माध्यम में दी जाती है, साथ ही पहली से चौथी तक के बच्चों को गोंडी भाषा में भी शिक्षा दी जाती है. वर्तमान में यहां 80 बच्चे पढ़ रहे हैं.
आदिवासी समाज देता है फीस
गोंडी भाषा में शिक्षा की शुरुआत होने के बाद से ही इसे निशुल्क कर दिया गया. स्कूल का संचालन आदिवासी समाज के लोग करते हैं, जिसके लिए चंदा इकट्ठा किया जाता है.
आदिवासियों की प्रमुख भाषा गोंडी
बस्तर के अंदरूनी इलाकों के ग्रामीण आज भी मात्र गोंडी भाषा को समझते और बोलते हैं, समाज के लोग मानते हैं कि उनके क्षेत्र के बच्चे भाषा की वजह से आगे नहीं बढ़ पाते हैं, बच्चों की परवरिश गोंडी भाषा में होती है, ऐसे में स्कूल में हिंदी भाषा समझ पाना उनके लिए मुश्किल हो जाता है. बता दें कि जुलाई 2018 में प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने कहा था कि 'गोंडी भाषा को प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल करने विचार चल रहा है, लेकिन फिलहाल इस पर कोई अमल नहीं किया गया है'.
गोंडी में होती है प्रार्थना
इस स्कूल में बच्चे गोंडी में ही प्रार्थना करते है, साथ ही गोंडी भाषा के गीत भी बच्चे गाते हैं, स्कूल के शिक्षक सगनुराम मंडावी कहते हैं, कि 'वो खुद को भाग्यशाली समझते हैं कि, उन्हें इन बच्चों को गोंडी भाषा सिखाने का मौका मिला है'.