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कवर्धा: मधुमक्खी पालन से महिलाएं होंगी आत्मनिर्भर, प्रति पेटी 25 सौ रुपये की आमदनी - मधुमक्खी पालन ने आत्मनिर्भर बनी महिलाएं

कवर्धा के भोरमदेव आजीविका परिसर ने चार महिला स्व सहायता समूह को मधुमक्खी पालन से जोड़ा है. इस प्रयास से ग्रामीण महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर होंगी बल्कि उन्हें आजीविका चलाने में भी मदद मिलेगी.

Beekeeping in kawardha
मधूमक्खी पालन के लिए बांटी गई पेटियां
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Published : Nov 3, 2020, 1:08 PM IST

कवर्धा: भोरमदेव आजीविका परिसर राजानवागांव में कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से आजीविका संवर्धन के गतिविधियों के तहत राष्ट्रीय बागबानी मिशन के अंतर्गत मधुमक्खी पालन का कार्य शुरू किया गया है. इसके लिए चार महिला स्व सहायता समूह को मधूमक्खी पालन से जोड़ा गया है. इस प्रयास से जहां ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी वहीं उन्हें अपनी आजीविका चलाने में भी मदद मिलेगी.

Beekeeping in Kawardha
कवर्धा में मधुमक्खी पालन

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख बीपी त्रिपाठी ने बताया कि मधुमक्खी पालन से महिला समूह को परागण शहद उत्पादन पर सैद्धान्तिक और प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया है. जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विजय दयाराम ने बताया कि मां दुर्गा स्व सहायता समूह, सांई राम स्व सहायता समूह, कुमकुम भाग्य स्व सहायता समूह और राधारानी स्व सहायता समूह को इस योजना से जोड़ा गया है. मधुमक्खी पालन के इस कार्य में सभी समूहों को मिलाकर कुल 40 महिलाएं सीधे तौर पर लाभान्वित होगी.

पढ़ें: मछली पालन के नाम पर रकम दोगुना करने वाला गिरोह सक्रिय

प्रति पेटी होगी 25 सौ रुपये की आमदनी

Training on beekeeping
मधुमक्खी पालन का दिया गया प्रशिक्षण

विजय दयाराम ने बताया कि वर्तमान में समूह को 100 पेटी मधुमक्खी पालन के लिए वितरण किया गया है. जिसमें से प्रति पेटी एक महीने में लगभग पांच किलो शहद का उत्पादन होना अपेक्षित है.जिसे बेचने से प्रति पेटी पचीस सौ रुपये की आमदनी महिला समूह को होगी. उन्होंने बताया की भोरमदेव आजीविका परिसर राजानवागांव ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं के माध्यम से आर्थिक स्वालंबन के लिए अपनी पहचान बना चुका है. इस केन्द्र में पहले से ही अलग-अलग प्रकार की आर्थिक गतिविधियां महिला समूह की ओर से संचालित की जा रही है. इसमें प्रमुख रूप से सब्जियों का उत्पादन, पैकेजिंग, थैला निर्माण, हर्बल साबुन, फिनायल निर्माण और दोना पत्तल निर्माण समेत अन्य कार्य शामिल है.

Beekeeping in kawardha
मधूमक्खी पालन के लिए बांटी गई पेटियां

कवर्धा: भोरमदेव आजीविका परिसर राजानवागांव में कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से आजीविका संवर्धन के गतिविधियों के तहत राष्ट्रीय बागबानी मिशन के अंतर्गत मधुमक्खी पालन का कार्य शुरू किया गया है. इसके लिए चार महिला स्व सहायता समूह को मधूमक्खी पालन से जोड़ा गया है. इस प्रयास से जहां ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी वहीं उन्हें अपनी आजीविका चलाने में भी मदद मिलेगी.

Beekeeping in Kawardha
कवर्धा में मधुमक्खी पालन

कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख बीपी त्रिपाठी ने बताया कि मधुमक्खी पालन से महिला समूह को परागण शहद उत्पादन पर सैद्धान्तिक और प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया है. जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विजय दयाराम ने बताया कि मां दुर्गा स्व सहायता समूह, सांई राम स्व सहायता समूह, कुमकुम भाग्य स्व सहायता समूह और राधारानी स्व सहायता समूह को इस योजना से जोड़ा गया है. मधुमक्खी पालन के इस कार्य में सभी समूहों को मिलाकर कुल 40 महिलाएं सीधे तौर पर लाभान्वित होगी.

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प्रति पेटी होगी 25 सौ रुपये की आमदनी

Training on beekeeping
मधुमक्खी पालन का दिया गया प्रशिक्षण

विजय दयाराम ने बताया कि वर्तमान में समूह को 100 पेटी मधुमक्खी पालन के लिए वितरण किया गया है. जिसमें से प्रति पेटी एक महीने में लगभग पांच किलो शहद का उत्पादन होना अपेक्षित है.जिसे बेचने से प्रति पेटी पचीस सौ रुपये की आमदनी महिला समूह को होगी. उन्होंने बताया की भोरमदेव आजीविका परिसर राजानवागांव ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं के माध्यम से आर्थिक स्वालंबन के लिए अपनी पहचान बना चुका है. इस केन्द्र में पहले से ही अलग-अलग प्रकार की आर्थिक गतिविधियां महिला समूह की ओर से संचालित की जा रही है. इसमें प्रमुख रूप से सब्जियों का उत्पादन, पैकेजिंग, थैला निर्माण, हर्बल साबुन, फिनायल निर्माण और दोना पत्तल निर्माण समेत अन्य कार्य शामिल है.

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मधूमक्खी पालन के लिए बांटी गई पेटियां
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