कवर्धा: कवर्धा को एक समय वॉलीबॉल की नर्सरी कहा जाता था. हर साल जिले से 25 से ज्यादा की संख्या में खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर खेलते थे. जिनमें हर वर्ग के खिलाड़ी शामिल होते थे. लेकिन जैसे-जैसे शहर बढ़ता गया, मैदान भी कम होते गए. आज जिला मुख्यालय में गिनती के मैदान बचे हैं. जहां खिलाड़ी पसीना बहा रहे हैं. इनमें करपात्री हाई स्कूल मैदान सबसे बड़ा है. जहां एथलेटिक्स, हॉकी, फुटबाल, हैंडबॉल के खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं.
इसके अलावा और कोई भी मैदान सही हालत में नहीं है. वहीं वॉलीबॉल के लिए सरदार पटेल मैदान को तैयार किया गया था, लेकिन वह भी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की लापरवाही की भेंट चढ़ गया. अब शहर में एक मात्र वॉलीबॉल ग्राउंड थाना परिसर में हैं. जहां बड़ी संख्या में खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं. छोटे से कोर्ट में जूनियर से लेकर सीनियर वर्ग के खिलाड़ी तैयारी करते हैं. ऐसे में छोटे-छोटे बच्चों को चोट लगने का डर बना रहता है. ग्राउंड भी बहुत छोटा है, जिसके कारण ज्यादा खिलाड़ी प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं.
कवर्धा: डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दामों को लेकर कांग्रेस ने निकाली पदयात्रा
वॉलीबॉल संघ ने की नये मैदान की मांग
मैदान नहीं होने की वजह से वॉलीबॉल के नए खिलाड़ी अब पहले की तरह प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं. मैदान और सुविधाओं की कमी से नेशनल प्लेयर नए खिलाड़ियों को तैयार नहीं कर पा रहे हैं. वॉलीबॉल संघ कई बार जिला प्रशासन से मैदान की मांग कर चुका हैं. लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.