कवर्धा: पंडरिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम कुशयारी,माहिदबरा, तेलियापानी लेदरा,पंडरीपानी,बाहपानी, जैसे अनेकों वनांचल गांव में ग्रामीणों ने गांव तक पहुंचने वाली सड़क पर पेड़ काटकर जाम कर दिया है, जिससे शासन-प्रशासन को जरुरी सुविधाओं को गांव तक पहुंचाने मे बड़ी मुश्किल हो रही है.
ताजा मामला जिले के पंडरिया विकासखंड के वनांचल ग्राम सारपानी का है, जहां एक ग्रामीण की तबीयत खराब होने पर परिजन ने 108 को फोन कर मदद मांगी. सूचना के बाद तत्काल 108 कुकदुर से सारपानी मरीज को लेने रवाना हो गई, लेकिन रास्ते पर पिपरटोला गांव के पास बीच सड़क पर आठ से दस पेड़ों को काटकर रास्ता बंद कर दिया गया था.
कई जगह पर कटे मिले पेड़
एम्बुलेंस में तैनात कर्मचारी विनोद धवालकर ने बताया कि 'काफी मेहनत और मुश्किलों से उन्होंने सड़क पर से पडे़ पेड़ों को हटाया, तब जाकर वो गांव तक पहुंचे, लेकिन 30 किलोमीटर के रास्ते मे 6 जगह इसी तरह सड़क पर पेड़ों को हटाकर रास्ता बंद कर दिया गया था, जिसमें कुछ बच्चे और ग्रामीणों ने पेड़ हटाने में हमारी मदद की'.
आवागमन बंद होने से होती है परेशानी
108 के कर्मचारी ने बताया कि '30 किलोमीटर का सफर 6 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद पूरा किया गया, तब जाकर मरीज को स्वास्थ्य केंद्र कुकदुर पहुंचाया गया. जहां उनका इलाज जारी है. स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि 'कोरोना वायरस की जंग से बड़ी जंग स्वास्थ्यकर्मियों के लिए वनांचल क्षेत्रों के सड़कों पर एम्बुलेंस को चलाना है, क्योंकि वनांचल क्षेत्रों के अधिकतर गांवों में लोगों का आवागमन बंद करने सड़क पर बेशकीमती सागौन के 10 से 12 हरे-भरे पेड़ों को काट कर गिरा दिया गया है, जिसे पार कर आगे जाना बहुत मुश्किल भरा होता है.
मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा मिलने में होती है देरी
स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि 'मरीज काफी तकलीफ में होते हैं, या गर्भवती महिला को डिलीवरी के लिए जल्द से जल्द इलाज के लिए हॉस्पिटल ले जाना होता है, लेकिन इस तरह सड़क पर होने वाली कठिनाई के कारण आवागमन बाधित हो जाता है. इससे लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिलने में समय लग जाता है.
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खास बात यह है कि वनांचल क्षेत्रों में बेशकीमती सागौन के हरे-भरे पेड़ों को काटकर ग्रमीणों ने सड़कों को जाम कर दिया है, इस बात की खबर वन विभाग को भी है, लेकिन वन विभाग इन ग्रामीणों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है, जो समझ से परे है. वहीं कार्रवाई नहीं होने के कारण ग्रामीणों के हौसले ओर बुलंद हो रहे हैं, जिसका नतीजा यही है कि वे धड़ल्ले से बेसकिमती पेड़ों को काट रहे हैं.