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कवर्धा: नहीं मिल रहा वनवासियों को वनोपज का उचित लाभ, सस्ते दाम पर बेचने को हैं मजबूर

वनवासियों को चार बीज का उचित दाम नहीं मिल रहा हैं, जिससे वनवासी बीज को सस्ते दाम पर बिचौलियों के पास बेचने को मजबूर हैं. वहीं वन विभाग भी उचित दाम में खरीदने का प्रावधान है फिर भी विभाग ध्यान नहीं दे रहा है.

वनवासियों को नही मिल रहा वनोपज का उचित दाम
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Published : May 30, 2019, 12:24 PM IST

Updated : May 30, 2019, 4:07 PM IST

कवर्धा: जिले के वनवासियों को चार बीज का उचित दाम नहीं मिल रहा हैं, जिससे वनवासी बीज को सस्ते दाम पर बिचौलियों के पास बेचने को मजबूर हैं. वन विभाग लघु वनोपज के तहत उचित दाम में खरीदने का प्रावधान है फिर भी विभाग ध्यान नहीं दे रहा है, जिससे इलाके के वनवासियों को अपने हक की राशि नसीब नहीं हो रही है.

नहीं मिल रहा वनवासियों को वनोपज का उचित दाम

सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर
दरअसल, कवर्धा जिला वनों से घिरा हुआ है और इन वनों में रहने वाले ज्यादातर लोग आदिवासी बैगा जनजाति के हैं. इनमें ज्यादातर लोग अशिक्षित हैं. उनके जीविका का साधन वनोपज है. वे अपने परिवार का पालन-पोषण वनों में सीजन के अनुसार मिलने वाली वनोपज से करते हैं, जिसमें से चार बीज, महुआ, लाख और भी अन्य वनोपज हैं. वन विभाग की लापरवाही से वनवासियों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है, जिससे वनोपज को सस्ते दामों पर कोचियों को बेचने को मजबूर हैं.

वन विभाग की लापरवाही
बता दें कि इन वनवासियों के पास जीवन यापन करने और दो वक्त की रोटी के लिए वनोपज ही एक सहारा है. भोले-भाले वनवासियों को सक्रिय बिचौलिए ठग कर ले जाते हैं. वहीं वन विभाग भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, जिससे वनवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

कवर्धा: जिले के वनवासियों को चार बीज का उचित दाम नहीं मिल रहा हैं, जिससे वनवासी बीज को सस्ते दाम पर बिचौलियों के पास बेचने को मजबूर हैं. वन विभाग लघु वनोपज के तहत उचित दाम में खरीदने का प्रावधान है फिर भी विभाग ध्यान नहीं दे रहा है, जिससे इलाके के वनवासियों को अपने हक की राशि नसीब नहीं हो रही है.

नहीं मिल रहा वनवासियों को वनोपज का उचित दाम

सस्ते दामों पर बेचने को मजबूर
दरअसल, कवर्धा जिला वनों से घिरा हुआ है और इन वनों में रहने वाले ज्यादातर लोग आदिवासी बैगा जनजाति के हैं. इनमें ज्यादातर लोग अशिक्षित हैं. उनके जीविका का साधन वनोपज है. वे अपने परिवार का पालन-पोषण वनों में सीजन के अनुसार मिलने वाली वनोपज से करते हैं, जिसमें से चार बीज, महुआ, लाख और भी अन्य वनोपज हैं. वन विभाग की लापरवाही से वनवासियों को उचित दाम नहीं मिल पा रहा है, जिससे वनोपज को सस्ते दामों पर कोचियों को बेचने को मजबूर हैं.

वन विभाग की लापरवाही
बता दें कि इन वनवासियों के पास जीवन यापन करने और दो वक्त की रोटी के लिए वनोपज ही एक सहारा है. भोले-भाले वनवासियों को सक्रिय बिचौलिए ठग कर ले जाते हैं. वहीं वन विभाग भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है, जिससे वनवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

Intro:जिले के वनवासी को नही मिल रहा उचित दाम चार,बीज को सस्ते दाम मे कोचियों को बेचने को मजबूर । लघु वनोपज के तहत उचित दाम मे खरीदने का है प्रावधान पर भी नही दे रहा वन विभाग ध्यान।


Body:एकंर- जिले के वनवासियों को नही मिल रहा उचित दाम चार, बीज को सस्ते दाम मे कोचितों के पास बेचने को मजबूर है वनवासी जबकी लघु वनोपज के तहत उचित दाम में खरीदने का है प्रवधान। दरसल कवर्धा जिला वनों से गिरा हुआ है और इन वनों मे रहने वाले जादातर लोग आदिवासी बैगा जनजाति के लोग वास करते है।वही इन बैगा आदिवासी वनों मे ही रहते है, वही विकास की कई के चलते ऐ लोग जादातर अशिक्षा है और अपना जीवन यापन व परिवार का पालन पोषण करने वनो मे सिजन के अनुसार मिलने वाली वनोपज जैसे की चार बीज, महुआ , लाख व और भी अन्य वनोपज को उचित दामों को नियमानुसार शासन को वनोपज को खरिदा जाना है पर वन विभाग की लापरवाही से वनवासी को उचित दाम नही मिलपा रहा है।इन कारण वनवासी अपना चार बीज व और भी अन्य वनोपजो को सस्ते दाम पर कोचियों को बेचने को मजबुर है। आपको बता कि इन वनवासियों के पास जीवन यापन करने और दो वक्त की रोटी के लिए वनोपजो ही एक सहारा है। इसके बावजूद विभागीय लापरवाही के चलते इनके खुन पसीने की मेहनत कर वनोपजो जंगलों से चुनकर लाते है। और ईन सबके बिच भोले-भालो वनवासियों को सक्रिय कोचिया ठगे जा रहे है। बाईट01 दिलराज प्रभाकर, वनमंण्डल अधिकारी


Conclusion:
Last Updated : May 30, 2019, 4:07 PM IST
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