कवर्धा: सरकार भले ही विकास के लाखों दावे कर रही हो लेकिन जमीनी स्तर पर दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं. बैगा आदिवासियों को राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र कहा जाता है और इनके लिए सरकार कई शासकीय योजनाएं चला रही है. लेकिन कवर्धा जिले के सुदूर वनांचल की यह तस्वीर सारे सिस्टम और दावे की पोल खोल रही है. अभी भी जिले में कई गांव ऐसे हैं जो पहुंच से दूर है. गांवों में परिवहन के लिए सड़क नहीं है. इसका खामियाजा आज एक बैगा परिवार को उठाना पड़ा.
जिले के पंडरिया ब्लॉक के अमनिया गांव में सड़कों की स्थिति बेहद खराब है. यही हालत डेंगुरजाम इलाके की भी है. यहां गंगोत्री बैगा महिला की बच्चे की भी मौत सड़क नहीं होने की वजह से हो गई थी. क्योंकि सड़क नहीं होने की वजह से उसे समय पर गांव नहीं पहुचाया जा सका था.
अब एक बार फिर गंगोत्री बैगा को इसकी कीमत चुकानी पड़ी. बेहद गंभीर बीमार पड़ने पर उसके पति ने गंगोत्री को कांवर में बिठाकर अस्पताल पहुंचाया. करीब 10 किलोमीटर तक कांवर में लेकर पैदल चलने के बाद उसके पति ने उसे अस्पताल में पहुंचाया. इस 10 किलोमीटर के दूरी में करीब 6 बार एक ही नदी को उसे पार करना पड़ा.
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कांवर के सहारे एक-दो किलोमीटर नहीं बल्कि पूरे 10 किलोमीटर तक जंगल की पगडंड़ियों की रास्ते से महिला को अस्पताल पहुंचाया गया. ऐसा नहीं है कि प्रशासन को इस गांव की बदहाली की जानकारी नहीं है. जून माह में हमने इस गांव की बदहाली और सड़क की हालात को लेकर प्रमुखता से खबर दिखाई थी. उसके बावजूद सिस्टम ने पुरानी घटना से कोई सबक नहीं लिया.