पंडरिया/ कवर्धा: संत बाबा गुरुघासीदास की 263 वीं जयंती नगर में धूमधाम से मनाई गई. कुंडा में सतनामी समाज ने जयंती के मौके पर शोभा यात्रा निकाली गई.
'मनखे-मनखे एक समान' और 'सत्य ही मानव का आभूषण है' जैसे संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने वाले गुरुघासीदास की जयंती समाज के लोगों ने हर्षोल्लास के साथ मनाई और उनके विचारों को याद किया.
दिया 'मनखे-मनखे एक समान' का संदेश
बाबा गुरुघासीदास का जन्म 18 दिसंबर 1756 को कसडोल ब्लॉक के गिरौदपुरी में हुआ था. बाबा गुरुघासीदास जी का जन्म के समय समाज में सामाजिक अराजकता और छुआ-छूत चरम सीमा पर था. बाबा गुरुघासीदास ने समाज में फैली बुराईयों को खत्म करने का प्रयास किया और 'मनखे-मनखे एक समान' का संदेश दिया.
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सतनाम पंथ की स्थापना
बाबा गुरुघासीदास ने सतनाम पंथ की स्थापना की और समाज में लोगों के साथ हो रहे भेदभाव को दूर करने का बीड़ा उठाया. उन्होंने गिरौदपुरी में कई अलौकिक कार्य किए.
किया जाता है पंथी नृत्य
बाबा गुरुघासीदास को सतनामी समाज भगवान की तरह पूजता है. हर साल 18 दिसंबर को पूरा सतनामी समाज छत्तीसगढ़ में बड़े ही धूमधाम से इस पर्व को मनाता है. कार्यक्रम के दौरान पंथी नृत्य भी किया जाता है.