तस्वीरों में दिख रहे ये लोग न तो कोई पर्वतारोही हैं और न ही खानाबदोश. आपको जानकर हैरत होगी कि ये सभी लोग स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी हैं जो कठीन से कठीन परीस्थितीयों में भी अपनी ड्यूटी पूरी इमानदारी से निभा रहे हैं. कवर्धा जिले में इन दिनों डायरिया और मौसमी बीमारी परेशानी का सबब बने हुए हैं.
जहां बीमारी लोगों को अपना शिकार बना रही है तो वहीं स्वास्थ्य अमला पुरी ताकत से इससे लड़ाई लड़ रहा है. ग्रामीण इलाकों से लगातार लोगों के बीमार होने की खबरे आ रहीं थी. कई जगह तो बीमार तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं थी, ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की टीम को जंगली रास्ते पर करीब पांच किलोमीटर तक सफर करना पड़ता है.
जिले में बहुत से गांव ऐसे हैं जहां अभी तक पहुंच मार्ग नहीं बना है. ऐसे स्थानों में भी स्वास्थ्यकर्मी पांच से दस किलोमीटर तक बीहड़ और घने जंगलों के बीच से गुजकर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने का काम करते हैं. बोडला ब्लॉक के चिल्फी, खिचराही, बरहापानी, तेलियानी, लेदरा और दलदली जैसे कई गांव हैं जहां चार पहिया तो दूर दो पहिया से जाना भी मुश्किल है.
पढ़ें:श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: हेलमेट पहनकर ट्रैफिक नियमों के लिए जागरूक कर रहे हैं 'नटखट बाल गोपाल'
अपने फर्ज को लेकर स्वास्थ्य कर्मचारी कितने ईमानदार हैं इसका अंदाजा आप इस बात से ही लगा सकते हैं कि वो घोडों की मदद से गांवों में दवाइयां पहुंचाने के साथ ही, समय-समय पर लोगों का हैल्थ चेकअप भी करते हैं. मरीज के गंभीर बीमार होने की सूरत में कर्मचारी उसे चारपाई पर लिटा कर स्वास्थ्य केंद्र तक लाते हैं , ताकि मरीज को बेहतर इलाज मिल सके. जिस समय में स्वाथ्य व्यवस्था एक उद्योग के तौर पर विकसित हो चुकी है ऐसे दौर में स्वास्थ्य कर्मचारियों की ये पहल किसी मिसाल से कम नहीं.