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Chaitra navratri 2023: कवर्धा में निकाली जाएगी माता के मंदिरों से खप्पर, सुरक्षा के कड़े इंतजामात

कवर्धा में माता चंडी और दंतेश्वरी देवी के मंदिरों से देर रात खप्पर निकाली जाएगी. जिसके लिए पहले से पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजामात किए है. माता रानी के मंदिरों से खप्पर निकालने की प्रथा कोरोना काल में भी जारी रही.

चैत्र नवरात्रि
Chaitra navratri
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Published : Mar 29, 2023, 11:05 AM IST

Updated : Mar 29, 2023, 1:29 PM IST

कवर्धा: कवर्धा में सालों से चंडी माता और दंतेश्वरी देवी के मंदिरों से खप्पर निकलने की परंपरा जारी है. नवरात्रि के अष्टमी तिथि के मध्य रात्रि को नगर के चण्डी माता और दंतेश्वरी माता मंदिरों से खप्पर निकाली जाती है. खप्पर के दर्शन को लोग अन्य जिलों से भी पहुंचते हैं. यही कारण है कि शहर में लाखों की भीड़ इकट्ठा हो जाती है.

सुरक्षा के होते हैं कड़े इंतजाम: भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस और प्रशासन की टीम जगह-जगह तैनात रहती है. बैरिकेडिंग लगाकर जवानों की तैनाती की जाती है. ताकि कोई भगदड़ ना हो और श्रद्धालु शांति से खप्पर के दर्शन कर सकें.

कोरोनाकाल में भी नहीं टूटी ये परम्परा: कवर्धा में खप्पर निकलने की परंपरा 150 सालों से जारी है. कोरोनाकाल में भी ये परंपरा नहीं टूटी. कोरोनाकाल में आम लोगों को दर्शन के लिए पाबंदी लगा दी गई थी, लेकिन खप्पर निकालने की परंपरा जारी रही.

अष्टमी की रात निकाली जाती है खप्पर: नवरात्रि के अष्टमी तिथि के मध्य रात 12 बजे माता रानी के मंदिरों से खप्पर निकाली जाती है. एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में जलता हुआ आग का खप्पर लिए नगर में भ्रमण किया जाता है. अपने मंदिर मे जाकर आखिरी में देवी मां शांत हो जाती है. इस दौरान माता के दर्शन को लोग दूर-दूर से आते है. इस दौरान रास्ते में कोई नहीं होता. कहा जाता है खप्पर के सामने में अगर कोई आया तो उसे देवी मां तलवार से काट देती है. खप्पर के नगर भ्रमण के दौरान मंदिर के पुजारी पीछे चलते हैं ताकि कहीं पर गलती न हो. गलती होने पर माता नाराज हो जाती है.

यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2023 : ये करने से मिलता है खास लाभ, नवरात्रि के आठवें दिन होती है माता महागौरी की पूजा

क्या कहते हैं पुजारी: मंदिर के पुजारी बताते है कि यह परंपरा 150 साल पुरानी है. पहले के दिनों में नगर में हैजा, महामारी, अकाल, भूखमरी जैसी कई दिक्कतें आती थीं. इन्हीं अड़चनों को दूर करने के लिए अष्टमी की रात माता मंदिर से निकलकर पूरे नगर में भ्रमण कर दिक्कतों को बांध देती थी. जिससे महामारी जैसे प्रकोप से छुटकारा मिल जाता था. इसलिए इस प्रथा को शहरवासी कोरोनाकाल के दौरान भी बंद नहीं होने दिये.

जिला प्रशासन ने मंदिर समितियों से ली बैठक: जिला प्रशासन व पुलिस विभाग द्वारा मंदिर समितियों के जिम्मेदारों से बैठक लेकर खप्पर की रुपरेखा और मार्ग को लेकर चर्चा की गई. इसी लिहाज से प्रशासन अपने तैयारी और पुलिसिंग व्यवस्था बनाएगी.

कवर्धा: कवर्धा में सालों से चंडी माता और दंतेश्वरी देवी के मंदिरों से खप्पर निकलने की परंपरा जारी है. नवरात्रि के अष्टमी तिथि के मध्य रात्रि को नगर के चण्डी माता और दंतेश्वरी माता मंदिरों से खप्पर निकाली जाती है. खप्पर के दर्शन को लोग अन्य जिलों से भी पहुंचते हैं. यही कारण है कि शहर में लाखों की भीड़ इकट्ठा हो जाती है.

सुरक्षा के होते हैं कड़े इंतजाम: भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस और प्रशासन की टीम जगह-जगह तैनात रहती है. बैरिकेडिंग लगाकर जवानों की तैनाती की जाती है. ताकि कोई भगदड़ ना हो और श्रद्धालु शांति से खप्पर के दर्शन कर सकें.

कोरोनाकाल में भी नहीं टूटी ये परम्परा: कवर्धा में खप्पर निकलने की परंपरा 150 सालों से जारी है. कोरोनाकाल में भी ये परंपरा नहीं टूटी. कोरोनाकाल में आम लोगों को दर्शन के लिए पाबंदी लगा दी गई थी, लेकिन खप्पर निकालने की परंपरा जारी रही.

अष्टमी की रात निकाली जाती है खप्पर: नवरात्रि के अष्टमी तिथि के मध्य रात 12 बजे माता रानी के मंदिरों से खप्पर निकाली जाती है. एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में जलता हुआ आग का खप्पर लिए नगर में भ्रमण किया जाता है. अपने मंदिर मे जाकर आखिरी में देवी मां शांत हो जाती है. इस दौरान माता के दर्शन को लोग दूर-दूर से आते है. इस दौरान रास्ते में कोई नहीं होता. कहा जाता है खप्पर के सामने में अगर कोई आया तो उसे देवी मां तलवार से काट देती है. खप्पर के नगर भ्रमण के दौरान मंदिर के पुजारी पीछे चलते हैं ताकि कहीं पर गलती न हो. गलती होने पर माता नाराज हो जाती है.

यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2023 : ये करने से मिलता है खास लाभ, नवरात्रि के आठवें दिन होती है माता महागौरी की पूजा

क्या कहते हैं पुजारी: मंदिर के पुजारी बताते है कि यह परंपरा 150 साल पुरानी है. पहले के दिनों में नगर में हैजा, महामारी, अकाल, भूखमरी जैसी कई दिक्कतें आती थीं. इन्हीं अड़चनों को दूर करने के लिए अष्टमी की रात माता मंदिर से निकलकर पूरे नगर में भ्रमण कर दिक्कतों को बांध देती थी. जिससे महामारी जैसे प्रकोप से छुटकारा मिल जाता था. इसलिए इस प्रथा को शहरवासी कोरोनाकाल के दौरान भी बंद नहीं होने दिये.

जिला प्रशासन ने मंदिर समितियों से ली बैठक: जिला प्रशासन व पुलिस विभाग द्वारा मंदिर समितियों के जिम्मेदारों से बैठक लेकर खप्पर की रुपरेखा और मार्ग को लेकर चर्चा की गई. इसी लिहाज से प्रशासन अपने तैयारी और पुलिसिंग व्यवस्था बनाएगी.

Last Updated : Mar 29, 2023, 1:29 PM IST

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