कवर्धा: जिले में एक ग्रामीण की मौत गोली लगने से हो गई है. परिजनों का आरोप है कि मध्यप्रदेश पुलिस की गोली से ग्रामीण की मौत हुई है. ये मौत फर्जी मुठभेड़ का नतीजा है. बता दें पुलिस और नक्सली मुठभेड़ के दूसरे दिन सर्चिंग के दौरान ग्रामीण का शव बरामद हुआ है. यह पूरी घटना मध्यप्रदेश के गढ़ी थाना क्षेत्र के बांसबेहरा के जंगल की है. मृतक का नाम झामसिंह है, जो कि कवर्धा जिले के ग्राम खिलाही का रहने वाला था. आदिवासी समाज ग्रामीण की मौत की जांच की मांग को लेकर बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं.
दरअसल, पूरा मामला मध्यप्रदेश के गढ़ी थाना अंतर्गत बांसबेहरा के जंगल का है, जहां कवर्धा जिला के झलमला थाना अंतर्गत ग्राम खिलाही के रहने वाले दो व्यक्ति मृतक झामसिंह बैगा और नेमसिंह बैगा दोनों रविवार की सुबह लगभग 11 बजे के मध्यप्रदेश सिमा पर स्तिथ नदी में मछली पकड़ने गऐ हुए थे. मछली पकड़कर वे शाम 4 बजे लौट रहे थे. इसी दौरान पुलिस की टीम ने उन्हें आवाज लगाई, लेकिन ग्रामीण डर के कारण वहां से भागने लगे, तो पुलिस ने उनपर फायरिंग कर दी. झामसिंह वहीं ढेर हो गया और नेमसिंह वहां से भागने में कामयाब हो गया. नेमसिंह ने गांव पहुंचकर परिजनों को घटना की जानकारी दी, सुबह जब परिजन झामसिंह को ढूंढने जंगल पहुंचे तो उन्हें झामसिंह को कुछ पता नहीं चला. परिजन गढ़ी थाना पहुंचे, जहां उन्हें झामसिंह का शव दिखा ,जिसे पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया. वहीं बालाघाट एसपी अभिषेक मिश्रा का कहना है कि उन्हें बांसबेहरा के जंगल में 15 से 20 नक्सलियों के आने की सूचना मिली थी, इसी कारण पुलिस की टीम जंगल मे सर्चिंग के लिए पहुंची हुई थी. इसी दौरान नक्सलियों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी.
'फायरिंग मे लगभग 60 से 70 गोलियां चलीं'
पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की और दस मिनट तक चली फायरिंग मे लगभग 60 से 70 गोलियां चली. फायरिंग खत्म होने के बाद अंधेरा होने के कारण पुलिस की टीम वहां से लौट आई. सुबह सर्चिंग टीम वापस घटना स्थल गई, तो वहां एक व्यक्ति का शव उन्हें मिला है, गोली लगने से उसकी मौत हो चुकी थी. वही कुछ दूरी पर नक्सलियों का पिट्टू मिला जिसमें राशन सामग्री थे और एक बोर रायफल भी बरामद किया गया, पुलिस जांच कर रही है की मारा गया व्यक्ति कौन है और घटना स्थल पर कैसे पहुंचा.
'सड़क पर उतरकर आंदोलन की तैयारी'
मृतक के परिजनों ने आरोप लगया है की मृतक एक आम आदिवासी था, जो मछली पकड़ने नदी गया हुआ था ,जिसे मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा बिना किसी कारण के गोली मार दी गई है. साथ ही जिस जगह पर पुलिस नक्सली मुठभेड़ की बात कह रही है, वह कहानी पूरी तरह से झूठी है. वहां कोई मुठभेड़ नहीं हुआ है. वहां सिर्फ ग्रामीण को गोली मारी गई है. परिजन ने मृतक के शव को लाकर उसे दफना दिया है और इस फर्जी मुठभेड़ को लेकर आदिवासी समाज में काफी आक्रोश नजर आ रहा है. इसे लेकर समाज के लोगों का कहना है कि इस फर्जी मुठभेड़ की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. दोषियों को सजा मिलानी चाहिए, ताकि इस तरह की घटना दोबारा न घट सके. साथ ही मृतक आदिवासी के परिजनों को सरकार मुआवजा दे और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी की मांग कर रहे है. उनका कहना है कि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार जल्द ही कोई फैसला नहीं लेती है, तो आदिवासी समाज बड़े स्तर पर सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी.
'जांच में होगा साफ'
बता दें कवर्धा पुलिस ने ग्रामीणों की शिकायत को गढ़ी थाना भेज दिया है, क्योंकि घटना गढ़ी थाना की है, जांच भी वहीं होने की बात कही है. पुलिस का कहना है कि जांच में साफ हो पाएगा आखिर पूरा मामला क्या है.