कवर्धा: हाल ही में लंपी वायरस बीमारी से लोहारा ब्लॉक के तीन मवेशियों की मौत हुई थी. बावजूद इसके ना तो पशु विभाग सतर्क है और ना ही जिला प्रशासन गंभीर नजर आ रहा है. दरअसल, बीते मई माह में पशु चिकित्सा विभाग ने सहसपुर लोहारा में 7 मवेशियों का सैंपल जांच के लिए भोपाल भेजा था. जिसकी रिपोर्ट दो दिन पहले ही आई है. इस रिपोर्ट में सहसपुर लोहारा के तीन सैंपल में लंपी वायरस की पुष्टि हुई है.
आईसीएआर भोपाल की संस्था ने की पुष्टि: कुछ दिन पहले तक पशु विभाग द्वारा यही दावा किया जा रहा था कि जिन मवेशियों में लक्षण दिखाई दे रहे हैं, वे लंपी के जैसे ही हैं. लेकिन अधिकृत तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की जा रही थी. लेकिन विभाग ने भोपाल के आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) की संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज से जांच कराया. जिसके बाद जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. बावजूद इसके प्रशासन की लापरवाही जारी है.
"जिले में कुल गौवंशीय पशुओं की संख्या 3 लाख 98 हजार 768 है. जिनमें 1 लाख 67 हजार 863 को टीका लगाया जा चुका है. शेष पशुओं को टीका लगाया जा रहा है." - डॉ एसके मिश्रा, उपसंचालक, पशु चिकित्सा विभाग
मवेशियों को संक्रमण से बचाने की चुनौती: अभी भी सहसपुर लोहारा में लंपी वायरस जैसे लक्षण वाले मवेशी खुले में घूम रहे हैं. जबकि इन मवेशियों को एक जगह में रखने की जरूरत है. ताकि दूसरे मवेशी में यह बीमारी न फैल सके. क्योंकि यह एक संक्रामक बीमारी है, जो एक से दूसरे मवेशी में फैल रही है. विभागीय आंकड़े के अनुसार, जांच रिपोर्ट आने तक लक्षण मिले 3 मवेशी की मौत को चुकी थी. रोजाना कई लावारिस मवेशियों की मौत होती है, इसका आंकड़ा विभाग के पास भी नहीं है.
लाखों मवेशियों को लग चुका है टीका: लंपी संक्रमण की रोकथाम को लेकर पशु चिकित्सा विभाग शुरू से फेल नजर आता रहा है. रोकथाम को लेकर विभाग की काफी किरकिरी होती रही है. आखिरकार, जब कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने संज्ञान लिया, तो कुछ हद तक सुधार जरूर हुआ है. 8 जून की स्थिति में विभाग का दावा है कि, लंपी के जैसे लक्षण मिले कुल 56 पशु को चिह्नांकित किया गया था, जिनका उपचार किया गया. इलाज के बाद 49 मवेशी स्वस्थ हो गए हैं, शेष पशुओं का उपचार जारी है.
चेक पोस्ट पर जांच के निर्देश: बीमारी के बचाव के लिए कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने पुलिस, वन, खनिज, आबकारी और पशु पालन के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को चेक पोस्ट पर जांच के लिए निर्देशित किया है. ताकि राज्य की सीमा से बीमार पशु जिले में दाखिल न हो सके. पशु बाजारों में पशु पालन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को निरीक्षण तथा टीकाकरण करने के लिए कहा गया है. सभी संस्था में जरूरी दवाइयां और टीका उपलब्ध है. जिन क्षेत्रों में बीमार पशु पाए गए हैं, वहां उपचार के साथ-साथ शेड में धुआं और दवा का छिड़काव कराया गया है.