कवर्धा : देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी.जिसमें महात्मा गांधी के 150वीं जयंती के अवसर पर स्वच्छता का संदेश पूरे देश में फैलाया गया. महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर 2 अक्टूबर 2019 के दिन स्वच्छ भारत मिशन की परिकल्पना की गई.जिसमें पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त करने का बीड़ा उठाया गया. देश के छोटे से छोटे गांवों में शौचालयों का निर्माण हुआ. छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में भी शौचालयों का निर्माण करवाया गया.साल 2017-18 वित्तीय वर्ष में जिले को ODF घोषित किया गया.लेकिन जो सपना पीएम मोदी ने देखा था वो अब टूटता नजर आ रहा है.क्योंकि जिले के कई गांवों में शौचालयों को इस्तेमाल दूसरे कामों में हो रहा है.
शौचालयों में नहीं रखा गया गुणवत्ता का ध्यान : पंडरिया और बोड़ला ब्लॉक के वनांचल क्षेत्र में एक दो नहीं बल्कि कई गांव ऐसे हैं जहां आज एक भी शौचालय नहीं हैं.आप सोच रहे होंगे कि ग्राम पंचायत ने इन गांवों में शौचालयों का निर्माण नहीं कराया.लेकिन ऐसा नहीं है.ग्राम पंचायतों ने गांवों में शौचालयों का निर्माण तो कराया.लेकिन लक्ष्य पूरा करने के लिए गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा गया.क्योंकि जहां शौचालयों का निर्माण हुआ उनमें कहीं लकड़ी के दरवाजे तो कहीं मिट्टी से जोड़ाई करके ढांचा खड़ा कर दिया गया.कागजों में जिला ओडीएफ घोषित हो गया.लेकिन आज 6 साल बाद सच्चाई सभी के सामने हैं.
शौचालयों में बकरी का कब्जा : गांवों के हालात ऐसे है कि शौचालयों के अंदर अब बकरियां बांधी जा रहीं हैं. कहीं गोबर से बने कंडों को शौचालयों में स्टोर किया जा रहा है. कई शौचालयों की हालत ऐसी है कि ना तो उनमें दरवाजा है और ना ही छत. सिर्फ दीवारों को खड़ा करके बीच में कमोड बिठा दिया गया है.ताकि शौचालयों की निशानी दिखाई दे.
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दोबारा शौचालय बनाने का प्रावधान नहीं : वहीं जिला पंचायत सीईओ ने कहा है कि ''आदिवासी क्षेत्र में जागरूकता की कमी है. देर होगी लेकिन लोग जागरूक होंगे.'' लेकिन जर्जर हो चुके शौचालय या नए शौचालय बनाने का कोई प्रावधान नहीं है.ऐसे में अब ये देखना होगा कि स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्य को पूरा करने के लिए शासन और प्रशासन अब इस क्षेत्र में किस तरह के कदम उठाते हैं.