कवर्धा: लोहारा क्षेत्र के किसानों ने भूमि अधिग्रहण मामले में पटवारी पर भेदभाव का आरोप लगाया है. किसानों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंच पटवारी की शिकायत की है. किसानों ने राजस्व निरिक्षक और तहसीलदार की मौजूदगी मे अधिग्रहण भूमि की फिर से चिन्हांकित कर प्रकरण तैयार करने की मांग की है.
लोहारा ब्लॉक के किसानों की लगातार मांग और आंदोलन के बाद प्रशासन सुतियापाठ नहर निस्तारीयकरण की तैयारी में जुट गई है. सुतियापाठ नहर निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य किया जा रहा है. भूमि अधिग्रहण के बाद मुआवजा राशि के आवंटन में जिम्मेदारों की लापरवाही सामने आ रही है. इससे किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है.
किसानों ने पटवारी पर लगाए आरोप
किसानों का आरोप है कि मुआवजा राशि के लिस्ट में कई किसानों का नाम छोड़ दिया गया है. वहीं कई किसानों को अधिग्रहण भूमि से कम तो किसी को ज्यादा राशि दी जा रही है. किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. प्रभावित किसानों ने बताया कि नहर के विस्तार के लिए 25 मीटर भूमि लिया जा रहा है. जहां पर कैनल बनाया जाना है. नहर की चौड़ाई 60 मीटर है. उनका कहना है कि ग्राम खजरी खुर्द और कल्याणपुर के किसानों का नाम मुआवजा प्रकरण में छूट गया है. किसानों ने अधिग्रहण भूमि की हिसाब से मुआवजा देने की मांग की है.
पढ़ें: महासमुंद: बीज निगम ने बढ़ाई किसानों की परेशानी, अबतक नहीं मिला बीज उपज का दाम
मुआवजा प्रकरण में कई किसानों के नाम नहीं
किसानों का आरोप है कि हल्का पटवारी ने जिन किसानों के नाम से मुआवजा प्रकरण तैयार किया है, उसकी जमीन नहर विस्तारीकरण में नहीं आ रही है. वहीं जिन किसानों का भूमि अधिग्रहण किया गया है उन किसानों का नाम मुआवजा प्रकरण सूची में है ही नहीं. उनका कहना है कि हल्का पटवारी के चिन्हांकित किए गए भूमि से वे सहमत नहीं है. किसानों ने न्याय की मांग की है.
पढ़ें: धमतरी: धान खरीदी केंद्रों में भारी मात्रा में धान जाम, बंद हो सकती है धान की खरीदी !
कलेक्टर ने किसानों की शिकायत को बताया गलत
कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने बताया कि किसानों का आरोप गलत है. फिर भी हम शिकायत के आधार पर जांच करेंगे. दरअसल इस मामले में अभी प्रारूप कार्य ही जारी किया गया है. उन्होंने कहा कि प्रारूप तैयार किया गया है. इसके तहत किसकी कितनी जमीन है और क्षेत्र में अभी कि स्थिति में क्या रेट है ये सब बताया गया है. उन्होंने कहा कि गाइडलाइन दर तो 1 अप्रैल की स्तिछि में नोटिफाइड होती है. इसलिए रेट को कम या ज्यादा नहीं किया जा सकता है.