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नाम का रह गया ऑक्सीजन जोन, देख-रेख के अभाव में सूख गए हजारों पौधे

कलेक्टर कार्यालय के पीछे ऑक्सीजोन बनाया था, जिससे लोगों को शुद्ध ऑक्सीजन मिले, लेकिन देख-रेख के अभाव और विभागीय उदासीनता के चलते अधिकांश पौधों ने भीषण गर्मी में दम तोड़ दिया है. लेकिन सरकार के पैसों का और इन पौधों का किसी को किसी की परवाह नहीं है.

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Published : May 20, 2019, 2:32 PM IST

Updated : May 20, 2019, 7:10 PM IST

नाम का रह गया ऑक्सीजन जोन

कवर्धा: सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर कलेक्टर कार्यालय के पीछे ऑक्सीजोन बनाया था, जिससे लोगों को शुद्ध ऑक्सीजन मिले. देख-रेख के अभाव और विभागीय उदासीनता के चलते अधिकांश पौधों ने भीषण गर्मी में दम तोड़ दिया है. लेकिन सरकार के पैसों और इन पौधों की किसी को किसी की परवाह नहीं है.

नाम का रह गया ऑक्सीजन जोन

वृक्षारोपण कर भूल गए अधिकारी
दरअसल साल 2017-18 में जिला कलेक्टर कार्यालय के पीछे खाली जगह पर 2 हजार से ज्यादा पौधे लगाकर ऑक्सीजोन का निर्माण किया गया था, जिससे इस इलाके में शुद्ध हवा प्रवाहित हो सके और लोग स्वस्थ रहें. लेकिन अधिकारियों की उदासीनता ने इस ऑक्सीजोन को मुरझाने के लिए छोड़ दिया है.

हजारों पौधे तोड़ दिए दम
ऑक्सीजोन का अस्तित्व खतरे में दिखाई दे रहा है. पौधों का वजूद बचाने के लिए न सिर्फ वन विभाग के अफसरों की जिम्मेदारी है बल्कि कलेक्टर कार्यालय के तमाम अधिकारी-कर्मचारियों को ध्यान देने की आवश्यकता है, लेकिन अधिकारी AC कमरों का आनंद लेकर निकल जाते हैं.

कवर्धा: सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर कलेक्टर कार्यालय के पीछे ऑक्सीजोन बनाया था, जिससे लोगों को शुद्ध ऑक्सीजन मिले. देख-रेख के अभाव और विभागीय उदासीनता के चलते अधिकांश पौधों ने भीषण गर्मी में दम तोड़ दिया है. लेकिन सरकार के पैसों और इन पौधों की किसी को किसी की परवाह नहीं है.

नाम का रह गया ऑक्सीजन जोन

वृक्षारोपण कर भूल गए अधिकारी
दरअसल साल 2017-18 में जिला कलेक्टर कार्यालय के पीछे खाली जगह पर 2 हजार से ज्यादा पौधे लगाकर ऑक्सीजोन का निर्माण किया गया था, जिससे इस इलाके में शुद्ध हवा प्रवाहित हो सके और लोग स्वस्थ रहें. लेकिन अधिकारियों की उदासीनता ने इस ऑक्सीजोन को मुरझाने के लिए छोड़ दिया है.

हजारों पौधे तोड़ दिए दम
ऑक्सीजोन का अस्तित्व खतरे में दिखाई दे रहा है. पौधों का वजूद बचाने के लिए न सिर्फ वन विभाग के अफसरों की जिम्मेदारी है बल्कि कलेक्टर कार्यालय के तमाम अधिकारी-कर्मचारियों को ध्यान देने की आवश्यकता है, लेकिन अधिकारी AC कमरों का आनंद लेकर निकल जाते हैं.

Intro:ऑक्सीजन जोन का अस्तित्व खतरे मे देखरेख के और पानी के अभाव मे सुख रहे पौधे विभागीय उदासीनता के चलते अधिकांश पौधों ने दम तोड़़ा ।


Body:एकंर- हमेशा सुर्खियों मे रहने वाले कवर्धा वन मण्डल एक बार फिर सुर्खियों मे है। इस बार किसी वन्यप्राणी की मौत य जंगलो कि कटाई को लेकर नही बल्कि बीते वर्ष लाखों रुपये खर्च कर जिला कलेक्टर कार्यालय के पीछे ऑक्सीजन जोन बनाया गया था । लेकिन देखरेख की अभाव व विभागीय उदासीनता के चलते अधिकांश पौधों ने इस भीषण गर्मी मे दम तोड़ दिया है।वही इस मामले मे जिला वनमंण्डलधिकारी हालात की सुधारने के बजाय अपनी बचाव करते हुए गोलमोल जवाब दे रहें है।


दरसल वर्ष 2017-18 मे जिला कलेक्टर कार्यालय के पीछे खाली जगह पर दो हजार महंगी पौधों का रोपण कर ऑक्सीजन जोन का निर्माण किया गया था,खास बात यह है कि कलेक्टर से लेकर तमाम विभाग के आला अफसर हर दिन कार्यालय पहुंचते है पर ऑक्सीजन जोन मे लगे पौधों की तरफ किसी की नजर नही लगी है। यही कारण है कि ऑक्सीजन जोन के अधिकांश पौधे दम तोड़ते नजर आ रहे है । ऐसे मे इस ऑक्सीजन जोन की अस्तित्व खतरे मे दिखाई दे रही है और पौधों की वजूद बचाने के लिए न सिर्फ वन विभाग के अफसरों कि जुम्मेदारी है बल्कि कलेक्टर कार्यालय के तमाम अधिकारी- कर्मचारियों को ध्यान देने की आवश्यकता है।

बाईट01 दिलराज प्रभाकर , डीएफओ कवर्धा


Conclusion:
Last Updated : May 20, 2019, 7:10 PM IST
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