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आओ स्कूल चलें: 'कलेक्टर पापा' की नेक सलाह, स्कूलं शरणं गच्छामि - special school series

ETV भारत की इस खास मुहिम में मिलिए कबीरधाम (कवर्धा) के कलेक्टर अवनीश शरण से. अवनीश शरण ने उस वक्त सबका ध्यान खींचा, जब उन्होंने अपनी बेटी का दाखिला सरकारी स्कूल में कराया. उस वक्त अवनीश शरण बलरामपुर के कलेक्टर थे.

अवनीश शरण
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Published : Jul 3, 2019, 8:43 PM IST

कवर्धा: छत्तीसगढ़ की नदियों की स्थिति से वाकिफ कराने के बाद अब हम आपको प्रदेश के विद्यालयों के हालात से वाकिफ कराएंगे. ETV भारत हाजिर है एक नई मुहिम 'आओ स्कूल चलें' लेकर. इस अभियान में सबसे पहले हम आपको उस शख्स से मिलवाते हैं, जिन्हें एक सराहनीय पहल के लिए सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि पूरे देश में जाना जाता है.

'कलेक्टर पापा' की नेक सलाह, स्कूलं शरणं गच्छामि

इन अफसरों ने भी पेश की मिसाल
अवनीश शरण ने ETV भारत की इस खास मुहिम की तारीफ भी की. अपनी बेटी का दाखिला सरकारी स्कूल में कराने वाले वे प्रदेश के इकलौते अधिकारी नहीं हैं, इस साल बसना विकासखंड के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी जे आर डहरिया ने अपने तीन बच्चों का एडमिशन सरकारी स्कूल में कराया है. ऐसा कर उन्होंने एक अच्छी पहल की है. वहीं बिलासपुर के कलेक्टर ने एक कैदी की बेटी का दाखिला स्कूल में कराया है, जिससे लगता है कि अगर अफसर चाह लें तो सूरत बदली जा सकती है.

पढ़ें- भूपेश कैबिनेट की बैठक जारी, नए मंत्री का स्वागत

ETV भारत की मुहिम को लेकर अवनीश शरण से बातचीत-
सवाल- लोगों का झुकाव निजी स्कूलों की तरफ होता है लेकिन बोर्ड एग्जाम में टॉप सरकारी स्कूलों के बच्चे करते हैं.
जवाब- जहां तक शिक्षा की बात है तो बच्चों का दाखिला कहां कराना है ये बच्चों और उनके पैरेंट्स पर डिपेंड करता है. लोग निजी स्कूलों को पसंद करते हैं इसके लिए एक माइंड सेट बना हुआ है कि सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों की अपेक्षा पढ़ाई के लिए कम सुविधा होती है. लेकिन आजकल सरकारी स्कूलों के बच्चे टॉप कर रहे हैं और ये सकारात्मक बदलाव है. इसके लिए शासन-प्रशासन के साथ-साथ शिक्षकों को धन्यवाद कहना चाहिए क्योंकि वे अच्छा माहौल बना रहे हैं.

सवाल- निजी स्कूलों से कॉम्पिटीशन करने के लिए सरकारी स्कूल क्या करें ?
जवाब- कॉम्पिटीशन नहीं है. सरकारी और निजी स्कूलों का अलग-अलग दायरा है. सरकारी सूक्ल जन सामान्य के लिए हैं. निशुल्क शिक्षा है. निजी स्कूलों में जिनके पास पैसे हैं, वे पढ़ाते हैं. सराकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने की जरूरत है, जो लगातार हो रहा है. वहां शिक्षकों, समाज के लोगों को ध्यान देने की जरूरत है, माहौल देने की जरूरत है.

सवाल- सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की कमी कैसे दूर की जा सकती है ?
जवाब- निजी स्कूलों का दायरा कम होता है. सरकारी स्कूलों में हर वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं. जब बड़े वर्ग के लोग वहां आते हैं तो सुविधाओं की कमी हो जाती है. जबसे RTE आया है, जब से मिड डे मील मिलने लगा है तब से काफी सुधार हुआ है. शिक्षा की स्थिति सुधर रही है और सुधार आएगा. हर विषय के शिक्षकों की नियुक्ति छत्तीसगढ़ सरकार कर रही है, इससे अच्छा प्रभाव पड़ेगा.

सवाल- वनांचल क्षेत्रों में ड्रॉप आउट देखा जा रहा है, बच्चियां ज्यादा शामिल हैं इसमें, आप क्या कहेंगे ?
जवाब- ड्रॉप आउट जंगली क्षेत्रों में, दूरस्थ, पहुंचविहीन गांव में ज्यादा है. लेकिन सड़क का विस्तार हो रहा है. धीर-धीरे स्थिति सुधरेगी. गांव के लोगों में जो सामाजिक परिवेश है, उसमें माता-पिता आठवीं या दसवीं के बाद पढ़़ाना नहीं चाहते, आय के लिए लगा देते हैं. इस मानसिकता को दूर करने की जरूरत है. इसके लिए शाला प्रवेशोत्सव जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं. धीरे-धीरे मानसिकता सुधरेगी.

सवाल- सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा दोनों सुधारने के लिए क्या किया जाना चाहिए ?
जवाब- धीरे-धीरे परिस्थिति बदल रही है, थोड़ा वक्त लगता है लेकिन हो जाएगा. दशा को सुधारने में थोड़ा वक्त लगता है लेकिन स्थिति सुधरेगी.

पढ़ें- लंबी चिट्ठी पोस्ट कर राहुल गांधी ने दिया इस्तीफा

कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने कहा कि समाज, शासन और प्रशासन का साथ हो, योजना का क्रियान्वयन सही हो तो हमें लगातार सफलता मिलती है. कलेक्टर ने ETV भारत की इस मुहिम की तारीफ भी की है.

कवर्धा: छत्तीसगढ़ की नदियों की स्थिति से वाकिफ कराने के बाद अब हम आपको प्रदेश के विद्यालयों के हालात से वाकिफ कराएंगे. ETV भारत हाजिर है एक नई मुहिम 'आओ स्कूल चलें' लेकर. इस अभियान में सबसे पहले हम आपको उस शख्स से मिलवाते हैं, जिन्हें एक सराहनीय पहल के लिए सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि पूरे देश में जाना जाता है.

'कलेक्टर पापा' की नेक सलाह, स्कूलं शरणं गच्छामि

इन अफसरों ने भी पेश की मिसाल
अवनीश शरण ने ETV भारत की इस खास मुहिम की तारीफ भी की. अपनी बेटी का दाखिला सरकारी स्कूल में कराने वाले वे प्रदेश के इकलौते अधिकारी नहीं हैं, इस साल बसना विकासखंड के ब्लॉक शिक्षा अधिकारी जे आर डहरिया ने अपने तीन बच्चों का एडमिशन सरकारी स्कूल में कराया है. ऐसा कर उन्होंने एक अच्छी पहल की है. वहीं बिलासपुर के कलेक्टर ने एक कैदी की बेटी का दाखिला स्कूल में कराया है, जिससे लगता है कि अगर अफसर चाह लें तो सूरत बदली जा सकती है.

पढ़ें- भूपेश कैबिनेट की बैठक जारी, नए मंत्री का स्वागत

ETV भारत की मुहिम को लेकर अवनीश शरण से बातचीत-
सवाल- लोगों का झुकाव निजी स्कूलों की तरफ होता है लेकिन बोर्ड एग्जाम में टॉप सरकारी स्कूलों के बच्चे करते हैं.
जवाब- जहां तक शिक्षा की बात है तो बच्चों का दाखिला कहां कराना है ये बच्चों और उनके पैरेंट्स पर डिपेंड करता है. लोग निजी स्कूलों को पसंद करते हैं इसके लिए एक माइंड सेट बना हुआ है कि सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों की अपेक्षा पढ़ाई के लिए कम सुविधा होती है. लेकिन आजकल सरकारी स्कूलों के बच्चे टॉप कर रहे हैं और ये सकारात्मक बदलाव है. इसके लिए शासन-प्रशासन के साथ-साथ शिक्षकों को धन्यवाद कहना चाहिए क्योंकि वे अच्छा माहौल बना रहे हैं.

सवाल- निजी स्कूलों से कॉम्पिटीशन करने के लिए सरकारी स्कूल क्या करें ?
जवाब- कॉम्पिटीशन नहीं है. सरकारी और निजी स्कूलों का अलग-अलग दायरा है. सरकारी सूक्ल जन सामान्य के लिए हैं. निशुल्क शिक्षा है. निजी स्कूलों में जिनके पास पैसे हैं, वे पढ़ाते हैं. सराकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने की जरूरत है, जो लगातार हो रहा है. वहां शिक्षकों, समाज के लोगों को ध्यान देने की जरूरत है, माहौल देने की जरूरत है.

सवाल- सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की कमी कैसे दूर की जा सकती है ?
जवाब- निजी स्कूलों का दायरा कम होता है. सरकारी स्कूलों में हर वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं. जब बड़े वर्ग के लोग वहां आते हैं तो सुविधाओं की कमी हो जाती है. जबसे RTE आया है, जब से मिड डे मील मिलने लगा है तब से काफी सुधार हुआ है. शिक्षा की स्थिति सुधर रही है और सुधार आएगा. हर विषय के शिक्षकों की नियुक्ति छत्तीसगढ़ सरकार कर रही है, इससे अच्छा प्रभाव पड़ेगा.

सवाल- वनांचल क्षेत्रों में ड्रॉप आउट देखा जा रहा है, बच्चियां ज्यादा शामिल हैं इसमें, आप क्या कहेंगे ?
जवाब- ड्रॉप आउट जंगली क्षेत्रों में, दूरस्थ, पहुंचविहीन गांव में ज्यादा है. लेकिन सड़क का विस्तार हो रहा है. धीर-धीरे स्थिति सुधरेगी. गांव के लोगों में जो सामाजिक परिवेश है, उसमें माता-पिता आठवीं या दसवीं के बाद पढ़़ाना नहीं चाहते, आय के लिए लगा देते हैं. इस मानसिकता को दूर करने की जरूरत है. इसके लिए शाला प्रवेशोत्सव जैसे अभियान चलाए जा रहे हैं. धीरे-धीरे मानसिकता सुधरेगी.

सवाल- सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा दोनों सुधारने के लिए क्या किया जाना चाहिए ?
जवाब- धीरे-धीरे परिस्थिति बदल रही है, थोड़ा वक्त लगता है लेकिन हो जाएगा. दशा को सुधारने में थोड़ा वक्त लगता है लेकिन स्थिति सुधरेगी.

पढ़ें- लंबी चिट्ठी पोस्ट कर राहुल गांधी ने दिया इस्तीफा

कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने कहा कि समाज, शासन और प्रशासन का साथ हो, योजना का क्रियान्वयन सही हो तो हमें लगातार सफलता मिलती है. कलेक्टर ने ETV भारत की इस मुहिम की तारीफ भी की है.

Intro:स्कूल चले हम

ईटीवी भारत के इस मुहिम मे कबीरधाम जिले के कलेक्टर अवनीश कुमार शरण भी आज इसका हिस्सा बने और उन्होंने शिक्षा को लेकर कई सवालों के जवाब भी दिये वही साथ - साथ ईटीवी भारत के इस मुहिम को अच्छी प्रयास बताते हुए कहा की हम आशा करते है लोग आपके समाचार के माध्यम से सरकारी स्कूलों के प्रति आकर्षित हो और निश्चित ही इससे लोंग जरुर जागरूक होंगे।


Body:रिपोर्ट- अच्छी शिक्षा कि जब भी बात आती है लोगों का झूकाओं अकसर महंगी निजी स्कूलों की तरफ ही होता है ,बवजूद देखनो को मिलता है बोर्ड एग्जाम मे जादातर सरकारी स्कूलों के बच्चे टॉप 10 मे जगह बनाते है,फिर भी ऐसा कियू

कलेक्टर- बच्चे या माँ बाप के उपर निर्भर करता है ओ अपने बच्चों को कहा पढहाना चाहते है बच्चों को सरकारी स्कूल या निजी स्कूल,पर ये लोगों कि धार्णना बना गई है कि निजी स्कूल की अपेक्षा सरकारी स्कूलों मे सुविधा और पढहाई कम होती है मगर अब ऐसा नही है, धिरे-धिरे ऐ धार्णना भी कम होते नजर आ रही है।


रिपोर्ट-शहरों के निजी स्कूलों से कंपिटीशन के लिए शासकीय स्कूलों मे क्या बदलाव करना होगा।

कलेक्टर- कंपिटिशन नही है सरकारी स्कूल व निजी स्कूलों का अपना अपना एक अलग दायरा है, जैसे किसरकार की शिक्षा प्रथमिकता होती है इसलिए दायरा नही होता सभी को शिक्षा मिलती है वही शासकीय स्कूलों मे 12वीं तक कि पढहाई पुस्तकें निशुल्क होती है मिड डे भी है साथ ही सरकार ने अभी हाल ही मे शिक्षकों की भर्ती भी निकली है जिसमे बहुत से विषय के शिक्षक आऐंगे खास कर अंग्रेजी व गणित के शिक्षक तो कमियों को पुरा कर लिया जाऐगा, हालांकि कुछ जगहा कमिया भी है मगर जहा- जहा के शिक्षक बच्चों को अच्छी शिक्षा देते है और स्कूल के समितियों के द्वारा ध्यान दिया थाता है वहा के रिजल्ट निजी स्कूलों से बेहत आ रहे है ,और उन्हें देख कर अन्य स्कूलों के शिक्षक भी अपने स्कूलों को बदलाव का प्रयास कर रहे है।


रिपोर्ट- सरकारी स्कूलों मे मुलभूत सुविधाओं की भी कमी है इसे कैसे दूर किया जाना चाहिये,

कलेक्टर-सरकारी विद्यालयों मे दायरा जादा होता है साथ ही बच्चे जादा होते है तो थोडी समस्या होती है, मगर जब से राईट टू ऐजुकेशन, शिक्षा का अधिकार मिड डे मिल और अन्य योजना आया है तब से कुछ पाँच, दस वर्षों मे काफी इंप्रुफ हुका है और धीरे-धीरे हम कह सकते है आगमी कुछ वर्षों मे खास कर माध्यमिक शिक्षा , पूर्व माध्यमिक मे इंप्रुफ और होगा।


रिपोर्ट-ग्रामीण इलाकों मे आज भी ड्रॉप आऊट की समस्या बनी हुई है, खास कर बालिकाओं मे ऐ देखने को आता है, इसे कैसे कम किया जा सकता है।

कलेक्टर-हा ड्रॉप आऊट की समस्या है , वनांचल क्षेत्रों मे जहा पहुंच मार्ग अब तक नही गया है ,मगर अब शासन कि अलग-अलग योजनाओं से सड़कें बनाऐ जा रहे है, और ड्रॉप आऊट इसलिए भी है जंगल के लोग 8 वीं के बाद अपने बच्चों को पढहाना नही चाहते किसी ना किसी रोजगार मे लगा देते है ताकि इंकम आऐ,

रिपोर्ट- सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा को सुधार करने के लिए क्या करना होगा।

कलेक्टर- दिशा और दशा धीरे-धीरे सही राह मे बड रही है जल्द ही सुधार होगा थोडा समय जरुर लगेगा , शिक्षा और स्वास्थ्य एक ऐसा फिल्ड है जिसमे अमूलचुक परिवर्तन तुरंत नही देखा जा सकता है समय लगता है शासन प्रशासन के साथ-साथ योजनाओं के साथ ही समाज का भी माईंड सेट है धीरे-धीरे चेंज करने की अवश्कता है शिक्षकों का बच्चों के प्रति और बच्चों को शिक्षक के प्रति सब धार्णना धीरे-धीरे बदल रही है, मुझे लगता है दिशा सही है और दशा को सुधारने मे थोडा समय लगेता है मगर निश्चित ही ऐ बदलेगा ।



रिपोर्ट- सरकारी स्कूलों मे पढहाई मे की गुणवत्ता को सुधारने भी बड़ा चैलेंज है , कैसे संभव होगा।


कलेक्टर- सरकारी स्कूलों मे पढहाई की गुणवत्ता देखने को मिला है, हमने देखा जैसे कि बोर्ड एग्जाम मे कुछ स्कूलों के बच्चों ने सारे के सारे बच्चे टॉप कर रहे है तब हमने पता लगाया कि ऐसा क्या कारण है कि सारे के सारे बच्चों का रिजल्ट फस्ट डिविजन पास हो रहे है , तो पता लगा की वहा के टीचर्स ऐक्सट्रा क्लास लगा रहे है और बच्चे भी संड्डे के दिन भी स्कूल मे आकर पढहाई कर रहे है , कही ना कही माइंड सेट है बच्चों और टीचर के बीच समन्वय हो और समाज का पुरा साथ हो तो सब संभव होता है, साथ ही शासन और प्रशासन का सहयोग ह़ो सारी योजनाओं का क्रियांगन सही होतो हम निश्चित रुप से इसमे विध्धी देख सकते है।


रिपोर्ट-जिले के वनांचल क्षेत्रों के आदिवासी बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए क्या किया जाना चाहिये।


कलेक्टर- जिले के वनांचल क्षेत्रों मे लगातार जागरूक अभियान चलाया जाता है साथ ही जिन बच्चों को रोजाना स्कूल से घर दूरी के वजह से आने जाने मे समस्या होती है उनके लिए बालक व कन्या आश्रम संचालित हो रहा है ,जहा बच्चों को ड्रेस किताब रहने की व्यवस्था के साथ पढहाई कर सकते है वही अन्य जरूरत की सभी सामन दिया जाता है ,और समय- समय मे अपने माता पिता से मिल भी सकते है, और इस तरहा पूरे जिले मे 150 के आस-पास आश्रम बनाऐ गए है ,व और भी जरुरत के अनुसार बनाऐ जाऐगें।



रिपोर्ट- ईटीवी भारत की इस मुहिम को आप किस तरहा देखते है।


कलेक्टर - ईटीवी भारत समाचार के माध्यम से एक अच्छी प्रयास की जा रही है, और हमे आशा है इससे लोगों जरुर जागरूक
होंगे ।


Conclusion:
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