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जहां आपका पहुंचना मुश्किल है, वहां घने जंगलों के बीच लगती है मोहल्ला क्लास

कवर्धा में ऑनलाइन क्लास एक समस्या बन चुकी थी, जिसे मोहल्ला क्लास के जरिए दूर किया जा रहा है. कवर्धा के शिक्षक खुले मैदान में क्लास लगाकर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. इस कोरोना काल में वन क्षेत्र के बच्चों को भी मोहल्ले क्लास का लाभ मिल रहा है. जिले के बोक्करखार और महालीघाट के आदिवासी बच्चों को इस मोहल्ला क्लास के जरिए रोजाना शिक्षा मिल रही है.

Children of Forest region of Kawardha are getting education through Mohalla class
कवर्धा में मोहल्ला क्लास के जरिए दी जा रही शिक्षा
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Published : Oct 28, 2020, 1:00 PM IST

Updated : Oct 28, 2020, 3:55 PM IST

कवर्धा: छत्तीसगढ़ पर प्रकृति मेहरबान है. कवर्धा जिला भी वन संपदा से भरपूर है. कवर्धा जिले के चारों विकासखंड कवर्धा, बोड़ला, पंडरिया और सहसपुर लोहारा में से विकासखंड बोड़ला मैकल श्रेणी के गोद में स्थित है. जिले की बोड़ला वनांचल विकासखंड अंतर्गत संकुल केंद्र बोक्करखार चारों ओर से वनों से घिरा हुआ है. लेकिन जंगलों से घिरे इस क्षेत्र में शिक्षा की अलख जल रही है. यहां मोहल्ला क्लास में लग रही है, जिसमें करीब 35 बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है और इसका पूरा क्रेडिट जाता है यहां पढ़ाने वाली शिक्षकों को.

Children of Forest region of Kawardha are getting education through Mohalla class
कवर्धा में मोहल्ला क्लास के जरिए दी जा रही शिक्षा

सघन वनों के बीच होने के बावजूद भी यहां शिक्षा के क्षेत्र में कभी पीछे नहीं रहा. यह क्षेत्र बैगा आदिवासी का गढ़ रहते हुए भी शिक्षा और खेल के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाया हुआ है. इस कड़ी को आगे बढ़ाते यहां के शिक्षक, शिक्षिका लगातार शिक्षा के क्षेत्र में अपने कार्य क्षेत्र में सहयोग देने कभी किसी से पीछे नहीं रहते.

संकुल प्रभारी कृष्ण कुमार ने दी जानकारी

संकुल प्रभारी कृष्ण कुमार धुर्वे ने बताया कि इस वैश्विक महामारी के बीच शासकीय प्राथमिक शाला महाली घाट में शिक्षिका संतोषी पैकरा और शाला संगवारी सुख सिंह धुर्वे मोहल्ला क्लास के जरिए बच्चों को पढ़ा रहे हैं, जिसमें रोजाना 30 से 35 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं. वनों से घिरे इस क्षेत्र में जहां पहुंचना दुर्लभ है. ऐसे स्थान पर भी महिला शिक्षिका लगातार अपने शाला के बच्चों को पढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, जिसकी पूरे क्षेत्र में सराहना हो रही है.

नई- नई गतिविधियों के साथ कराई जा रही पढ़ाई

शिक्षिका बच्चों को नई- नई गतिविधियों के साथ पढ़ाई कराई जा है. वहीं जगह के अभाव में शाला का संचालन खुले मैदान में किया जा रहा है. (पढ़ाई तुंहर दुआर योजना) के तहत क्षेत्र के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं अपने अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं.

पढ़ें: कोरबा: अपने खर्चे से 45 बच्चों को पढ़ा रही मंजू, शासकीय चबूतरे में लग रही क्लास

जिला नोडल अधिकारी यू आर चंद्राकर ने बताया कि जिले में चारों विकासखंड में से बोड़ला की स्थिति मोहल्ला क्लास के मामले में सबसे अच्छी है, यह वनांचल क्षेत्र होने के बावजूद भी पढ़ाई के क्षेत्र में पीछे नहीं रहा है. इस कोरोना काल में भी लगातार मोहल्ला क्लास के जरिए बच्चों को शिक्षा दी जा रही है.

वनांचल क्षेत्र के बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही मोहल्ला क्लास

इस पूरे क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क नहीं होने की स्थिति में ऑनलाइन कक्षा का संचालन कर पाना कठिन था, लेकिन मोहल्ला क्लास के जरिए बच्चों को रोजाना पढ़ाया जा रहा है, जो बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है. इस क्षेत्र में ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार से आते हैं, जिनके पास न तो मोबाइल है और न ही यहां नेटवर्क रहता है. ऐसे बच्चों के लिए मोहल्ला क्लास का होना वरदान से कम नहीं है.

कवर्धा: छत्तीसगढ़ पर प्रकृति मेहरबान है. कवर्धा जिला भी वन संपदा से भरपूर है. कवर्धा जिले के चारों विकासखंड कवर्धा, बोड़ला, पंडरिया और सहसपुर लोहारा में से विकासखंड बोड़ला मैकल श्रेणी के गोद में स्थित है. जिले की बोड़ला वनांचल विकासखंड अंतर्गत संकुल केंद्र बोक्करखार चारों ओर से वनों से घिरा हुआ है. लेकिन जंगलों से घिरे इस क्षेत्र में शिक्षा की अलख जल रही है. यहां मोहल्ला क्लास में लग रही है, जिसमें करीब 35 बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है और इसका पूरा क्रेडिट जाता है यहां पढ़ाने वाली शिक्षकों को.

Children of Forest region of Kawardha are getting education through Mohalla class
कवर्धा में मोहल्ला क्लास के जरिए दी जा रही शिक्षा

सघन वनों के बीच होने के बावजूद भी यहां शिक्षा के क्षेत्र में कभी पीछे नहीं रहा. यह क्षेत्र बैगा आदिवासी का गढ़ रहते हुए भी शिक्षा और खेल के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाया हुआ है. इस कड़ी को आगे बढ़ाते यहां के शिक्षक, शिक्षिका लगातार शिक्षा के क्षेत्र में अपने कार्य क्षेत्र में सहयोग देने कभी किसी से पीछे नहीं रहते.

संकुल प्रभारी कृष्ण कुमार ने दी जानकारी

संकुल प्रभारी कृष्ण कुमार धुर्वे ने बताया कि इस वैश्विक महामारी के बीच शासकीय प्राथमिक शाला महाली घाट में शिक्षिका संतोषी पैकरा और शाला संगवारी सुख सिंह धुर्वे मोहल्ला क्लास के जरिए बच्चों को पढ़ा रहे हैं, जिसमें रोजाना 30 से 35 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं. वनों से घिरे इस क्षेत्र में जहां पहुंचना दुर्लभ है. ऐसे स्थान पर भी महिला शिक्षिका लगातार अपने शाला के बच्चों को पढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, जिसकी पूरे क्षेत्र में सराहना हो रही है.

नई- नई गतिविधियों के साथ कराई जा रही पढ़ाई

शिक्षिका बच्चों को नई- नई गतिविधियों के साथ पढ़ाई कराई जा है. वहीं जगह के अभाव में शाला का संचालन खुले मैदान में किया जा रहा है. (पढ़ाई तुंहर दुआर योजना) के तहत क्षेत्र के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं अपने अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं.

पढ़ें: कोरबा: अपने खर्चे से 45 बच्चों को पढ़ा रही मंजू, शासकीय चबूतरे में लग रही क्लास

जिला नोडल अधिकारी यू आर चंद्राकर ने बताया कि जिले में चारों विकासखंड में से बोड़ला की स्थिति मोहल्ला क्लास के मामले में सबसे अच्छी है, यह वनांचल क्षेत्र होने के बावजूद भी पढ़ाई के क्षेत्र में पीछे नहीं रहा है. इस कोरोना काल में भी लगातार मोहल्ला क्लास के जरिए बच्चों को शिक्षा दी जा रही है.

वनांचल क्षेत्र के बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही मोहल्ला क्लास

इस पूरे क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क नहीं होने की स्थिति में ऑनलाइन कक्षा का संचालन कर पाना कठिन था, लेकिन मोहल्ला क्लास के जरिए बच्चों को रोजाना पढ़ाया जा रहा है, जो बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है. इस क्षेत्र में ज्यादातर बच्चे गरीब परिवार से आते हैं, जिनके पास न तो मोबाइल है और न ही यहां नेटवर्क रहता है. ऐसे बच्चों के लिए मोहल्ला क्लास का होना वरदान से कम नहीं है.

Last Updated : Oct 28, 2020, 3:55 PM IST
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