कवर्धा: छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर (Bhoramdev Temple) के गर्भगृह में बारिश के पानी का रिसाव को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने 26 अगस्त को खबर को प्रमुखता से चालाया था. गंभीरता को देखते हुए मंदिर को संस्कृति व पुरातत्व विभाग (Department of Culture and Archeology) को पत्राचार के मध्यम से अवगत कराया गया. जिस पर 16 सितंबर को राज्य शासन के संस्कृति एवं पुरात्व विभाग की टीम ने निरीक्षण करने पहुंचे.
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भोरमदेव मंदिर के परिसर एवं गर्भगृह में हो रहे बारिश के पानी के रिसाव और मंदिर के बाहरी भाग के क्षरण के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए छत्तीसगढ़ संस्कृति एवं पुरात्व विभाग की टीम ने अवलोकन किया. संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अमृत लाल पैकरा की अवलोकन टीम में चार अलग-अलग तकनीकी विशेषज्ञों ने बारिकी से निरीक्षण किया. निरीक्षण टीम में पुरात्व विभाग के सहायक अभियंता सुभाष जैन, उप अभियंता दिलीप साहू, केमिस्ट विरेन्द्र धिवर, मानचित्रकार चेतन मनहरे और जिला प्रशासन की ओर से कवर्धा एसडीएम विनय सोनी, डिप्टी कलेक्टर रश्मी वर्मा और बोडला तहसीलदार अमन चतुर्वेदी शामिल थे.
अवलोकन के बाद टीम ने कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा को भोरमदेव मंदिर परिसर के गर्भ गृह में पानी का रिसाव और बाहरी भाग के क्षरण होने के वास्तविक कारणों को बताया. पुरात्व विभाग की विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 11 वीं शताब्दी काल में निर्मित व इसके समकालिन अन्य मंदिरों की तुलना में भोमरदेव मंदिर की स्थिति बहुत ही अच्छा है. कुछ कारणों से पानी का रिसाव हो रहे हैं, इसकी रिपोर्ट विभाग को दे दी जाएगी.
विशेषज्ञों की टीम ने भोरमदेव मंदिर की संरक्षण व संवर्धन की दिशा में मंदिर की उपरी भाग की विशेष साफ सफाई, पत्थरों के जोड़ों को पुनः फिलिंग करने व विशेष कोडिंग के लिए रिपोर्ट बनाई है. टीम ने मंदिर के आसपास के पेड़ों की छटाई करने की रिपोर्ट जिला प्रशासन को दी है. टीम ने बताया कि पतझड़ के मौसम में आसपास के पेड़ों के पत्ते मंदिर के उपरी भाग में जम गए है,जिसकी वजह से पानी की निकासी सही नहीं हो पा रही है. पुरात्व विभाग के विशेषज्ञों की टीम ने मंदिर के चारों दिशा में भूतल से नए सिरे से फिलिंग करने के लिए सर्वे किया है.
तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने मंदिर के गर्भगृह के बाहरी भाग में चावल, केमिकल युक्त गुलाल, चंदन लगाने के लिए प्रतिबद्ध करने की बात कही है. एसडीएम विनय सोनी ने बताया कि मंदिर में अंदर गर्भगृह में भोरमेदव प्रतिभा में चावल व केमिकल युक्त गुलाल पर प्रतिबद्ध लगाया है. पुजारी अशीष शास्त्री ने बताया कि जिला प्रशासन के निर्देश पर गर्भगृह में चावल व केमिकल युक्त अन्य समाग्री के प्रवेश पर रोक लगाई गई है. सर्व साधारण को सुचना देने के लिए प्रबंधन समिति की ओर से सुचना देने सूचना चस्पा की गई है.
कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा ने बताया कि भोरमदेव मंदिर में पानी की रिसाव की समस्या और मंदिर के विशेष सफाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा पुरात्व विभाग को रिपोर्ट भेजी गई थी. रिपोर्ट और सुचना के आधार पर संस्कृति एवं पुरात्व विभाग के विशेषज्ञ टीम व जिला प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में संयुक्त रूप से आज गुरूवार को मंदिर का अवलोकन किया गया। मंदिर में होने वाले पानी रिसाव की समस्या के कारणों को पता लगाया गया है.